केलाड़ी चेन्नम्मा
केलाड़ी चेन्नम्मा | |
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जन्म |
चेन्नम्मा |
मृत्यु |
1696 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रसिद्धि कारण | बीजापुर के खिलाफ और मुगल बादशाह औरंगजेब से युद्ध करना। |
जीवनसाथी | सोमशेखर नायक |
केलाड़ी चेनम्मा या केलाड़ी की रानी चेन्नम्मा, (कन्नड़; ಕೆಳದಿಯ ಚೆನ್ನಮ್ಮ) कर्नाटक के केलाड़ी साम्राज्य की रानी थी। वे सागर, कर्नाटक के स्थानीय व्यापारी सिद्दप्पा शेट्टार की बेटी थी।[१] केलाड़ी साम्राज्य (जिसे बेदनूर और इक्केरी के नाम से भी जाना जाता है) का गठन विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद हुआ था।[२] 1667 ईस्वी में चेनम्मा का विवाह राजा सोमशेखर नायक से हुईं।[३][४] 1677 में सोमशेखर नायक की मृत्यु के बाद,[५] चेनम्मा ने केलाड़ी नायक वंश के प्रशासन को कुशलता से संभाला।[५] 25 वर्षों के अपने शासनकाल के दौरान, उन्होंने औरंगज़ेब के नेतृत्व में केलाड़ी मे कब्ज़ा करने आई मुग़ल सेना को अपने राज्य से खदेड़ दिया था। उन्होंने बसवप्पा नायक को गोद लिया था, जो उनके करीबी रिश्तेदारों में से एक था, जो आगे चलकर हिरिया बसप्पा नायक के रूप में उन्हे प्रतिस्थापित किया।[३][४] चेन्नम्मा ने पुर्तगालियों[३] के साथ काली मिर्च और चावल जैसी वस्तुओं को लेकर व्यापारिक समझौतें किये थे। [३]
उन्हें पुर्तगालियों द्वारा "द पेपर क्वीन" या "रैना दा पिमेंटा" की उपाधि दी गई थी। उन्होंने पुर्तगालियों को मिरजान, होन्नावर, चन्दवरा और कल्याणपुरा में चर्चों के निर्माण करने की अनुमति भी दी थी।[६] कर्नाटक राज्य में, अब्बक्का रानी, रानी चेन्नम्मा, बेलवादी माल्लम्मा और ओंके ओबव्वा जैसी महिलाओं के साथ-साथ उन्हें भी योद्धा और देशभक्त के रूप में जानी जाती है।
औरंगजेब द्वारा हमला
शिवाजी के पुत्र राजाराम छत्रपति ने उनसे आश्रय मांगा, जो उस समय मुगल बादशाह औरंगज़ेब से छिप रहे थे,[७] उन्होंने अपने मंत्रीगण के साथ बैठक के बाद उन्हें आश्रय देते हुए उनका सम्मान के साथ व्यवहार किया,[३] जिसके कारण औरंगज़ेब ने केलाड़ी पर हमला कर दिया। चेन्नम्मा ने बिना हार के युद्ध लड़ा और मुगलों के साथ युद्ध एक संधि के साथ समाप्त हो गया।[४] केलाड़ी साम्राज्य के अधीनस्थ, सोधे के सदाशिव ने भी राजाराम को ऋण के माध्यम से मदद की।[३] मैसूर के शासकों और बाद में ब्रिटिशों से स्वायत्तता खोने में केलाड़ी साम्राज्य ही अन्तिम राज्य था। चेन्नम्मा के मंत्रीमंडल की अध्यक्षता टिम्मन्ना नाइक ने की, जो विजयनगर के एक सेनापति के वंशज थे।
विरासत
उन्हें रानी अब्बाका, ओनके ओबाव्वा और कित्तूर चेनम्मा के साथ कन्नड़ महिला वीरता का प्रतीक माना जाता है। मिरजान किला केलाड़ी चेनम्मा द्वारा बनवाया गया था।
चेनम्मा एक बहुत ही गुणी और धर्मपरायण महिला होने के साथ-साथ अपने समय की व्यावहारिक प्रशासक भी थीं।
सन्दर्भ
- ↑ अमर चित्र कथा खंड 793
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ साँचा:cite book
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- ↑ अ आ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book