खस राज्य
खस मल्ल राज्य साँचा:lang-ne | |||||
| |||||
राजधानी | सिञ्जा उपत्यका | ||||
भाषाएँ | साँचा:plainlist | ||||
धार्मिक समूह | साँचा:plainlist | ||||
शासन | राजतन्त्रसाँचा:ns0 | ||||
राजा | |||||
- | c. ११ औं शताब्दी | नागराज | |||
- | १३ औं शताब्दी | अशोक चल्ल | |||
पृथ्वी मल्ल | |||||
अभय मल्ल | |||||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | ११ औं शताब्दी | |||
- | अंत | १४ औं शताब्दी | |||
आज इन देशों का हिस्सा है: | साँचा:plainlist |
खस मल्ल राज्य या खस राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालयी भाग में अवस्थित एक मध्यकालीन राज्य था। खस राज्य के भूभाग वर्तमान नेपाल के पश्चिमी कर्णाली प्रदेश क्षेत्र, भारत के गढ़वाल एवं कुमाऊं क्षेत्र तथा तिब्बत के ङारी प्रिफरेक्चर (संस्कृत : खारीप्रदेश) में था। इस राज्य के शासक मल्ल वंश के थे जो काठमांडू उपत्यका के मल्ल शासक से अलग है।साँचा:sfn खस मल्ल के शासनकाल ११वीं शताब्दी से १४वीं शताब्दी तक रहा ।[१] सन् ९५४ में खड़ी की गयी धंग के खजुराहो शिलालेख के अनुसार खस राज्य, प्राचीन बंगाल के गौड़ राज्य तथा गुर्जर-प्रतिहार राजवंश जितना बड़ा था।साँचा:sfn
पृष्ठभूमि
साहित्यिक उल्लेख
प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में खस जाति का उल्लेख मिलता है। महाभारत में उल्लेखित खसों ने कौरव के पक्ष से युद्ध लड़ा था । महाभारत मे खस जनजाती को कबिलाइ, बर्बरिक, जङली, गुस्सेल, म्लेच, संस्कार हिन, उग्र, ओर युद्द पसन्द जनजाती कहाँ गया हे। मनुस्मृति के अनुसार खस अन्य भारतीय जाति जैसे शक, कम्बोज, दारद, पहलव, यवन, पारद आदि जैसे ही प्राचीन क्षत्रिय थे जो संस्कार का त्याग करने से 'व्रात्य क्षत्रिय' और 'म्लेच्छ' में परिणत हुए। मनुस्मृति में उन्हें व्रात्य क्षत्रिय के वंशज कहाँ गया था ।साँचा:sfn प्राचीन खसों ने बौद्ध धर्म धारण किया था ।साँचा:sfn मार्कण्डेय पुराण में खस एक देश के रूप में वर्णित किया गया है।साँचा:sfn
इतिहास
खस मल्ल राज्य एक शक्तिशाली स्वाधीन राज्य था ।साँचा:sfn मुख्य तय इस राज्य के इलाके वर्तमान पश्चिम् मे हिमाचल पुर्ब मे त्रीशुली नदि, उत्तर मे चीन और दक्षिण ने राज्पुतान था ।साँचा:sfn राजा नागराज तिब्बत के खारी प्रदेश जो कि उस समय खस राज्ये का उत्तरी इलाका था वहाँ से आकर जुम्ला सिञ्जा उपत्यका मे राज किया ।साँचा:sfn खस वंश की उत्पत्ति ११ औं शताब्दी वा उससे पहले ही हुआ था । हिमालय क्षेत्रमें दो खस राजवंश था; एक तिब्बत के गुंंगे में और दुसरा जुम्ला (सिञ्जा उपत्यका) में ।साँचा:sfn
शासक एवं उपाधियाँ
उपाधियाँ
राजा नागराज के उत्तराधिकारीयों ने -इल्ल, -चल्ल जैसे चापिल्ल, क्राचल्ल का प्रयोग किया था ।साँचा:sfn चल्ल वा मल्ल राजा एवं राजकुमारों की उपाधियाँ थी ।साँचा:sfn राउला (वर्तमान रावल) राज्य के उच्च पदस्थ अधिकारियों का उपाधि था । विभिन्न व्यक्ति जैसे मलायवर्मा, मेदिनीवर्मा, संसारीवर्मा और बलिराजसाँचा:refn का उपाधि राउला था ।साँचा:sfn मण्डलेश्वर वा मण्डलिक प्रान्तीय शासकों का उपाधि था । राजकुमार, उच्च अधिकारी एवं विजित राजाओं को मण्डलेश्वर पदमें नियुक्ति किया गया था ।साँचा:sfn
शासक
निम्न खस मल्ल राजाएं थे: इतिहासकार जिउसिप्पे टुच्चीके अनुसार खस मल्ल वंशमे निम्न राजाएं थेसाँचा:sfn:
- नागराज साँचा:sfn जिनको जावेश्वरसाँचा:sfn कहा जाता था; तिब्बती वंशावलीमें नागदेव कहा हैंसाँचा:sfn
- चाप, नागराजका पुत्रसाँचा:sfn
- चापिल्ल, चापका पुत्रसाँचा:sfn
- क्राशिचल्ल, चापिल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- क्राधिचल्ल, क्राशिचल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- क्राचल्ल, क्राधिचल्लका पुत्रसाँचा:sfn (1189-1223)
- अशोक चल्ल, क्राचल्लका पुत्रसाँचा:sfn (1223–87)
- जितारी मल्ल, अशोक चल्लका ज्येष्ठ पुत्रसाँचा:sfn
- आनन्द मल्ल, अशोक चल्लका छोटे पुत्रसाँचा:sfn
- रिपु मल्ल (1312–13), आनन्द मल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- संग्राम मल्ल, रिपु मल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- आदित्य मल्ल, संग्राम मल्ल वा आदित्य मल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- कल्याण मल्ल, आदित्य मल्लका पुत्रसाँचा:sfn
- प्रताप मल्ल, कल्याण मल्लका पुत्र, सन्तानरहितसाँचा:sfn
- पुण्य मल्लसाँचा:sfn दुसरे खस वंश (पुराङ्गका) राजघरानासाँचा:sfn
- पृथ्वी मल्ल, पुण्य मल्लका पुत्रसाँचा:sfn
अन्य स्रोतका अनुसार:
भाषा तथा संस्कृति
खस राज्य में नेपाली भाषा (खस भाषा) का उपयोग था ।साँचा:sfnसाँचा:sfn खस मल्लों की प्राचीन देवनागरी लिपि के शिलालेख जुम्ला, सुर्खेत और दैलेख जिलाओं में हैं । सिञ्जा उपत्यका खस मल्लों का राजधानी था ।साँचा:sfn उस्से भि प्राचीन समय मे खसो ने खरोस्थी लिपि भि का उपयोग किया था।
धर्म
राजा पृथ्वीमल्ल से पूर्व के खस राजाओं का धर्म बौद्ध था । राजा रिपुमल्ल के समयकाल में भारतीय भूभाग से सम्पर्क बढने के कारण हिन्दुकरण सुरू हुआ ।साँचा:sfn राजा पृथ्वीमल्ल बौद्ध पंक्तियों का प्रयोग करते थे यद्यपि वे कट्टर हिन्दु शासक थे । पृथ्वीमल्ल के दुल्लु के प्रशस्ति शिलालेख में बौद्ध मंत्र और पंक्तियों का प्रयोग हुआ था परन्तु शितुष्का के कनकपत्र में हिन्दु शैली में लिखा था । ये बौद्ध से हिन्दु तरफ की बदलाव का उदाहरण था ।साँचा:sfn राजा पुण्यमल्ल और पृथ्वीमल्ल के शासनकाल में कट्टर हिन्दु परम्परा तथा रीति का अनुसरण हुआ था ।साँचा:sfn
विलय
इन्हें भी देखें
- मल्ल राजवंश (काठमाण्डू उपत्यका के शासक)
- कत्यूरी राजवंश (कुमाऊं और पश्चिमी नेपाल के शासक)
- रैका राजवंश (डोटी के ठकुरी राजवंश)
- शाह वंश (गोरखा राज्य और बादमें नेपाल अधिराज्य के राजवंश)
स्रोत
पदपंक्तियां
पंक्तियां
ग्रन्थ
- साँचा:cite book
- साँचा:citation
- साँचा:cite book
- स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- साँचा:cite book
- साँचा:citation
- साँचा:citation