गोला गोकर्णनाथ

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Gola Gokaran Nath
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गोला के शिव मंदिर का तीर्थकुण्ड
गोला के शिव मंदिर का तीर्थकुण्ड
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राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलालखीमपुर खीरी ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल६०,१७२
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

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बजाज हिन्दुस्तान चीनी फैक्ट्री, गोला
गोला गोकर्णनाथ स्थित शिव प्रतिमा

गोला गोकर्णनाथ (Gola Gokaran Nath), जिसे गोला (Gola) भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह एक तीर्थस्थल है, जिसे "छोटा काशी" भी कहा जाता है।[१][२]

विवरण

गोला गोकर्णनाथ एक नगर पालिका परिषद व तहसील है। यह भगवान शिव के मंदिर और बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड के चीनी मिल के लिए जाना जाता है। गोली गांव पहले शिव मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित था। इसे अकाल के कारण स्थान छोड़ कर गांव की आबादी, नागा बाबाओं की मदद से, शिव मंदिर के आसपास बस गयी। समय बीता और इसका नया नाम पड़ा "गोला गोकर्णनाथ" जो आज प्रचलित है। मेरीविवेक सिंह

जनसांख्यिकीय

भारत की 2001 की जनगणना के अनुसार गोला गोकर्णनाथ की जनसंख्या 53,832 है जिसमें 53% पुरुष व 47% महिलाएं हैं। यहाँ की औसत साक्षरता 68% है जो कि राष्ट्रीय दर 59.5% से अधिक है इसमें पुरुषों व महिलाओं की साक्षरता क्रमश: 73 % व 62 % है। 14% जनसंख्या 6 वर्ष आयु से कम वालों की है।

इतिहास

त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के समय रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया ताकि वह युद्ध जीत सके। शिवजी ने शिवलिंग का आकार लेकर रावण को लंका में शिवलिंग स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके लिए भगवान शिव ने एक शर्त रखी कि शिवलिंग को बीच में कहीं पर भी नीचे नहीं रखना है। लेकिन रास्ते में रावण को लघुशंका लगी तो उसने एक गड़रिये को शिवलिंग पकड़ने को कहा। गड़रिया का रूप धारण करके स्वयं भगवान विष्णु आये थे,कहते हैं कि भगवान शिव ने अपना वजन बढ़ा दिया और गड़रिये को शिवलिंग नीचे रखना पड़ा। रावण को भगवान शिव की चालाकी समझ में आ गयी और वह बहुत क्रोधित हुआ। रावण समझ गया कि शिवजी लंका नहीं जाना चाहते ताकि राम युद्ध जीत सकें। क्रोधित रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया जिससे उसमें गाय के कान (गौ-कर्ण) जैसा निशान बन गया। गड़रिये को मारने के लिए रावण ने उसका पीछा किया। अपनी जान बचाने के लिए भागते समय वह एक कुएं में गिर कर मर गया। वह जगह आज भूतनाथ के नाम से प्रसिद्ध है,आज भी हर साल वहाँ पर मेला लगता है।

वराह पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने तीन सींगों वाले एक मृग का रूप धारण कर लिया| देवतागण विष्णु के नेतृत्व में उन्हें खोजने पृथ्वी पर आये| ब्रह्मा और इंद्र मृगरुपी शिव के दो सींग पकड़ लिए| तभी शंकर अपने तीनों सींग छोड़ कर अदृश्य हो गए| ये सींग लिंगरूप में बदल गए| देवताओं ने शिव के तीन लिंगों में से यहाँ गोकर्णनाथ में स्थापित किया, दूसरा शुंगेश्वर (भागलपुर, बिहार में और तीसरा शिवलिंग इंद्र इन्द्रलोक ले गए| जब रावण ने इंद्र पर विजय हासिल की तो इन्द्रलोक से वह तीसरा सींग (गोकर्ण लिंग) उठा लाया किन्तु लंका के मार्ग पर जाते हुए भूल से उसने इसी गोकर्ण क्षेत्र में भूल से भूमि पर रख दिया| शिव तब यहीं स्थिर हो गए।

तीर्थस्थल

यहाँ के बड़े से सरोवर के किनारे श्रीगोकर्णनाथ महादेव का बड़ा मंदिर है। ८ किलोमीटर की परिधि में ५ प्राचीन कुंड हैं, जहाँ हर कुंड के पास शिवालय हैं। गोकर्णनाथ महादेव के अलावा अन्य ४ शिव मंदिर हैं- देवेश्वर महादेव/गदेश्वर महादेव/बटेश्वर महादेव और स्वर्णेश्वर महादेव (स्वर्ण+ईश्वर = स्वर्णेश्वर)मन्दिर लक्ष्मणजती मन्दिर व प्राचीन बाबा भूतनाथ मन्दिर।

भौगोलिक स्थिति

गोला गोकर्णनाथ 28.080 उत्तर व 80.470 पूर्व पर स्थित है। ऊष्णकटिबन्धी वनों द्वारा घिरा, लखीमपुर खीरी जिले का दूसरा सबसे बड़ा, तहसील स्तर का यह शहर एक छोटी नदी सरैंया ( सरायन ) के तट पर स्थित है।

जलवायु

यहाँ की जलवायु बहुत गरम है। ग्रीष्म ॠतु (जून-अगस्त) में यहाँ का तापमान 32 डिग्री सेल्सियस – 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है पर हिमालय के तराई क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ का तापमान उत्तर भारत के अन्य स्थानों की तुलना में कम ही रहता है। शीत ॠतु में यहाँ का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से 17 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

उद्योग

यहाँ स्थित बजाज हिन्दुस्तान लिमिटेड का चीनी मिल सम्भवत: एशिया का सबसे बड़ा चीनी मिल है

भाषा

यहाँ की प्रमुख भाषा हिन्दी और अवधी (हिन्दी की एक उपभाषा) है। ज्यादातर विस्थापित लोग पंजाबी बोलते हैं।

शिक्षा

गोला गोकर्णनाथ में बहुत से स्कूल व कॉलेज हैं पर विज्ञान विषयों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था की यहाँ पर कमी है। कृषक समाज इण्टर कॉलेज, पब्लिक इण्टर कॉलेज, लाल बहादुर शास्त्री इण्टर कॉलेज, सेण्ट जॉन कॉलेज, सरस्वती विद्या मंदिर, सरस्वती विद्या निकेतन, गांधी विद्यालय, गुरुनानक बालिका इण्टर कॉलेज, सी जी नेहरू पी जी कॉलेज, गुरु नानक व हरकिशन सिंह परास्नातक विद्यालय यहाँ के प्रमुख शिक्षा संस्थान हैं।

यह नगर गंगा-यमुना तहजीब की अनुपम छटा बिखेरता है। और शहर के आकर्षण का केंद्र शहर में आयोजित होने वाला प्रतिवर्ष ऐतिहासिक चेती मेला है। जोकि नगर पालिका परिषद द्वारा प्रतिवर्ष होलिका दहन के पश्चात चैत माह में (मार्च-अप्रैल महीने में) बड़ी धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। गोला गोकर्ण नाथ उत्तर प्रदेश तीर्थ की सूची में वर्तमान में सम्मिलित है। और वर्तमान प्रयास यह है कि इस शहर को पर्यटन नगरी का दर्जा प्राप्त हो सके।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975