गामाजी भांगरे

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गामाजी भांगरे (अंग्रेजी: Gamaji Bhangre) महाराष्ट्र के महादेव कोली थे। गामाजी भांगरे गोत्र के कोलयों का सरदार था और उनका एक साथी था जिसका नाम खेरोजी पाटिकर था।[१] दोनों ने कोलियों को इकट्ठा किया और हैदराबद रियासत के निज़ाम के खिलाप जंग का एलान कर दिया। 1761 में कोलियों ने गामाजी और खेरोजी के नेतृत्व में ढाबा बोल दिया और ट्रिम्बक किले पर कब्जा कर लिया।[२] इसके बाद गामाजी और खेरोजी ने ट्रिम्बक किले को मराठा साम्राज्य में शामिल कर दिया।[३] जिसके वीरता के सम्मान में दोनों कोलियों को गांव दिए गए साथ ही पाटिल और देशमुख की उपाधि से भी नवाजा गया।[४]

सन्दर्भ

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