खँजड़ी या खँजरी डफ के ढंग का एक छोटा वाद्य यंत्र जो दो ढाई इंच चौड़े काठ की बनी गोलाकार परिधि के एक ओर चमड़े से मढ़ा होता है। यह आम की लकड़ी की बनी होती है। उसकी दूसरी ओर खुला रहता है। इसे एक हाथ में पकड़कर दूसरे हाथ से थाप देकर बजाया जाता है। कुछ में लोग गोलाकार परिधि में धातु के बने चार-पाँच गोलाकार टुकड़े लगा लेते हैं जो झाँझ की तरह थाप के साथ स्वत: झंकार उठते हैं। इस वाद्य का प्रयोग मुख्यत: निर्गुणी भजन करने वाले करते है, जैसे कामङ, आदिनाथ, बलाई, भील, कालबेलिये आदि।