कीलाक्षर विधि

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कीलाक्षर विधि [क्यूनिफ़ॉर्म विधि; अंकन (लिपि) Cuneiform law] का अर्थ है- कीलाक्षर  लिपि में लिखी गई विधि संहिता। इन  संहिताओं का विकास और उपयोग पूरे प्राचीन मध्य पूर्व में सुमेरियन, बेबीलोनियाई, असीरियन, एलामाइट, हूरियन, कासाइट और हत्ती लोगों के बीच किया गया था। यद्यपि हम्मुराबी की संहिता क्यूनिफॉर्म विधियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध है लेकिन इसके पूर्व भी इस प्रकार की कई विधियाँ थीं ।

विशेषताएं

यद्यपि ये संहिताएँ भिन्न-भिन्न नगरों और राज्यों में लिखी गई थीं लेकिन प्रारंभिक स्तर की इन संहिताओं में अनेक सूत्र एक जैसे हैं। अधिकांश संहिताओं में प्रस्तावना और उपसंहार मिलते हैं, जिनमें सामान्यतः विधि की रचना के उद्देश्य का वर्णन किया गया है। इनमें दैवी सत्ता का आह्वान किया गया है और पाठक को क़ानून का पालन करने का आदेश दिया गया है।ये क़ानून सदैव राजकुमार या राजा के नाम से 'अधिनियमित' और अधिरोपित किए जाते थे। ऐसे संकेत नहीं मिलते हैं कि ये विधायी निकायों द्वारा बनाए गए हों।

यद्यपि इनमें से कई संहिताओं के बारे में केवल आंशिक जानकारी प्राप्त है तथापि यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि तीसरी, दूसरी और पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में इन क़ानूनों से शासित होने वाले समाजों में किन मुद्दों को महत्वपूर्ण माना जाता था।

आधुनिक संहिताओं के विपरीत,  कीलाक्षर विधि में विधि के सामान्य विषयों के संबन्ध में कोई सामान्य सिद्धान्त वर्णित नहीं किया गया है । इसके बजाय इन क़ानूनों में सामान्यतः "अगर ऐसा हो... तब ऐसा होगा" जैसे विशिष्ट प्रकरण उदाहरण या मिसाल के लिए दिए गए हैं।इन संहिताओं में अपराधों के लिए भिन्न-भिन्न दण्ड का प्रावधान है किन्तु ऐसा नहीं है कि सभी संहिताओं में प्रतिशोधात्मक प्रावधान हों।

कुछ संहिताओं में किसी अपराध के लिए केवल अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। उदाहरणार्थ उर-नम्मू की संहिता में एक  स्थान पर कहा गया है: "यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की आंख फोड़ता है, तो उसे चाँदी की आधी मीना चुकानी होगी।"

सामान्यतः कीलाक्षर विधि को मध्य पूर्व की विधि से अलग माना जाता है किन्तु इसे बाइबिल के क़ानूनों और यहूदियों के कानूनों का पूर्ववर्ती माना जाता है। कीलाक्षर विधि के मानने वाले मध्य पूर्व के सभी समुदाय आम तौर पर एक दूसरे के संपर्क में थे और इन क्षेत्रों में एक जैसी  संस्कृतियाँ विकसित हुईं। अक्कादियन एक कीलाक्षर भाषा थी, जो अमरना काल(Amarna Period) में पूरे क्षेत्र में, और यहां तक ​​​​कि मिस्र में भी, राजनयिक संवाद के लिए उपयोग की जाती थी।