गुरुद्वारा बंगला साहिब
गुरुद्वारा बंगला साहिब | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
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अवस्थिति | साँचा:if empty |
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वास्तु विवरण | |
प्रकार | गुरुद्वारा |
निर्माता | साँचा:if empty |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
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सिख सतगुरु एवं भक्त |
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सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव |
सतगुरु अमर दास · सतगुरु राम दास · |
सतगुरु अर्जन देव ·सतगुरु हरि गोबिंद · |
सतगुरु हरि राय · सतगुरु हरि कृष्ण |
सतगुरु तेग बहादुर · सतगुरु गोबिंद सिंह |
भक्त कबीर जी · शेख फरीद |
भक्त नामदेव |
धर्म ग्रंथ |
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ |
सम्बन्धित विषय |
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नितनेम · शब्दकोष |
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल |
गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक है। यह अपने स्वर्ण मंडित गुम्बद शिखर से एकदम ही पहचान में आ जाता है। यह नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर गोल मार्किट, नई दिल्ली के निकट स्थित है।
यह गुरुद्वारा मूलतः एक बंगला था, जो जयपुर के महाराजा जयसिंह का था। सिखों के आठवें गुरु गुरु हर किशन सिंह यहां अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रहे थे। उस समय चेचक (स्माल पॉक्स) और हैजा की बिमारियां फैली हुई थीं। गुरु महाराज ने उन बीमारियों के मरीजों को अपने आवास से जल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं थीं। अब यह जल स्वास्थ्य वर्धक, आरोग्य वर्धक और पवित्र माना जाता है और विश्व भर के सिखों द्वारा ले जाया जाता है। यह गुरुद्वारा अब सिखों और हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।
स्थापत्य
परिसर जय गरू जी
द्वार
सरोवर
इतिहास
गुरुद्वारा बंगला साहिब मूल रूप से सत्रहवीं सदी में एक भारतीय शासक राजा जय सिंह से संबंधित बंगला था, और जयिसंह पुरा पैलेस के रूप में जाना जाता था।