कुलेखानी जलाशय
कुलेखानी जलाशय | |
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राष्ट्र | नेपाल |
स्थान | कुलेखानी, मकवानपुर जिला, नारायणी अंचल |
निर्देशांक | साँचा:coord |
उद्देश्य | उर्जा निर्माण |
स्थिति | प्रचालन में |
निर्माण आरम्भ | 1977 |
आरम्भ तिथि | 1982 |
निर्माण लागत | US$117.84 मिलियन |
स्वामित्व | नेपाल विद्युत प्राधिकरण |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
प्रकार | तटबंध |
घेराव | कुलेखानी जलाशय |
~ऊँचाई | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
लम्बाई | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
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चौड़ाई (शिखा) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
बांध आयतन | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
जलाशय | |
बनाता है | कुलेखानी जलाशय (इन्द्रा सरोवर) |
कुल क्षमता | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
सक्रिय क्षमता | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
असक्रिय क्षमता | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
जलग्रह क्षेत्र | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
सतह क्षेत्रफ़ल | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
अधिकतम लम्बाई | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
सामान्य ऊंचाई | स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
कुलेखनी जलाशय नेपाल के नारायणी अंचल के मकवानपुर जिले में कुलेखानी के पास कुलेखनी नदी पर एक चट्टान से भरा बांध है। बांध का प्राथमिक उद्देश्य बिजली उत्पादन है। इसका निर्माण 1977 में शुरू हुआ और इसको 1982 में चालू किया गया था। 4 साल बाद इसके दूसरे भाग को 1986 में चालू किया गया था और एक तीसरा पावर स्टेशन 14 मेगावाट का मई 2015 में चालू होने की उम्मीद थी, लेकिन निर्माणकर्ताओं के साथ मुद्दों के कारण इसमें देरी हुई। 117.84 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इस परियोजना को विश्व बैंक, कुवैत फंड और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम आदि संस्थानों से धन प्राप्त हुआ। वर्तमान में यह नेपाल विद्युत प्राधिकरण के स्वामित्व में है। यह 114 मीटर (374 फीट) लंबा बांध इंद्र सरोबार नामक एक जलाशय बनाता है जिसमें 69,200 एकड़ फीट तक पानी जमा होता है।[१][२]
कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (1)
कुलेखानी जलाशय से 5.8 कि॰मी॰ की सुरंग से जल को पहले कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन में भेजा जाता है। यह बिजली स्टेशन में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करता है। आगे यही से जल भूमिगत बिजली स्टेशन तक पहुंचता है। इसमें दो 30 मेगावाट पेल्टन टर्बाइन-जनरेटर की मदद ली जाती है।
कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (2)
पहले पावर स्टेशन से छोड़ा गया पानी सुरंगों की एक श्रृंखला में प्रवेश करता है, जहाँ से यह हाइड्रोपावर स्टेशन तक पहुँचता है, जो कि भूमिगत है और जिसमें दो 16 मेगावाट के फ़्रांसिस टर्बाइन-जनरेटर स्थापित हैं। बांध और जलाशय बागमती नदी बेसिन में हैं जबकि बिजली स्टेशन राप्ती नदी बेसिन में हैं।[१]
कुलेखानी जलविद्युत स्टेशन (3)
तीसरे हाइड्रोपावर स्टेशन का निर्माण 2008 में आरम्भ हुआ था जो कि अब 2019 नें पूरा हो गया है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण ने तीसरे कुलेखानी जलविद्युत परियोजना की समाप्ति की समय सीमा पांचवीं बार जनवरी 2018 में बढ़ायी थी क्योंकि धीमी गति से चलने वाले ठेकेदार के कारण निर्माण देर से चल रहा था।[३][४]इसकी स्थापित क्षमता 14 मेगावाट की है।[५]
चित्र दीर्घा
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite web