गुड़िया, कारगिल युद्ध-पीड़ित महिला

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गुड़िया एक भारतीय मुस्लिम महिला का नाम था जो कारगिल युद्ध के कारण व्यक्तिगत तथा पारिवारिक रूप से बुरी तरह से प्रभावित हुई थी और जिसकी दुर्दशा को प्रमुखता से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक समाचार-माध्यमों ने दर्शाया था।[१] 1999 में गुड़िया की शादी आरिफ़ नामक फ़ौजी से हुई थी परन्तु दुर्भाग्य से शादी दस दिन के अन्दर ही कारगिल युद्ध छिडने के कारण आरिफ़ को युद्धक्षेत्र पर भेजा गया। आरिफ़ युद्ध से वापसी करने में विफल रहा था और अधिकारियों ने उसे ग़लती से फ़रारी घोषित किया। बाद में पता चला कि उसे युद्ध पाकिस्तान के द्वारा बन्दी बना लिया गया था।[२] इस बीच, आरिफ़ की अघोषित मौत का अनुमान लगते हुए 26 वर्षीय महिला गुड़िया ने 2003 में एक और आदमी, तौफीक से शादी की और गर्भ से थी।[३]

गुड़िया के जीवन में एक नया मोड़ सामने आया जब पाकिस्तानियों ने युद्ध की समाप्ति के बाद भारत से सैनिक क़ैदियों की वापसी का काम शुरू किया। इसी के तहत आरिफ़ भी रिहा हुआ है और उसका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उस समय गर्भवती होने के कारण गुड़िया दिल्ली के बाहरी इलाके में कलुन्दा गांव में उसके माता पिता के साथ रह रही थी। इस समाचार के सुनते ही गुड़िया मीरट ज़िले के मुंडली गाँव चली गयी जहाँ उसके पहले पति का मकान स्थित था। ग्राम पंचायत में इकट्ठे मीडिया के सामने गुड़िया ने अपने पहले पति के साथ पुनः घर बसाने का इरादा जताया | उस समय भीड़ में मौजूद इस्लामी विद्वानों ने कहा कि गुड़िया का फ़ैसला यह शरीयत के अनुसार है और उसके निर्णय की सराहना की। दूसरी शादी, उनके अनुसार, अवैध थी। [१]

रीडिफ़ डॉट काम के सूत्रों ने इस पुरे प्रकटन की एक और ही तस्वीर खींची है। जाँच से पता चला है कि गुड़िया का फ़ैसला दरअसल उसके पहले पति, पूर्व सुस्राली-समंधियों, गांववालों और प्रमुखतः धार्मिक नेताओं के दबाव के कारण लिया गया था। गुड़िया ने ख़ुद यह कहते हुए कि "यह हर किसी का निर्णय था," अपने फैसले में छुपे दबाव की झलक दिखा दी थी। गौर-तलब है कि गुड़िया के दूसरे पति तौफ़ीक़ को अपनी गर्भवती पत्नी के इस विवादास्पत निर्णय लेने की पूरी प्रतिकृया से दूर रखा गया। इसके अलावा, गुड़िया के चाचा रियासत अली ने कहा कि वहाँ लोगों द्वारा दबाव डाला गया था और और उसे चुप-चाप पूर्व-घोषित फ़ैसला सुनाने को कहा गया था। उनमें विशेषकर मौलवियों ने कहा कि गुड़िया शरीयत का पालन करे और आरिफ़ को स्वीकार करे |सबसे गंभीर बात इन मौलवियों ने ये कही कि गुड़िया अगर ऐसा न करे तो उसका होनेवाला बच्चा नाजायज बन जाएगा | दूसरी तरफ़ तौफीक को गुड़िया ने इस प्रकरण से पांच दिन पहले टेलीफ़ोन पर बात की और अपनी विवशता प्रकट की थी। पहले पति से दोबारा मिलने का दबाव इतना था कि पिता ने ऐसा न करने पर आत्महत्या करने की धमकी दी थी। [१]

आरिफ़, जिसका कहना था कि उसे गुड़िया के प्यार ने उसे वापस खेंच लाया, ने घोषणा की कि उसे अपनी पूर्व पत्नी तो स्वीकार है पर उसके पेट में पल रहा बच्चा स्वीकार नहीं है। [४]

गुड़िया का उसके पहले पति के साथ अशांत पुनर्मिलन

पुनर्मिलन के एक महीने के बाद गुड़िया ने एक बच्चे को जन्म दिया। आरिफ़ ने शुरुआती हिचक के बाद गुड़िया के बच्चे को इस शर्त पर स्वीकार करने की घोषणा की कि बड़ा होने के बाद वह तौफ़ीक के पास वापस भेज सकता है।

गुड़िया आनेवाले कुछ महीनों में एनीमिया की शिकार हुई। इसके साथ ही वह एक गर्भपात की पीड़ा से गुज़री और उसे अत्यधिक मानसिक दबाव से भी जूजना पड़ा | लगातार बिगड़ती सेहत के कारण गुड़िया मात्र पंद्रह महीनों के अंदर ही दिल्ली के सैनिक अस्पताल में मौत की नींद सो गयी। [५] गुड़िया के लिए मानसिक दबाव का एक संभावित कारण उसके देवर-देवरानी का उसे यह बार-बार यह ताना मारना कि वह मनहूस है क्यूंकि शादी के कुछ ही दिनों के अन्दर आरिफ़ युद्ध में लड़ने के लिए चला गया था और लापता हो गया था। [६]

गुड़िया के जीवन पर फ़िल्म

विज्ञापन फ़िल्म निर्माता प्रभाकर शुक्ला की पहली फ़ीचर फ़िल्म 'कहानी गुड़िया की' गुड़िया की जिंदगी पर आधारित है। उनका कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस महिला का निधन हो गया है हालांकि इन घटनाओं से जुड़े मुद्दे को बहुत ज़ियादा प्रासंगिक हैं। "मेरी फिल्म गुड़िया के साथ क्या हुआ है, उसी के बारे में ही नहीं है, बल्कि गुड़िया के दृष्टिकोण से पुरे घटनाक्रम की समीक्षा है | इसके आलावा, यह फ़िल्म गुड़िया को एक श्रद्धांजलि है | " शुक्ला ने यह भी कहा कि "गुड़िया का अत्यधिक मानसिक आघात के कारण निधन हुआ जो शारीर के बहु-अंगीय विफलता के रूप में सामने आई | उसकी मृत्यु पूरे प्रकरण का सबसे दुखद हिस्सा है और यह फ़िल्म इसी सवाल का जवाब खोजने का प्रयास करती है कि उसके ऐसा क्यों हुआ | "[७]

सन्दर्भ

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