गाडगिल योजना
गाडगिल योजना का नाम समाज विज्ञानी धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल के नाम पर पड़ा। इसका गठन १९६९ में भारत के राज्यों की योजना के लिये केन्द्रीय सहायता को निर्धारित करने के लिये किया गया था। गाडगिल योजना को चौथी पंचवर्षीय योजना में लाया गया, इस कारण इस पंचवर्षीय योजना को गाडगिल योजना नाम से भी जानते हैं।[१]
योजना
इस योजना को चौथी पंचवर्षीय योजना में केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को अनुदान देने का निर्धारण करने हेतु लाया गया था। धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल उस समय भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे। पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं तथा १९६६-६९ के वार्षिक योजना में केन्द्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान के नियमन में वस्तुनिष्ठता की कमी थी तथा यह राज्यों के सामान और संतुलित वृद्धि का संचालन करने में असमर्थ थे।[२] इस हेतु से राष्ट्रीय विकास परिषद ने निम्न सूत्र का अनुमोदन किया:
१. असम, जम्मू और कश्मीर तथा नागालैंड जैसे विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को अनुदान में वरीयता दी जायेगी।
२. शेष केन्द्रीय अनुदान की राशि को निम्नलिखित मापदण्डों के आधार पर अन्य राज्यों को वितरित किया जायेगा:
- जनसंख्या के आधार पर ६० प्रतिशत;
- ७.५ प्रतिशत राज्य की प्रति व्यक्ति आय में प्रति व्यक्ति कर-संग्रहण की भागीदारी के आधार पर;
- २५ प्रतिशत राज्य की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर; इस श्रेणी के अन्तर्गत केवल वही राज्य आते हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम हो;
- ७.५ प्रतिशत राज्यों की विशेष समस्याओं पर;
नीति आयोग गठन के पश्चात
२०१५ में नीति आयोग के गठन व योजना आयोग को भंग किये जाने के पश्चात गाडगिल योजना के आधार पर मिलने वाले अनुदान बंद हो गये।[३]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ चंचल कुमार शर्मा (2015) NITI's Destiny and the Federal Question. Business World, (10 अप्रैल) http://businessworld.in/article/NITI-s-Destiny-The-Federal-Question/10-04-2015-80275/ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।