गदाधर भट्टाचार्य
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
गदाधर भट्टाचार्य (1650) नव्य न्याय के यशस्वी नैयायिक थे।[१] वे नवद्वीप के निवासी थे। इन्होंने रघुनाथ की "दीधिति" पर अत्यन्त विसतृत और परिष्कृत टीका की रचना की है जो "गादाधरी" नाम से विख्यात है। व्युत्पत्तिवाद, शक्तिवाद आदि उनके अनेक मौलिक ग्रंथ हैं, जिनसे इनके मौलिक चिंतन की विदग्धता विदित होती है। ये 17 वें शतक में विद्यमान माने जाते हैं।