कार्टून वाच
मात्र हिन्दी कार्टून मासिक पत्रिका है। इसका प्रकाशन ५ दिसम्बर १९९६ को रायपुर, छत्तीसगढ़ से प्रारम्भ हुआ। युवा कार्टूनिस्ट त्र्यम्बक शर्मा ने इस पत्रिका की नींव रखी।
कार्टून वाच ने शंकर्स वीकली के बंद होने के बाद उपजे शून्य को समाप्त किया और आज यह पत्रिका सम्पूर्ण भारत के कार्टूनिस्टों का मुख-पत्र बन गई है। यह पत्रिका गुम हो चुके कार्टूनिस्टों को चर्चा में लाने के साथ-साथ नए कार्टूनिस्टों को भी मंच प्रदान करती है। कार्टून वाच द्बारा गत वर्ष (२००८) में लन्दन के नेहरु सेंटर में दो सप्ताह की कार्टून प्रदर्शनी आयोजित की थी जिसे काफी सराहा गया।
लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
कार्टून वाच प्रतिवर्ष देश के एक प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट को 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' प्रदान करती है। अब तक यह पुरस्कार आर के लक्ष्मण (२००३), सुधीर तैलंग (२००४), आबिद सुरती (२००५), प्राण (२००६), राजेंद्र धोड़पकर (२००७), एच एम् सूदन, (२००८) सुरेश सावंत (२००९), श्याम जगोता (२०१०), अजित नैनन, काक, हुसैन जमीन, बी.वी.पांडुरंगराव और जगजीत सिंह राणा (२०११) को दिया जा चुका है। यह पुरस्कार कार्टून वाच द्बारा आयोजित कार्टून उत्सव कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया जाता है। कार्टून वाच प्रतिवर्ष नए कार्टूनिस्टों को मौका देने और नई प्रतिभा को तलाशने के लीये अखिलभारतीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित करती है। इस पत्रिका के प्रारंभ से कार्टूनिस्ट आबिद सुरती, बी एल वाही, वी वी पान्डूरन्गा राव, धनेश दिवाकर जुड़े रहे हैं। वर्त्तमान में इसमें कीर्तिश भट्ट, राजेश दुबे, पंकज गोस्वामी, प्रभाकर झलके, निर्मिश ठाकुर, एम् के शीरी, बी हरी, गोपाल कृष्ण, विन्स, सुरेश सावंत, देवांशु वत्स, अभिषेक तिवारी, इस्माइल लहरी, श्याम जगोता, चंद्रशेखर हाडा सहित भारत के सभी प्रदेशों के कार्टूनिस्टों के कार्टून होते हैं।
कार्टून वाच को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड्स में शामिल किया गया है। यह देश की एक मात्र मासिक कार्टून पत्रिका है जो हिंदी और अँग्रेजी दोनो भाषाओं में प्रकाशित होती है।[१]