कुंभेश्वर मंदिर परिसर

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कुंभेश्वर मंदिर परिसर
स्थानीय नाम
नेपाली: कुम्भेश्वर मन्दिर परिसर
Kumbheshwor.JPG
कुंभेश्वर मंदिर
स्थानललितपुर, नेपाल
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कुंभेश्वर मंदिर परिसर नेपाल के उत्तरी भाग में स्थित पाटन शहर के सबसे पुराने और व्यस्ततम धार्मिक स्थलों में से एक है। जिन प्रमुख देवताओं के मंदिर परिसर के भीतर स्थित है वे हैं: कुंभेश्वर महादेव, बगलामुखी, उन्मंत भैरव। इसके अतिरिक्त यहाँ गौरीकुंड, हराती, मनकामना, केदारनाथ और बद्रीनाथ नामक मंदिर स्थापित हैं। परिसर में एक प्राकृतिक झरना भी मौजूद है, जो आसपास के तालाबों को भरने का काम करता है और इसका स्रोत रसुवा जिले में स्थित गोसाईकुंडा झील को माना जाता है। इसलिए यहाँ के लोकप्रिय जनै पूर्णिमा के त्योहार के दौरान तालाब में डुबकी लगाने की प्रथा है, ऐसा करना गोसाईकुंडा में डुबकी लगाने के बराबर माना जाता है।[१]

ललितपुर का नाम और कुंभेश्वर के बीच सम्बन्ध

यहाँ के लोगों के बीच ये कहानी प्रचलित है कि काठमांडू से कुष्ठ रोग से पीड़ित एक किसान यहाँ आया था क्योंकि उसे अपने गाय से बहुत प्रेम था और यहाँ की घास उसकी गाय के लिए लाभकारी थी, ऐसा उसका मानना था। एक दिन उसने अपने लकड़ी के खंभे को जमीन से टकराया, जिससे वहाँ एक जल स्रोत उभर आया। उस शाम को वापस घर जाते समय उसने राजा को वहाँ से गुजरते हुए देखा। वह सड़क से हट गया जैसा कि कुष्ठ रोगी के लिए उस समय प्रथा थी, हालाँकि राजा ने उसमें बीमारी का कोई निशान नहीं देखा। वास्तव में राजा को वह आदमी इतना सुंदर लगा कि उसने उसे एक नया नाम "ललित" दे दिया, जिसका अर्थ है "सुंदर"। उसी समय राजा को पता चला कि एक चमत्कार हुआ है तब उसने इस संदर्भ में ललित से पूछा। ललित ने राजा को वह जगह दिखाई जहाँ उसे जल स्रोत मिला। इसके बाद राजा ने विचार किया कि एक नल को वहाँ लगाया जाना चाहिए। इस तरह इस स्थान को ललितपुर (अर्थात ललित कलाओं और ललित लोगों की भूमि) कहा जाने लगा। एक और कहानी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है, जिसने तीर्थ यात्रा पर अपना पानी का बर्तन खो दिया और उसने इसे फिर से कुंभेश्वर में पाया। कुंभेश्वर में "कुंभ" शब्द का अर्थ ही है "जल पात्र"।[२]

परिसर के आकर्षण केन्द्र

कुंभेश्वर मंदिर

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। कुंभेश्वर मंदिर नेपाल के दो स्वतंत्र पांच मंजिला मंदिरों में से एक है, दूसरा मंदिर भक्तपुर का प्रसिद्ध न्यातापोला मंदिर है। कुंभेश्वर मंदिर को लगभग 14 वीं शताब्दी में राजा जयस्थति मल्ल द्वारा बनाया गया था।[३]

बगलामुखी मंदिर

बगलामुखी काठमांडू घाटी के सबसे प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक है और विशेष रूप से गुरुवार को यहाँ बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। मंदिर के भीतरी भाग को चांदी से उकेरा गया है।[४]

अन्य स्थान

परिसर के भीतर कुछ अन्य मंदिर भी शामिल है, इनमें प्रमुख है:

  • बद्रीनाथ मंदिर[४]
  • चार-नारायण मंदिर[४]
  • गौरीकुंड मंदिर जिसमें एक पानी का झरना है, जिसका स्रोत गोसाईकुंडा झील माना जाता है।[४]
  • हराती मंदिर[४]
  • केदारनाथ मंदिर[४]
  • कुंबेश्वर पोखरी यह परिसर के भीतर के तालाबों में से एक है।[४]
  • मिशा हिती यह परिसर के भीतर एक सुंदर तालाब है।[४]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite web
  4. Water Conduits in the Kathmandu Valley (2 vols.) by Raimund O.A. Becker-Ritterspach, ISBN 9788121506908स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Published by Munshiram Manoharlal Publishers Pvt. Ltd., New Delhi, India, 1995