खजाना
amrutam अमृतम पत्रिका, Gwaliir mp
खजाना या गढ़ा धन, सोना आदि देखने के लिए काजल कैसे बनाते हैं?...
स्वर्ण अंजन क्या होता है?...
क्या है धरती से धन निकालने की वैदिक रीति? जानने के लिए amrutam सर्च करें…
खजाने का पता कैसे लगाएं?
गढ़े धन की क्या पहचान है?
खजाना पाने के लिए क्या करें? सोना पाना, खोना के बारे में 28 खास दुर्लभ रोचक ज्ञान पढ़कर हिल जाएंगे… जमीन में छुपे खजाने का पता लगाने की विधि भी जाने- सोना कहीं भी हानिकारक नहीं होता। भारत में सोना दो ही जगह पाया जाता है। एक बिस्तर पर, दूसरा जमीन के अंदर। मान्यता है कि भारतभूमि के अंदर, तहखाने में बहुत खजाना छुपा हुआ है। इस खजाने की खोज में देश के बहुत जानकार लोग ओर तांत्रिक लगे हुए हैं। सोने के बारे में यह जानकारी पढ़कर पाठक जाग जाएंगे.. धरती में धन रखने का कारण…मान्यता है कि अब से हजारों वर्ष पूर्व, सेफ (तिजोरी), लोहे की अलमारियाँ तथा बैंक लॉकर्स नहीं थे। उस समय राजामहाराजाओं, सेठ-साहूकारों, व्यापारियों, अधिकारियों बंजारों, महाजनों तथा समुद्र-पार दूर देशों में व्यापार करने वालों के पास अशर्फियों, मोहरों व हीरे-जवाहरातों या अन्य मूल्यवान सिक्कों तथा जेवरातों का अपार भण्डार रहता था। आज की तरह उस काल में भी धन-संग्रह की कोई सीमा नहीं थी। जिसके पास जितना धन होता था, वह उसे सुरक्षित रूप से पहाड़ों की कन्दराओं (गुफाओं), घर की चौखट, दीवाल के नीचे अथवा बाग-बगीचे में किसी वृक्ष की जड़ या तालाब (पोखर), नोहरा (पशु बाँधे जाने की जगह) या अन्य विशेष चिह्नित स्थान पर किसी पात्र में छिपाकर रखता था। इस खजाने की जानकारी अन्य किसी को नहीं होती थी। सारांश यह कि पृथ्वी में धन गाढ़ कर रखा जाता था। इसी कारण आज भी अनेक स्थानों में इस प्रकार के अटूट खजाने मिल रहे हैं। धरती में धन कहाँ छुपा है, कैसे जाने…अघोरी तांत्रिक बताते हैं कि जहाँ अग्नि जलाने से भी न जले, वहाँ धन गढ़ा हुआ समझना चाहिए। जहाँ सूर्य की तेज धूप पड़ने के बावजूद ऐसी घास उग रही हो या जमी रहे कि उसे चौपाये नित्य खाते रहें, तो वहाँ भी धन गढ़ा है - यह समझना चाहिए। जहाँ जेठ-अषाढ़ के महीने में वृक्षों पर नये पत्ते आते हों तथा किसी अन्य ऋतु में न रहते हों, वहाँ की जमीन में धन गढ़ा हुआ है- यह समझना चाहिए। जिस जगह कौए मैथुन कर रहे हों वहाँ धन गढ़ा है! जिस भूमि या जगह सिंह आकर बैठता हो, उस जगह धन छुपा है। जिस धरती या जगह से कमल पुष्प जैसी गंध आती हो गढ़ा हुआ समझना चाहिए। जहाँ आस-पास कोई जलाशय न हो, परंतु की तेज धूप में भी जिस स्थान की मिट्टी नम रहती हो, धन गढ़ा हुआ धन समझना चाहिए। कैसे जाने की यह खजाना गढ़ा है। पृथ्वी में गढ़ा धन जानने के उपाय….हम किसी को भी ये सलाह नहीं देंगे कि वो खजाने की खोज करे। ये सब रोचक, रहस्यमयी जानकारी केवल ज्ञान वृद्धि हेतु है। लाभ तो भारी होता है किंतु समय इतना बर्बाद हो जाता है कि कभी-कभा साधक निराश होने लगता है। पृथ्वी में गढ़ा धन जानने के विभिन्न तन्त्र नियमानुसार बताये गये हैं लाल पूँछ वाली वामनी को पकड़ कर, उसका = निकाल लें। फिर उसमें मैनसिल मिलाकर पीसें, इस नन को आँखों में आँजने से पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन वाई देगा। शुभ तिथि, वार तथा नक्षत्र में काली गाय के को जीभ पर रक्खें तथा उसके घी को दोनों आँखों में जें तो पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन दिखाई देगा। एक ऐसी काली मुर्गी लें, जिसका माँस भी नला हो, उस मुर्गी के माँस को आँखों में आँजने से पृथ्वी गता हआ धन दिखाई देता है। धरती में छुपा खजाना देखने का मन्त्र और अंजन. .जानकारों का मानना है कि जो लोग उल्टे पैदा होते हैं. उनकी आँखों एक विशेष प्रकार का सिद्ध काजल लगाने से उन्हें पृथ्वी के अन्दर गढ़ा धन दिख जाता है। खजाने का पता लगाने के लिए काजल या अंजन बनाने की विधि. .पूरे भारत में यह भम फैला हुआ है कि पहाँ अमुक अमुक जगह धरती में धन गढ़ा है, गड़े धन को कैसे देखें और निकाला जाता है इसकी संक्षिप्त जानकारी इसप्रकार है। शाबर तन्त्र के अनुसार ये मन्त्र है- !!ॐ नमो भगवते रुद्राय डामरेश्वराय सिलि शाल पुनने नाग बेतालिनि स्वाहा!! किसी योग्य तांत्रिक गुरु के मार्गदर्शन में यह मंत्र 54 हजार की संख्या का जाप किसी प्राचीन शिव मंदिर में शाम 4.30 से सुबह 6.17 के बीच 5 दीपक देशी घी के जलाकर होली, छोटी दीपावली, बसंतपंचमी की रात में कभी भी जपें। तत्पश्चात 1 लाख 8000 मन्त्र ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय के जपे। मंत्र के सिद्ध हो जाने के पश्चात् गुरु के निर्देशानुसार शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र में तुलसी की जड़ को नर्मदा के जल में खूब महीन पीस कर उस लेप से बत्ती बना लें और उसे को) उपरोक्त मंत्र से ही (उस बत्ती को) पहले वाले मन्त्र से ही 1008 बार अभिमंत्रित करें। इस बत्ती को जला कर किसी पात्र में अंजन (काजल) तैयार करें। इसे किसी छोटी कन्या या बालक या उल्टे पैदा हुए व्यक्ति की आँखों में लगाने से उसे पृथ्वी के भीतर गढ़ी हुई वस्तुएँ साफ दिखाई देती हैं। विशेष - यह प्रक्रिया के लाभ-हानि के सम्बन्ध में हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।
सोना पाना, खोना के बारे में 28 खास दुर्लभ रोचक ज्ञान पढ़कर हिल जाएंगे… जमीन में छुपे खजाने का पता लगाने की विधि भी जाने- सोना कहीं भी हानिकारक नहीं होता। भारत में सोना दो ही जगह पाया जाता है। एक बिस्तर पर, दूसरा जमीन के अंदर। मान्यता है कि भारतभूमि के अंदर, तहखाने में बहुत खजाना छुपा हुआ है। इस खजाने की खोज में देश के बहुत जानकार लोग ओर तांत्रिक लगे हुए हैं। सोने के बारे में यह जानकारी पढ़कर पाठक जाग जाएंगे.. धरती में धन रखने का कारण…मान्यता है कि अब से हजारों वर्ष पूर्व, सेफ (तिजोरी), लोहे की अलमारियाँ तथा बैंक लॉकर्स नहीं थे। उस समय राजामहाराजाओं, सेठ-साहूकारों, व्यापारियों, अधिकारियों बंजारों, महाजनों तथा समुद्र-पार दूर देशों में व्यापार करने वालों के पास अशर्फियों, मोहरों व हीरे-जवाहरातों या अन्य मूल्यवान सिक्कों तथा जेवरातों का अपार भण्डार रहता था। आज की तरह उस काल में भी धन-संग्रह की कोई सीमा नहीं थी। जिसके पास जितना धन होता था, वह उसे सुरक्षित रूप से पहाड़ों की कन्दराओं (गुफाओं), घर की चौखट, दीवाल के नीचे अथवा बाग-बगीचे में किसी वृक्ष की जड़ या तालाब (पोखर), नोहरा (पशु बाँधे जाने की जगह) या अन्य विशेष चिह्नित स्थान पर किसी पात्र में छिपाकर रखता था। इस खजाने की जानकारी अन्य किसी को नहीं होती थी। सारांश यह कि पृथ्वी में धन गाढ़ कर रखा जाता था। इसी कारण आज भी अनेक स्थानों में इस प्रकार के अटूट खजाने मिल रहे हैं। धरती में धन कहाँ छुपा है, कैसे जाने…अघोरी तांत्रिक बताते हैं कि जहाँ अग्नि जलाने से भी न जले, वहाँ धन गढ़ा हुआ समझना चाहिए। जहाँ सूर्य की तेज धूप पड़ने के बावजूद ऐसी घास उग रही हो या जमी रहे कि उसे चौपाये नित्य खाते रहें, तो वहाँ भी धन गढ़ा है - यह समझना चाहिए। जहाँ जेठ-अषाढ़ के महीने में वृक्षों पर नये पत्ते आते हों तथा किसी अन्य ऋतु में न रहते हों, वहाँ की जमीन में धन गढ़ा हुआ है- यह समझना चाहिए। जिस जगह कौए मैथुन कर रहे हों वहाँ धन गढ़ा है! जिस भूमि या जगह सिंह आकर बैठता हो, उस जगह धन छुपा है। जिस धरती या जगह से कमल पुष्प जैसी गंध आती हो गढ़ा हुआ समझना चाहिए। जहाँ आस-पास कोई जलाशय न हो, परंतु की तेज धूप में भी जिस स्थान की मिट्टी नम रहती हो, धन गढ़ा हुआ धन समझना चाहिए। कैसे जाने की यह खजाना गढ़ा है। पृथ्वी में गढ़ा धन जानने के उपाय….हम किसी को भी ये सलाह नहीं देंगे कि वो खजाने की खोज करे। ये सब रोचक, रहस्यमयी जानकारी केवल ज्ञान वृद्धि हेतु है। लाभ तो भारी होता है किंतु समय इतना बर्बाद हो जाता है कि कभी-कभा साधक निराश होने लगता है। पृथ्वी में गढ़ा धन जानने के विभिन्न तन्त्र नियमानुसार बताये गये हैं लाल पूँछ वाली वामनी को पकड़ कर, उसका = निकाल लें। फिर उसमें मैनसिल मिलाकर पीसें, इस नन को आँखों में आँजने से पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन वाई देगा। शुभ तिथि, वार तथा नक्षत्र में काली गाय के को जीभ पर रक्खें तथा उसके घी को दोनों आँखों में जें तो पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन दिखाई देगा। एक ऐसी काली मुर्गी लें, जिसका माँस भी नला हो, उस मुर्गी के माँस को आँखों में आँजने से पृथ्वी गता हआ धन दिखाई देता है। धरती में छुपा खजाना देखने का मन्त्र और अंजन. .जानकारों का मानना है कि जो लोग उल्टे पैदा होते हैं. उनकी आँखों एक विशेष प्रकार का सिद्ध काजल लगाने से उन्हें पृथ्वी के अन्दर गढ़ा धन दिख जाता है। खजाने का पता लगाने के लिए काजल या अंजन बनाने की विधि. .पूरे भारत में यह भम फैला हुआ है कि पहाँ अमुक अमुक जगह धरती में धन गढ़ा है, गड़े धन को कैसे देखें और निकाला जाता है इसकी संक्षिप्त जानकारी इसप्रकार है। शाबर तन्त्र के अनुसार ये मन्त्र है- !!ॐ नमो भगवते रुद्राय डामरेश्वराय सिलि शाल पुनने नाग बेतालिनि स्वाहा!! किसी योग्य तांत्रिक गुरु के मार्गदर्शन में यह मंत्र 54 हजार की संख्या का जाप किसी प्राचीन शिव मंदिर में शाम 4.30 से सुबह 6.17 के बीच 5 दीपक देशी घी के जलाकर होली, छोटी दीपावली, बसंतपंचमी की रात में कभी भी जपें। तत्पश्चात 1 लाख 8000 मन्त्र ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय के जपे। मंत्र के सिद्ध हो जाने के पश्चात् गुरु के निर्देशानुसार शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र में तुलसी की जड़ को नर्मदा के जल में खूब महीन पीस कर उस लेप से बत्ती बना लें और उसे को) उपरोक्त मंत्र से ही (उस बत्ती को) पहले वाले मन्त्र से ही 1008 बार अभिमंत्रित करें। इस बत्ती को जला कर किसी पात्र में अंजन (काजल) तैयार करें। इसे किसी छोटी कन्या या बालक या उल्टे पैदा हुए व्यक्ति की आँखों में लगाने से उसे पृथ्वी के भीतर गढ़ी हुई वस्तुएँ साफ दिखाई देती हैं। विशेष - यह प्रक्रिया के लाभ-हानि के सम्बन्ध में हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा। धरती से धन निकलने की वैदिक रीति…इस पेज में पृथ्वी से गढ़ा खजाना निकाला जा सकता है-
खज़ाना, धन का एक एकाग्रता है, अक्सर जो खो दिया गया है या फिर भुला दिया गया है जब तक फिर से खोजा नही गया।