कोरदोबा की मस्जिद-गिरजा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
कोरदोबा की गिरजा-मस्जिद
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
कोरदोबा की गिरजा-मस्जिद
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतासाँचा:br separated entries
क्षेत्रआईबीरियाई महाद्वीप
चर्च या संगठनात्मक स्थितिसक्रिय
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसाँचा:if empty
ज़िलाडॉईसीज़ ऑफ़ कॉर्डोबा
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude।
भौगोलिक निर्देशांकलुआ त्रुटि: callParserFunction: function "#coordinates" was not found।
वास्तु विवरण
प्रकारमस्जिद, गिरजाl
शैलीमूरी, निर्माण कला निर्माण कलानिर्माण कला
निर्मातासाँचा:if empty
शिलान्यास784
निर्माण पूर्ण987
ध्वंससाँचा:ifempty
साँचा:designation/divbox
साँचा:designation/divbox

साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other

कोरदोबा की गिरजा-मस्जिद (साँचा:lang-es), ਜਾਂ कोरदोबा की मस्जिद (साँचा:lang-es),[२] वर्जन मेरी को समर्पित एक गिरजा है जो आंदालूसिया, स्पेन में सथित है।[३] यह विसिगोथ मूल के लोगों द्वारा एक गिरजा के रूप में बनाई गई थी[४][५] पर बाद में मध काल के दौरान इसको इस्लामी मस्जिद में तब्दील कर दिया गया था। स्पेन पर दुबारा अधिकार के बाद इसको फिर से एक गिरजा में तब्दील किया गया।[४][५] इस गिरजा को मूरी निर्माण कला की सब से महान इमारतों में से एक माना जाता है। 2000 के बाद से स्पेनी मुसलमान रोमन कैथोलिक चर्च से इस स्थान में प्रार्थना करने की इजाजत की मांग कर रहे हैं।[६][७] मुसलमानों के इस माँग को स्पेनी गिरजा अधिकारियों और रोमन गिरजा अधिकारीयों ने कई बार ठुकरा दिया है।[६][८]

इतिहास

यह इमारत विसिगोथ मूल के लोगों द्वारा गिरजा के रूप में सेंट विन्सेंट को शर्धांजली के तौर पर बनाई गई थी।[४][५] मुस्लिम शासकों द्वारा विसिगोथ राज्य पर क़ब्ज़ा जमाने के पश्चात इस इमारत को दो भागों में बाँट दिया गया - एक मुस्लिम और दूसरा ईसाई। वनवास में घूम रहे उमय्यद शहज़ादे अब्द अल-रहमान प्रथम ने किसी तरह अपनी जान बचाते हुए आईबीरिया पहुँच गया। इसके पश्चात वह अल-अन्दलुस के राज्यपाल युसुफ़ अल-फ़ीहरी को पराजित करने में कामयाब रहा। अब्द अल-रहमान प्रथम ने पाया कि कोरदोबा विभिन्न विश्वास पर आधारित धार्मिक गुटों में बट चुका है जिनमें ग्नास्ती, प्रिसिल्लानी, दोनाती और लूसिफ़ेरी शामिल थे। उसका दृड़ संकल्प था कि एक ऐसा प्राथना स्थल का निर्माण हो जो शानोशौकत के मामले में बग़दाद, येरुशलम और दिमिश्क़ का मुक़ाबला कर सके और धार्मिक महत्व के मामले में मक्का की तरह पवित्र माना जाए। ईसाई गिरजा घर उसी स्थल पर स्थित था जहाँ रोमन सभ्यता के अनुसार जानूस देवता को समर्पित एक मन्दिर किसी समय पर रहा करती थी। अब्द अल-रहमान अपनी मस्जिद का निर्माण उसी स्थान पर चाहता था। उसने पराजित ईसाइयों से उस गिरजा घर और स्थल ख़रीदने की पेशकश की। समझौता तय कराने का कार्य सुलतान के विशेष सचिव उमेया इब्न यज़ीद को सौंपा गया। समझौते के अंतरगत ईसाई समुदाय को सेन्ट फ़्रान्सिस, सेन्ट जानुआरिस और सेन्ट मार्सेल्लूस को समर्पिर गिरजा घरों के पुनः निर्माण की अनुति दे दी गई थी जिन्हें वीर गति को प्राप्त होने के कारण ईसाई अति महत्वपूर्ण समझते थे। [९]

अब्द अल रहमान ने ईसाइयो उनके को बर्बाद हो चुके धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी और इस कार्य के बदले उसने सेन्ट विंसेंट के गिरजा घर के आधे हिस्से को ईसाई से खरीदा। [१०][११] ख़लीफ़ा का ख़ज़ाना मालामाल था। यह ख़ज़ाना हाल के युद्धों के दौरान गोथ लोगों से छीन ली गई दौलत के अलावा वह देश की धर्ति की उपज पर एक दशमांश निकाले और उसी प्रकार का कर उत्पाद पर लगाया। अन्दलूसिया में मुसलमान ज़कात के कर का भुगतान करने के लिए बाध्य किया गया और जज़्या के रूप में एक कर ईसाइयों और यहूदियों पर लगाया कि वे विदेशी आक्रमणकारियों से अन्दलूसिया में सुरक्षित रह सकें। इसके अलावा, मुस्लिम शासक बहुत से आइबेरिया के मूल्यवान खानों, संगमरमर की खदानों, और धन के अन्य स्रोतों के अधिग्रहण से समृद्ध हो चुके थे। इन राजस्व द्वारा अब्द अल रहमान और उनके उत्तराधिकारियों, हिशाम, अब्द अररहमान द्वितीय, जो इस शाही ख़ानदान के सर्वोच्च और कड़ी में तीसरे रहे थे, अल मनज़र ने, मस्जिद के निर्माण में ख़ूब पैसा ख़र्च किया था। [९]

अब्द अल रहमान प्रथम ने हज़ारों मेज़क्वीटा में हज़ारों कारीगरों और मज़दूरो को काम पर लगाया था। इतना तेज़ रफ़्तार काम था कि इससे ज़िले के सभी संसाधनों का ख़ूब विकास हुआ। बड़े-बड़े पत्थर और अति-सुन्दर काम वाले संगमरमर के पत्थर सिएरा मोरेना और के आस-पास से लाए गए थे। विभिन्न प्रकार के धातु ज़मीन से खोदकर लिकाले गए थे और इसी कारण से कोरदोबा में कई नए कारख़ाने सामने आए और शहर के उत्पाद जगत में एक नए उत्साह का अनुभव किया गया था। सीरिया का प्रसिद्ध निर्माण-विशेषज्ञ के मस्जिद की योजना तय्यार की। कोरदोबा के किनारे स्थित अपने निवास महल का त्याग करके ख़लीफ़ा शहर में आकर बख गया, ताकि सभी कार्यों की वह व्यक्तिगत समीक्षा कर सके और निर्माण की रूप-रेखा पर अपनी राय दे सके। अब्द अल रहमान प्रथम ने काम करने वालों के बीच अपना आना जाना रखा और उन्हें हर दिन कई घन्टे काम करने का आदेश दिया। [९]

यह मस्जिद बाद में कई परिवर्तनों से हो कर गुज़री। अब्द अल रहमान द्वितीय ने एक नए मीनार के निर्माण का आदेश दिया जबकि 961 में अल हकम द्वितीय ने पूरी इमारत में फैलाव लाए और मेहराब को एक नया सुन्दर रूप दिया। अल मंसूर इब्न अबी आमिर ने अंतिम सुधार लाया। यह एक उभरी हुई पदचालक-मार्ग बनाई गई जिससे कि ख़लीफा के महल से इस मस्जिद को जोड़ दिया गया था जैसे कि अधिकांश रूप से मुस्लिम शासकों की परंपरा रही थी। ईसाई शासकों ने बाद में यही परम्परा को अपनाकर गिरजा घरों के निकट अपने महल का निर्माण किया और उसी प्रकार की उभरी हुई पदचालक-मार्गों का निर्माण किया। 987 में अपने वर्तमान आयामों पर यह परिसर पहुँच गया था जब बाहरी स्तम्ब और अन्दर के खुले मैदानों का निर्माण पूरा हुआ।

मस्जिद के निर्माण का आकार

आकार योजना

स्क्रिप्ट त्रुटि: "labelled list hatnote" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मस्जिद की योजना बनाने में वास्तुकारों ने रोमन स्तंभों के आकारों को अपनी विशेष रुचि के ठहरावों के साथ कई जगहों पर सम्मिलित किया है। स्तंभों में से कुछ पहले से ही गॉथिक संरचना के प्रतीक थे; कुछ दूसरे आईबीरिया के विभिन्न क्षेत्रों से वहाँ के राज्यपालों द्वारा भेंट के रूप में भेजे गए थे। हाथीदांत, यशब, पोर्फ़ोरी, सोना, चांदी, तांबे और पीतल की सजावट को इस्तेमाल किया गया है। अद्भुत मोज़ाइक और अज़ूलेजोस डिजाइन किए गए थे। सुगंधित लकड़ियों की पट्टियों को शुद्ध सोने के नाखून के साथ घसकर और निखरा गया था, और लाल संगमरमर स्तंभों के लिए कहा गया है कि यह तो अल्लाह का काम है। इमारत का आदिम हिस्सा अब्द-एर-रहमान प्रथम के दिशा-निर्देश के अंतर्गत बनाया गया था संतरे के रंग के मैदान के कोने में था।। बाद में, विशाल मस्जिद मोरिस्मो वास्तुकला की सभी शैलियों को एक रचना में सम्मिलित करता है।[९]

गैलरी

मूरी निर्माण कला की तस्वीरें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite book
  4. साँचा:cite book
  5. साँचा:cite book
  6. साँचा:cite news
  7. Thomson, Muslims ask Pope to OK worship in ex-mosque, Reuters, (2011), [१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  8. साँचा:cite news
  9. साँचा:cite book
  10. Josef W. Meri and Jere L. Bacharach, Medieval Islamic Civilization, Routledge, (2005), p. 176 ff.
  11. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:commons