के केलप्पन
के केलप्पन | |
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जन्म |
कोयपल्ली केलप्पन नय्यर 24 August 1889 Muchukunnu, Calicut |
मृत्यु |
7 October 1971साँचा:age) Calicut, Kerala | (उम्र
राष्ट्रीयता | Indian |
अन्य नाम | Koyapalli Kelappan Nair, Kerala Gandhi |
शिक्षा | Graduate |
शिक्षा प्राप्त की | University of Madras |
व्यवसाय | Freedom Fighter, Teacher, Editor and Founder President of Nair Service Society |
पदवी | Kerala Gandhi |
प्रसिद्धि कारण | Indian independence movement |
राजनैतिक पार्टी |
Indian National Congress Kisan Mazdoor Praja Party |
जीवनसाथी | T P Lakshmi Amma |
बच्चे | T P K Kidav |
के॰ केलप्पन (K. Kelappan ; जन्म- 24 अगस्त, 1889, कालीकट, केरल; मृत्यु- 7 अक्टूबर, 1971) केरल के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता, स्वतन्त्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। आप महात्मा गाँधी से बहुत प्रभावित थे। जब गाँधी जी ने 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया तो के॰ केलप्पन ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और आन्दोलन में कूद पड़े। सन् 1930 में 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' के समय गाँधी जी ने उन्हें 'प्रथम सत्याग्रही' नामित किया था। भारत की स्वतन्त्रता के बाद जब जे॰बी॰ कृपलानी ने 'किसान मजदूर प्रजा पार्टी' बनाई, तब के॰ केलप्पन उस पार्टी में सम्मिलित हो गए और फिर बाद में लोकसभा के सदस्य चुने गए।
असहयोग आन्दोलन
के॰ केलप्पन 'मुम्बई विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर ही रहे थे कि इसी समय महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ कर दिया। केलप्पन ने भी विश्वविद्यालय छोड़ दिया और आन्दोलन में योगदान देने के लिए उसमें सम्मिलित हो गए। इसके बाद उनका पूरा जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा में ही बीता।
बाद के दिनों में के॰ केलप्पन मुम्बई से मालाबार चले गए। उस समय 'असहयोग आन्दोलन' और ख़िलाफ़त आन्दोलन' बड़े जोर-शोर से साथ-साथ चल रहे थे। के॰ केलप्पन केरल के पहले व्यक्ति थे जिसे आन्दोलन में भाग लेने के कारण गिरफ़्तार किया गया था। 1930 ई॰ के 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने उन्हें केरल से प्रथम सत्याग्रही नामजद किया था। इसके बाद 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के दौरान के॰ केलप्पन गिरफ़्तार किये गए और तीन वर्ष तक जेल में बंद रहे।
वायकोम सत्याग्रह
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के॰ केलप्पन, समाज सुधार और छूआछूत निवारण के क्षेत्र में भी अग्रणी व्यक्ति थे। मंदिर प्रवेश के 'वायकोम सत्याग्रह' में उनके ऊपर पुलिस की मार भी पड़ी। गुरुवायुर के प्रसिद्ध कृष्ण मन्दिर में हरिजनों के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी, इसके लिए उन्होंने 10 महीने तक सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अन्त में भूख हड़ताल पर बैठे गए। महात्मा गाँधी के कहने पर के॰ कलप्पन ने भूख हड़ताल तोड़ दी। इसके बाद ही मद्रास की सरकार ने मंदिर प्रवेश का क़ानून बना दिया।