केरल में पर्यटन

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केरल प्रांत पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, इसीलिए इसे 'God's Own Country' अर्थात् 'ईश्वर का अपना घर' नाम से पुकारा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं - पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि। इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक भ्रमणार्थ आते हैं। मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र (backwaters region) आदि पर्यटकों केलिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति - आयुर्वेद का भी पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य की आर्थिक व्यवस्था में भी पर्यटन ने निर्णयात्मक भूमिका निभाई है

पर्यटक सूचना केन्द्र

राज्य के लगभग सभी मुख्य शहरों में सूचना केन्द्र बने हैं, जहां से पर्याप्त सूचना व अन्य संबंधित कार्य सिद्ध हो सकते हैं।[१]

राज्य पर्यटन विभाग

केरल के पर्यटन क्षेत्र में विकास के लिए राज्य सरकार का पर्यटन विभाग सक्रिय है। इस विभाग के प्रमुख कार्यकलाप हैं - पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए प्रचार कार्य, बुनियादी सुविधाओं का विकास आदि। राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्राकृतिक संतुलन तथा सांस्कृतिक विरासत को बनाये रखते हुए 'दायित्वपूर्ण पर्यटन विकास' की नीति अपनाई गई है।

पर्यटन क्षेत्र में केरल की उपलब्धियाँ प्रशंसनीय रही हैं। इस क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास के कारण राज्य को अनेक राष्ट्रीय - अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। वर्ल्ड ट्रेवल एण्ड टूरिज़्म काउंसिल (WTTC) द्वारा सन् 2002 में प्रकाशित टूरिज़्म सेटलाइट एकाउण्ड (TSA) के अनुसार आगामी दस वर्षों में वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक पर्यटकों के आगमन तथा अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्ति और पर्यटन विकास में केरल का स्थान सर्वोपरि होगा। [२]

सन्दर्भ

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