गीता रामजी

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गीता रामजी (08 अप्रैल 1956 - 31 मार्च 2020) युगांडाई-दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिक और एचआईवी की रोकथाम में शोधकर्ता थीं। 2018 में, उन्हें यूरोपियन एंड डेवलपिंग कंट्रीज़ क्लीनिकल ट्रायल्स पार्टनरशिप से 'उत्कृष्ट महिला वैज्ञानिक' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। COVID-19 संबंधित जटिलताओं से दक्षिण अफ्रीका के डरबन के उमलंगा में उनकी मृत्यु हो गई।[१][२]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गीता पारेख का जन्म 8 अप्रैल 1956 में हुआ था। 1970 के दशक में इदी अमीन के तहत उनके परिवार को निर्वासित करने से पहले औपनिवेशिक युगांडा में पली-बढ़ीं। इन्होंने अपनी शिक्षा भारत के हाई स्कूल में आरंभ की। उसके बाद यें इंग्लैंड के सुंदरलैंड विश्वविद्यालय में दाख़िल हो गईं। उन्होंने 1980 में बीएससी (ऑनर्स) के साथ केमिस्ट्री और फिजियोलॉजी में स्नातक किया। उन्होंने एक दक्षिण अफ्रीकी-भारतीय साथी छात्र, प्रवीण रामजी से शादी की और डरबन चले गए जहाँ उन्होंने क्वाज़ुलु-नटाल विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में बाल चिकित्सा विभाग में काम करना शुरू किया। अपने दो बेटों के जन्म के बाद उन्होंने अपनी मास्टर्स पूरी की, और बाद में 1994 में पीएचडी की। [५]

सन्दर्भ