काउबॉय

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सी.एम. रसेल द्वारा दर्शाया एक अमेरिकी काउबॉय की उत्कृष्ट छवि.

उत्तरी अमेरिका में फार्मों के पशुओं की रखवाली करने वाले को काउबॉय कहा जाता है, परंपरागत रूप से घोड़े पर सवार होकर वह यह काम करता है और अक्सर फ़ार्म संबंधित अन्य अनेक प्रकार के काम भी किया करता है। 19वीं शताब्दी के अंत में यह ऐतिहासिक अमेरिकी काउब्वॉय उत्तरी मेक्सिको के वाकुएरो (काउब्वॉय का एक स्थानीय नाम) परंपराओं से उत्पन्न हुआ और इसने विशेष महत्व का आकार ग्रहण कर लिया और एक दंतकथा बन गया।[१] इसके एक उपप्रकार (सबटाइप) को रैंगलर (अश्वपाल) कहते हैं, जो विशेष रूप से मवेशियों के काम में प्रयोग किये जाने वाले घोड़ों की देखभाल करता है। फार्म या खेत के काम के अलावा, कुछ काउबॉय रोडीओ (घुड़सवार चरवाहों की सार्वजनिक प्रतिस्पर्धा) के लिए काम करते हैं या उसमें भाग लेते हैं। काउगर्ल्स, 19वीं सदी के अंत में पहली बार इस तरह परिभाषित, की ऐतिहासिक भूमिका का बहुत कम दस्तावेजी प्रमाण है, लेकिन आधुनिक दुनिया में इन्होने बिल्कुल समान कार्य करने की अपनी क्षमता स्थापित की है और अपनी उपलब्धियों के लिए यथेष्ट सम्मान प्राप्त किया है।[२] विश्व के अन्य अनेक भागों में भी काउबॉय या मवेशियों के प्रबंधकर्ता हुआ करते हैं, खासकर दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में, जो अपने देशों में काउबॉय जैसे ही काम किया करते हैं।

स्पेन और अमेरिकों (Americas) के शुरुआती यूरोपीय अधिवासियों में काउबॉय की गहरी ऐतिहासिक जड़ें पायी जाती हैं। सदियों से, इलाकों में भिन्नता, जलवायु और अनेक संस्कृतियों की चरवाहा परंपराओं के प्रभाव ने उपकरणों, पोशाकों और पशुओं के प्रबंध की अनेक अलग शैलियों का निर्माण किया। नित्य-व्यावहारिक काउबॉय को आधुनिक दुनिया के लिए अनुकूलित किया गया, तब काउबॉय के उपकरण और तकनीक को भी कुछ हद तक अनुकूलित करना पड़ा, हालांकि अनेक क्लासिक परंपराएं आज भी संरक्षित हैं।

व्युत्पत्ति विज्ञान और उपयोग

अंग्रेजी शब्द काउबॉय की उत्पत्ति अनेक पुरानी शब्दावलियों से हुई है, दोनों युगों में यह मवेशी या मवेशियों के देखभाल संबंधी कार्य के लिए आया है।

अंग्रेजी भाषा में "काउबॉय" शब्द 1725 मेंप्रकट हुआ।[३] यह वाकुएरो (vaquero) का सीधा अंग्रेज़ी अनुवाद प्रतीत होता है, जो कि एक स्पेनिश शब्द है और घोड़े पर सवार होकर मवेशियों की देखभाल करने वाले के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है। यह वाका (vaca) शब्द से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ होता है "काउ" (गाय),[४] जो कि लैटिन शब्द वाक्का (vacca) से आया है। काउबॉय के लिए एक अन्य अंग्रेजी शब्द है बकारू (buckaroo), जो कि वाकुएरो का ही अंग्रेजीकरण है।[५] कम से कम एक भाषाविद् का अनुमान है कि बकारू शब्द अरबी भाषा के बकरा या बखरा (bakara or bakhara) शब्द से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ भी "हाइफर" (heifer) या "बछिया" होता है और सदियों के इस्लामी शासन के दौरान यह शब्द स्पेनिश में प्रवेश कर गया हो सकता है।[६]

मूलतः, शाब्दिक रूप से इस शब्द का का अर्थ हो सकता है- "एक लड़का जो गायों की देखभाल करता है।" 1849 तक यह अमेरिकी पश्चिम के एक वयस्क चरवाहे या मवेशी प्रबंधकर्ता के रूप में आधुनिक अर्थ में विकसित हो गया। "काउबॉय" शब्द में विभिन्नता बाद में सामने आयी। 1852 में "काउहैंड" (Cowhand) और 1881 में "काउपोक" (cowpoke) शब्द प्रकट हुए, जिसका प्रयोग मूल रूप से पोतपरिवहन के लिए मवेशियों को एक लंबे बर्छे से कोंच-कोंच कर ट्रेन के डिब्बों में लादने वाले व्यक्तियों के लिए ही किया जाता.[७] अमेरिकी अंग्रेजी में काउब्वॉय के नामों में बकारू (buckaroo), काउपोक (cowpoke), काउहैंड (cowhand) और काउपंचर (cowpuncher) शामिल हैं।[८] पूरे पश्चिम और खासकर ग्रेट प्लेन्स तथा रॉकी माउंटेंस में "काउबॉय" शब्द आम है, जबकि "बकारू" का प्रयोग मुख्य रूप से ग्रेट बेसिन और कैलिफोर्निया में होता है और "काउपंचर" का प्रयोग अधिकांशतः टेक्सास तथा आसपास के क्षेत्रों में हुआ करता है।[९]

काउबॉय शब्द महज स्पेनिश का अनुवाद होने के बजाए इसकी जड़े अंग्रेजी भाषा में भी हैं। मूलतः, अंग्रेजी शब्द "काउहर्ड" (cowherd) का प्रयोग किसी चरवाहे के लिए हुआ करता था, ("शेफर्ड" (shepherd) की ही तरह, एक भेंड़ चरानेवाला या गड़ेरिया) और यह किसी किशोरावस्था से पहले या किशोर बालक के लिए कहलाता, जो कि आम तौर पर पैदल ही काम किया करता. (घुड़सवारी के लिए निपुणता की आवश्यकता होती है और बच्चों के भरोसे घोड़ों तथा उपकरणों पर निवेश कभी-कभार ही हुआ करता, हालांकि कुछ संस्कृतियों में चारागाह जाते या आते समय लड़के गधों की सवारी किया करते) अंग्रेजी भाषा में यह शब्द बहुत पुराना है, वर्ष 1000 से पहले इसकी उत्पत्ति हुई। [१०] प्राचीन काल में, भेड़, मवेशी और बकरियों को चराने और उनकी देखभाल के काम अक्सर ही बच्चों के जिम्मे होते थे और अभी भी विभिन्न तीसरी दुनिया की संस्कृतियों में यह काम नौजवान ही किया करते हैं।

आवश्यक कौशल विकसित करने के लिए समय और शारीरिक क्षमता की जरूरत की वजह से, काउबॉय अक्सर अपना कैरियर एक किशोर के रूप में शुरू किया करते थे, उनमें पर्याप्त कौशल आ जाने के बाद वे मजदूरी पाने लगते (अक्सर 12 या 13 साल की उम्र में) और वे, चोट लगने से अपंग नहीं होने पर, मवेशियों या घोड़ों की देखभाल जिंदगी भर कर सकते थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में, कुछ महिलाओं ने भी मवेशियों की देखभाल का कार्यभार संभाला और आवश्यक कौशल सीखा, हालांकि "काउगर्ल" (नीचे चर्चा की गयी है) को 19वीं सदी की समाप्ति तक व्यापक रूप से मान्यता या अभिस्वीकृति नहीं मिली थी। आज पश्चिमी पशु फार्मों में आम तौर पर वयस्क काउबॉय कार्यरत हैं। गोधन या अन्य मवेशियों की जिम्मेदारी को अब बच्चों या शुरुआती किशोरों के उपयुक्त काम नहीं माना जाता. हालांकि, पशु फ़ार्म के माहौल में बड़े होनेवाले लड़के और लड़कियां दोनों ही अक्सर घुड़सवारी सीख लेते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम होते ही आमतौर पर वयस्कों की निगरानी में फार्म के बुनियादी कौशलों का प्रदर्शन करने लगते हैं। ऐसे युवकों, किशोरावस्था के आखिरी दिनों में, को अक्सर पशु फार्म में "काउबॉय" की जिम्मेदारी दी जाती है और वे ऐसा काम करने के योग्य होते हैं जिसमें परिपक्वता और विवेकशीलता की जरूरत होती है, जो आम तौर पर उनके शहरी साथियों से उम्मीद नहीं की जाती.

इतिहास

अमेरिकन काउबॉय, सरका 1888

काउबॉय परंपरा का आरंभ स्पेन से होता है, मध्ययुगीन स्पेन की हेसिंडा प्रणाली (बड़ी जमींदारी) के साथ इसकी शुरुआत हुई। इस शैली का पशुपालन आईबेरियन प्रायद्वीप के अधिकांश भाग में फ़ैल गया और बाद में, अमेरिकों (Americas) में लाया गया। दोनों ही क्षेत्रों की जलवायु शुष्क है, जहां कम घास होती है और इसीलिए मवेशियों के बड़े समूहों को पर्याप्त चारे के लिए विशाल भूमि की आवश्यकता पड़ती है। किसी पैदल व्यक्ति के लिए इतने विशाल स्थान का प्रबंधन संभव नहीं, इसीलिए घुड़सवार वाकुएरो के विकास की जरूरत महसूस की गयी। स्पेनिश घुड़सवार परंपरा के विभिन्न पहलुओं को स्पेन में अरब शासन के चिह्न के रूप में देखा जा सकता है, साथ ही पूर्वी प्रकार के घोड़ों के उपयोग, एक छोटे रकाब द्वारा ला जिनेटा (la jineta) सवार शैली की विशेषता, मजबूत काठ की जीन और ऐड का उपयोग,[११] भारी नकेल या हकामोर (hackamore),[१२] (अरबी में सकिमा, स्पेनिश में जाकुइमा)[१३] और घोड़ों से जुड़े अन्य उपकरणों तथा तकनीक जैसे मूरों के तत्व भी इसमें शामिल हैं।[११][१२] बदले में हकामोर जैसी अरबी परंपरा के कुछ पहलुओं के निशान प्राचीन फारस में पाये जा सकते हैं।[१२]

16वीं शताब्दी के दौरान, कंक्वीस्टाडोर्स (conquistadors) (स्पेनिश योद्धा) और अन्य स्पेनिश उपनिवेशी अपने साथ अमेरिकों में घोड़ों और अन्य मवेशियों के पालन की परंपरा साथ लेते आये, आज के मेक्सिको और फ्लोरिडा से इसकी शुरुआत की। [१४] स्पेन की परंपराएं भौगोलिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक परिस्थितियों द्वारा न्यू स्पेन में रूपांतरित हो गयीं, जो बाद में मैक्सिको और दक्षिण-पश्चिम संयुक्त राज्य अमेरिका बन गया। इसके बदले में, स्पेनिश प्रभाव के कारण अमेरिकों की भूमि और लोगों ने भी नाटकीय परिवर्तन देखा.

इस प्रकार, हालांकि यह लोकप्रिय रूप से अमेरिकी माना जाता है, लेकिन पारंपरिक काउबॉय स्पेनिश परंपरा से शुरू हुआ है, जो आज के मेक्सिको और दक्षिण-पश्चिम संयुक्त राज्य अमेरिका में वाकुएरो में और जलिस्को तथा मिचोअकान क्षेत्रों में चारो में विकसित हुआ। अधिकांश वाकुएरो मेस्तिजो (मिश्रित नस्ल) या देसी अमेरिकी मूल के हुआ करते और अधिकांश हैसेंडाडोज (फार्म मालिक या जमींदार) स्पेनिश होते.[१५] मैक्सिकन परंपराएं दक्षिण और उत्तर दोनों ओर फैलती गयीं और अर्जेंटीना से लेकर कनाडा तक घुड़सवार परंपराओं को प्रभावित किया।

घोड़ों का आगमन विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि प्रागैतिहासिक हिम युग की समाप्ति के बाद से अमेरिकों से अश्वीय नस्ल विलुप्त हो गयी थी। बहरहाल, अमेरिका में घोड़ों की तादाद में तेजी से वृद्धि हुई और स्पेनिश तथा बाद में अन्य देशों के अधिवासियों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण बन गये। प्रारंभिक घोड़े मूलतः अंदालूसी, बार्ब और अरबी नस्ल के हुआ करते थे,[१६] लेकिन चयनात्मक प्रजनन और जंगल में भाग जाने वाले जानवरों के प्राकृतिक चयन के माध्यम से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में अनेक विलक्षण अमेरिकी घोड़ों को पैदा किया गया। मस्तंग और अन्य औपनिवेशिक घोड़ों की नस्लों को अब "जंगली" कहा जाता है, लेकिन दरअसल ये जंगली घोड़े हैं - जिन्हें पालतू जानवर बना लिया गया।

अंग्रेजी बोलने वाले व्यापारी और अधिवासी पश्चिम की ओर फैल गए, अंग्रेजी और स्पैनिश परंपराओं, भाषा और संस्कृति का कुछ हद तक विलय हो गया। 1848 में मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध से पहले, न्यू इंग्लैंड के व्यापारी जिन्होंने जहाज के द्वारा कैलिफोर्निया की यात्रा की तो उनकी मुलाकात विशाल मवेशी फार्म से निकलनेवाले ‍चमड़ी और चर्बी से बने सामान का व्यापार करनेवाले हैसेंडा और वाकुएरो दोनों से हुई। इनके साथ अमेरिकी व्यापारी, जो बाद में सैंटा फे ट्रेल के रूप में जाने गए, के साथ भी वाकुएरो जीवनशैली का संपर्क हुआ। इन प्रारंभिक आकस्मिकताओं के साथ शुरू करने पर वाकुएरो की जीवनशैली और भाषा में रूपांतरण होना शुरू हुआ जो कि अंग्रेजी सांस्कृतिक परंपरा के साथ विलय होता चला गया और अमेरिकी परंपरा में यह काउबॉय के रूप में जाना जाने लगा। [१७]

रेलमार्ग की शुरुआत और अमेरिकी गृह युद्ध के समय गोमांस की मांग में वृद्धि को देखते हुए आइकोनिक अमेरिकी काउबॉय ने पशु फ़ार्म से पशुओं को निकटतम रेलवे स्टेशन ले जाने की जरूरत के साथ पुरानी परंपराओं को संयुक्त करके विकसित किया, जो अक्सर सैकड़ों मील दूर हुआ करते.[१]

पारंपरिक काउबॉय की नस्ल

चित्र:Indian students branding cattle.png
सेगेर इंडियन स्कूल, ओकलाहोमा क्षेत्र, सीए. में दक्षिणी चेयेन और अरापहो युवा मवेशी पर ब्रांड लगाना सीख रहे हैं। 1900.

अमेरिकी काउबॉय अनेक स्रोतों से तैयार हुए. 1860 के दशक के अंत से, अमेरिकी गृह युद्ध के बाद और मवेशी उद्योग के विस्तार से संघ और राज्य संघ दोनों के पूर्व सैनिक पश्चिम चले आये, काम की मांग करने लगे, जैसा कि बड़ी तादाद में अधीर गोरे लोगों ने आम तौर पर किया।[१८] बड़ी संख्या में बंधनमुक्त अफ्रीकी-अमेरिकियों ने भी काउबॉय जीवन में प्रवेश किया, आंशिक रूप से इसकी एक वजह यह है कि उस समय अमेरिकी समाज के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा पश्चिम में उतना अधिक भेदभाव नहीं था।[१९] एक बड़ी तादाद में उस क्षेत्र में रहने वाले मेक्सिकन और अमेरिकी इंडियंस भी काउबॉय के रूप में काम किया करते थे।[२०]

अनेक प्रारंभिक वाकुएरो इंडियन थे, जिन्हें स्पेनिश मिशनों में मवेशियों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित किया गया था। बाद में, खासकर 1890 के बाद, इंडियन लोगों के साथ "सम्मिलन" की जब अमेरिकी नीति बनी, तब कुछ इंडियन आवासीय विद्यालयों में भी पशुपालन की विद्या दी जाने लगी। आज, पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ मूल अमेरिकियों के पास अपने मवेशी और छोटे फार्म हैं और अनेक अभी भी काउबॉय का काम कर रहे हैं, खासतौर पर इंडियन आरक्षणों के करीब के पशु फार्मों में. रोडीओ परिपथ पर "इंडियन काउबॉय" का दिखाना भी एक आम बन गया है।

चूंकि उस अवधि की सामाजिक संरचना में काउबॉय का स्थान नीचे हुआ करता था, सो विभिन्न नस्लों के वास्तविक अनुपात के पुख्ता आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। एक लेखक ने कहा है कि काउबॉय "... दो वर्गों के थे - एक वे जिनकी भर्ती टेक्सास तथा पूर्वी ढलान के अन्य राज्यों से की गयी; और दूसरे वे मेक्सिकन जो दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र से थे। ..."[२१] जनगणना रिकॉर्ड के अनुसार सभी काउबॉय में से 15% अफ्रीकी- अमेरिकी वंशज थे-जिनमे से 25% टेक्सास से बाहर चले गये, उनमें से बहुत कम उत्तर-पश्चिम की ओर गये। इसी तरह, मेक्सिकन वंश के काउबॉय की संख्या औसत रूप से कुल का 15% थी, लेकिन वे टेक्सास और दक्षिण-पश्चिम में बहुत आम थे।

विभिन्न नस्ल के बावजूद, अधिकांश काउबॉय निचले सामाजिक वर्गों के ही थे और उन्हें बहुत कम मजदूरी मिला करती थी। औसत काउबॉय प्रतिदिन लगभग एक डॉलर कमाया करता था, इसके अलावा भोजन के साथ-साथ आमतौर पर बैरकनुमा इमारत के एक खुले कमरे जैसे बंकहाउस में एक बिस्तर भी मिला करता था।[२२]

मवेशियों को इकट्ठा करने की गतिविधि (Roundups)

कोलोराडो में राउंड-अप के 1898 के फॉटोक्रोम.

अर्द्ध-जंगली इलाकों में खुले स्थानों में बड़ी संख्या में मवेशियों को रखा जाता और उन्हें साल के ज्यादातर समय, अधिकांशतः बिना रखवाली के चरने के लिए छोड़ दिया जाता था। कई मामलों में, विभिन्न पशु फ़ार्म मालिक "संघ" बना लिया करते और एक ही स्थान पर अपने मवेशियों को चरने के लिए छोड़ दिया करते थे। जानवरों पर अपने स्वामित्व के निर्धारण के लिए उन पर एक विशिष्ट ब्रांड चिह्नित कर दिया जाता, इसके लिए गर्म लोहे का इस्तेमाल किया जाता, आम तौर पर तब जब मवेशी बछड़े हुआ करते.[२३] खुले हद या स्थान में देखा जाने वाला प्राथमिक मवेशी था लौंगहॉर्न (पशुमांस वाले मवेशी), जो 16वीं सदी में आयातित मूल स्पेनिश लौगहॉर्न से उत्पन्न हुए थे;[२४] हालांकि 19वीं सदी के अंत में अन्य नस्ल के मवेशी भी पश्चिम लाये गये, इनमें मांस से भरपूर हेरेफोर्ड शामिल हैं और अक्सर लौंगहॉर्न के साथ इनका संकर प्रजनन हुआ करता.[२५]

ग्रेट फॉल्स, माँनटाना, सरका 1890 के निकट मवेशियों की गतिविधि

युवा बछड़ों को चिह्नित करने के लिए और परिपक्व पशुओं को बेचने के इरादे से फार्म मालिक आम तौर पर वसंत ऋतु में पशुओं को इकट्ठा किया करते.[२६] इकट्ठा करने या राउंडअप के लिए काउबॉय और घोड़ों दोनों को ही कई तरह के कौशल की आवश्यकता है। जो व्यक्ति झुंड से मवेशियों को अलग करते हैं उनमें उच्चतम स्तर के कौशल की जरूरत होती है और साथ ही विशेष रूप से प्रशिक्षित "कटिंग" घोड़ों पर सवार होने के लिए भी ऐसे कौशल की जरूरत होती है, घोड़ों को मवेशियों की गतिविधियों का अनुसरण करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें अन्य घोड़ों की तुलना में तेजी से रोकने और मुड़ने के लायक बनाया जाता है।[२७] एक बार मवेशी अलग कर लिए जाते, तब अधिकांश काउबॉय युवा बछड़ों को बांधने का काम करते और उसके बाद उन्हें चिह्नित किया जाता और (ज्यादातर सांड बछड़ों के मामलों में) उन्हें बधिया किया जाता. कभी-कभी चिह्नित करने या अन्य उपचार के लिए बड़े मवेशियों को वश में करने के लिए भी यह आवश्यक होता।

मवेशियों के राउंडअप के लिए बड़ी संख्या में घोड़ों की जरूरत पड़ती. हरेक काउबॉय को एक दिन के काम के सिलसिले में तीन से चार ताजे घोड़ों की आवश्यकता होती.[२८] घोड़े खुद भी इकट्ठे हो जाया करते. पश्चिम में यह आम चलन था कि पालतू घोड़ी से पैदा हुए युवा बछेड़े को खुली जगह के अर्द्ध-जंगली माहौल में "बनैला" छोड़ दिया जाता रहा। [२९] वहां "बनैले" झुण्ड भी हुआ करते थे, प्रायः जिन्हें मुस्तंग्स (जंगली घोड़े) नाम से जाना जाता है। दोनों प्रकार को घेर कर इकट्ठा किया जाता और विकसित पशुओं को उपयोगी बनाया जाता था, इस प्रक्रिया को हॉर्स ब्रेकिंग या "ब्रोंको-बस्टेड" (वार. "ब्रोंक बस्टिंग") (जंगली घोड़े को साधने की प्रक्रिया) कहते हैं, यह काम आम तौर पर उन काउबॉय द्वारा किया जाता जो घोड़ों को प्रशिक्षित करने के विशेषज्ञ हों.[३०] कुछ मामलों में, घोड़ों को वश में करने के लिए बेहद क्रूर तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था और ऐसे पशु कभी भी पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं हुआ करते थे। हालांकि, अन्य काउबॉय ने पशुओं के साथ अधिक मानवीय ढंग से बर्ताव करने की जरूरत महसूस की और अपनी घोड़ा प्रशिक्षण पद्धति में सुधार किया,[३१] अक्सर ही वाकुएरो द्वारा इस्तेमाल की गयी तकनीकों को फिर से सीखा गया, खासकर कैलीफोर्नियो परंपरा की तकनीकों को। [३२] विनम्र ढंग से प्रशिक्षित किये गये घोड़े अधिक विश्वसनीय होते थे और विभिन्न प्रकार के कामों के लिए उपयोगी थे।

अपने मवेशी और घोड़ों को संभालने के अपने कौशल के परीक्षण के लिए काउबॉय के बीच आपस में अनौपचारिक प्रतियोगिता आरंभ हुई और इस तरह, कार्यरत काउबॉय के आवश्यक कार्यों से रोडीओ प्रतिस्पर्धा विकसित हुई। [३३]

मवेशी हांकना

मध्य 19वीं सदी से पहले, अधिकांश पशु फ़ार्म के मालिक मुख्य रूप से अपनी जरूरतों के लिए पशुपालन किया करते और अधिशेष मांस तथा खाल स्थानीय रूप से बेच दिया करते थे। विभिन्न निर्माण प्रक्रियाओं में खाल, सींग, खुर और वसा का बाजार भी सीमित था। राष्ट्रीय स्तर पर, 1865 से पहले, गोमांस की मांग भी कम थी।[३४] हालांकि, अमेरिकी गृह युद्ध की समाप्ति के बाद फिलिप डैनफोर्थ आर्मर ने शिकागो में मांस पैकिंग का एक प्लांट खोला, जो आर्मर एंड कंपनी नाम से जाना जाने लगा और मांस पैकिंग उद्योग के विस्तार से गोमांस की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 1866 से, उत्तरी बाजारों में मवेशी बेचे जा सकते थे $40 प्रति की दर से, इससे बाजार से दूर मवेशी पालन करना संभावी रूप से लाभदायक हो गया, खासकर टेक्सास से.[३५]

पहली बार 1866 में मवेशियों को बड़े पैमाने पर शिकागो के लिए पोतवहन के मकसद से टेक्सास से करीब के रेलवे स्टेशन ले जाने का प्रयास किया गया; उस समय अनेक पशु फ़ार्म मालिक सबसे करीबी रेलवे स्टेशन, जो उस समय सेडालिया, मिसूरी में था, तक अपने मवेशियों को ले जाने के लिए एकजुट हुए. हालांकि, पूर्वी कन्सास के किसान डरे हुए थे कि लौंगहॉर्न से स्थानीय मवेशियों को मवेशी ज्वर हो जा सकता है, साथ ही फसलों के रौंदे जाने का भी डर था, इस कारण वहां के किसानों ने समूहों का गठन किया और चेतावनी दी कि उनकी जमीन पर पाए जाने वाले मवेशी कर्मियों को पीटा जाएगा या गोली मार दी जायेगी. इसलिए, 1866 का यह अभियान रेलमार्ग तक पहुंच पाने में विफल रहा और मवेशियों के झुण्ड कम कीमत पर बेच दिए गये।[३६] हालांकि, 1867 में, एबिलेने, कन्सास में रेलवे स्टेशन के आसपास फार्म कंट्री के पश्चिम में एक मवेशी पोतवहन सुविधा का निर्माण किया गया और वो स्थान मवेशी पोतवहन का एक केंद्र बन गया, उस साल वहां से 36,000 मवेशियों को लादा गया।[३७] टेक्सास से अबिलेने का वो रास्ता चिसहोल्म मार्ग से जाना जाने लगा, क्योंकि उस रास्ते को जेस्सी चिसहोल्म ने चिह्नित किया था। यह वर्तमान ओकलाहोमा से होकर गुजरता था, जो उस समय इंडियन क्षेत्र था। हालांकि, पश्चिम के हॉलीवुड के चित्रणों के बावजूद, देसी अमेरिकियों के साथ अपेक्षाकृत कम संघर्ष थे, जो आम तौर पर प्रति मवेशी दस सेंट के पथ कर के एवज में मवेशियों के झुण्ड को जाने की अनुमति दे दिया करते थे। बाद में, विभिन्न रेलवे स्टेशनों के लिए अन्य मार्ग बनाए गये, इनमें डॉज सिटी और विचिटा, कन्सास के मार्ग शामिल हैं।[३८] 1877 तक, डॉज सिटी, कन्सास जैसे मवेशी-पोतवहन के बड़े शहरों से 500,000 मवेशियों का पोतवहन किया जा चुका था।[३९]

मवेशियों को हांकने के काम में मवेशियों की गति और उनके वजन के बीच संतुलन बनाए रखना जरुरी था। जबकि मवेशियों को एक दिन में 25 मील तक हांका जा सकता है, लेकिन इससे उनका वजन इतना अधिक कम हो जाता कि मंजिल तक पहुंचकर उन्हें बेच पाना मुश्किल हो जाता. आमतौर पर उन्हें प्रतिदिन कम दूरी तक ले जाया जाता, उन्हें आराम करने और दोपहर तथा रात में उन्हें चरने दिया जाता.[४०] औसतन, एक पशु समूह प्रतिदिन 15 मील चलकर अपना स्वस्थ वजन बनाये रख सकता है। इस गति का मतलब हुआ कि पशु फार्म से रेलवे स्टेशन तक पहुंचने में दो महीने तक लग जाते थे। उदाहरण के लिए, चिसहोल्म मार्ग, 1,000 मील लंबा था।[४१]

औसतन, मवेशियों के एक झुण्ड के एक हांक अभियान में लगभग 3,000 मवेशी हुआ करते. मवेशियों को झुंड में ले जाने के लिए कम से कम 10 काउबॉय की जरूरत पड़ती और एक काउबॉय के लिए तीन घोड़े की जरूरत होती थी। मवेशियों की निगरानी के लिए काउबॉय 24 घंटे पाली में काम किया करते, दिन के समय उन्हें सही दिशा में ले जाने के लिए और रात में भगदड़ और चोरों को रोकने के लिए। कर्मियों में एक बावर्ची भी शामिल होता, जो एक भोजन वाहन चलाया करता, आम तौर पर जिस पर एक बैल जुता होता और एक अश्वपाल होता जिसके जिम्मे रेमुडा (घुडसाल) या अतिरिक्त घोड़ों का तबेला हुआ करता. मवेशियों के हांक अभियान के समय अश्वपाल अक्सर बहुत ही जवान काउबॉय हुआ करता या निम्न सामाजिक दर्जे का, लेकिन बावर्ची विशेष रूप से कर्मी दल का एक बहुत ही सम्मानित सदस्य होता, जो न केवल भोजन का प्रभारी होता, बल्कि उसके जिम्मे चिकित्सा आपूर्ति भी हुआ करती और उसे प्रायोगिक औषधि का कामचलाऊ जानकारी भी हुआ करती थी।[४२]

1880 के दशक तक, मवेशी उद्योग के विस्तार के कारण अतिरिक्त खुले स्थानों या हदों की जरूरत महसूस की जाने लगी। तब अनेक पशु फार्म मालिकों ने उत्तर-पश्चिम में विस्तार किया, जहां तब भी अव्यवहृत बड़े घास के मैदान मौजूद थे। टेक्सास के मवेशी उत्तर की ओर रॉकी माउंटेन वेस्ट और डकोटा में चले गये।[४३] काउबॉय ने ठंडी परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लिया और पश्चिम की ओर जाने वाले उद्योग ने कैलिफोर्निया से टेक्सास तक के अनेक क्षेत्रीय परंपराओं के साथ खुद को अंतर्मिश्रित कर लिया, अक्सर ही काउबॉय ने प्रत्येक के सबसे उपयोगी तत्वों को खुद में समाहित कर लिया।

खुले क्षेत्र का अंत

सी.एम. रसेल द्वारा चिनूक के लिए प्रतीक्षा.ओपन रेंज के अंत को लाने में अति-चराई और कड़ी सर्दी कारक है।

1880 के दशक में शुरू हुए कांटेदार तार मवेशियों को एक क्षेत्र विशेष में ही रोके रखते थे, ताकि मवेशी उस इलाके में सीमा से अधिक चर न लें. टेक्सास और आसपास के क्षेत्रों में, जनसंख्या वृद्धि के कारण पशु फार्म मालिकों को अपनी-अपनी भूमि को घेर लेने की जरूरत महसूस हुई। [४३] उत्तर में, खुले क्षेत्र में सीमा से अधिक चर लेने के कारण जाड़े में मवेशियों के लिए चारे का अभाव हो जाता, जिससे भुखमरी का सामना करना पड़ता, खासकर 1886-1887 के भयावह जाड़े के समय, जब उत्तर-पश्चिम में लाखों मवेशियों की मृत्यु हो गयी, जिससे मवेशी उद्योग का पतन हो गया था।[४४] 1890 के दशक तक, उत्तरी समतल क्षेत्रों में भी कांटेदार तार की बाड़ मानक बन गयी, अधिकांश राष्ट्र को समाविष्ट करने के लिए रेलमार्ग का विस्तार हुआ और बड़े पशु फार्म क्षेत्रों के करीब मांस पैकिंग प्लांट बनाए गये, इससे टेक्सास से कन्सास के रेलवे स्टेशनों तक मवेशियों को लाने का लंबा हांक अभियान अनावश्यक हो गया। इस वजह से, खुले क्षेत्र का अंत हुआ और मवेशियों के बड़े हांक अभियान समाप्त हुए.[४४] मवेशियों के छोटे हांक अभियान कम से कम 1940 के दशक तक जारी रहे, क्योंकि आधुनिक मवेशी ट्रक बनने से पहले तक, स्टॉकयार्ड और पैकिंग प्लांट तक परिवहन के लिए फार्म मालिकों को स्थानीय रेलवे स्टेशन तक पशुओं को हांकना तब भी जरुरी था। इस बीच, पूरे विकासशील पश्चिम में पशु फार्म बढ़ते चले गये, काउबॉय का रोजगार भी बढ़ता गया, हालांकि उन्हें कम वेतन ही मिलता रहा, लेकिन वे कुछ आबाद भी हुए.[४५]

सामाजिक दुनिया

समय के साथ, अमेरिकी पश्चिम के काउबॉय ने अपनी निजी संस्कृति विकसित की, सीमांत और विक्टोरियन मूल्यों का एक मिश्रण जिसमें वीरता के अवशेषों को भी बनाए रखा गया। पृथक परिस्थितियों में इस तरह के खतरनाक काम ने आत्म-निर्भरता और व्यक्तिवाद की परंपरा का भी निर्माण किया, व्यक्तिगत ईमानदारी पर खासा जोर दिया गया, गीत और कविता के दृष्टांत प्रस्तुत किये गये।[४६]

हालांकि, कुछ पुरुष सीमांत रेखा पर चले गये, क्योंकि वे पुरुषों की ओर आकर्षित हुए.[४७] एक ऐसे क्षेत्र में जहां पुरुषों की संख्या महिलाओं से उल्लेखनीय रूप से अधिक रही, यहां तक कि जिन सामाजिक कार्यक्रमों में दोनों लिंग के लोग भाग लिया करते रहे, वहां भी, सिर्फ पुरुष ही भरे रहे और वहां पुरुषों को नृत्य के लिए एक-दूसरे को साथी बनाना पड़ता.[४८] युवा और अविवाहित पुरुषों के बीच समलैंगिक संबंध स्थापित हुए, लेकिन काउबॉय संस्कृति अपने आपमें गहरे रूप से होमोफोबिक (समलैंगिक विरोधी) बनी रही। हालांकि पुराने पश्चिम में समलैंगिकता-विरोधी क़ानून आम थे, लेकिन अक्सर उन्हें चयनात्मक रूप से ही लागू किया जाता था।[४९]

आधुनिक काउबॉय छवि में सुधार

पश्चिमी चित्रकार चार्ल्स मैरियौन रसेल द्वारा "अ बैड हॉस" (1904).

19वीं सदी के अंत में और 20वीं सदी के आरंभ में वाइल्ड वेस्ट शो (Wild West Shows) में विकास के साथ आम लोगों के दिमाग में कार्यरत काउबॉय की परंपराओं को और भी उकेरा गया, जिसने काउबॉय और देसी अमेरिकियों के जीवन को प्रदर्शित किया और उसका रोमांसीकरण किया।[५०] 1920 के दशक से शुरू करके आज तक पश्चिमी फिल्मों ने काउबॉय जीवन शैली को लोकप्रिय बनाया, लेकिन साथ ही साथ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही रूप में निरंतर पूर्वाग्रह (स्टीरियोटाइप) का भी निर्माण किया। कुछ मामलों में, अक्सर काउबॉय और हिंसक हत्यारे (गनमैन) को एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया जाता है। दूसरी ओर, काउबॉय की भूमिका निभाने वाले कुछ अभिनेताओं ने सकारात्मक मूल्यों को बढ़ावा दिया, जैसे कि जीन ऑट्री का "काउबॉय कोड", जो सम्मानजनक व्यवहार, सम्मान और देशभक्ति को प्रोत्साहित करता है।[५१]

इसी तरह, फिल्मों में काउबॉय को अमेरिकी इंडियन के साथ लड़ते हुए अक्सर दिखाया गया है। लेकिन, वास्तविकता यह है कि, काउबॉय लूटेरों और मानव चोरों के खिलाफ हथियारबंद थे और प्रायः मवेशियों की चोरी के प्रयास या गैरकानूनी रूप से उन्हें ले जाने वालों को भगाने के लिए बंदूक का इस्तेमाल किया करते रहे, जबकि लगभग सभी वास्तविक सशस्त्र संघर्ष इंडियन लोगों और यू.एस. (U.S.) सेना के घुड़सवार इकाईयों के बीच हुए.साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]

दरअसल, पशु फार्म में अतीत या वर्तमान में काम करने वालों के पास कोई और काम करने के लिए बहुत ही कम समय हुआ करता है, उन्हें तो बस फार्म को व्यवस्थित रखने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करते जाना पड़ता है।

काउगर्ल

सी.एम. रसेल द्वारा "रोडियो काउगर्ल".
फैनी स्पेरी स्टील, लेडी बकिंग हॉर्स राइडर की चैंपियन, विन्निपेग स्टैमपेड, 1913

पश्चिम में महिलाओं और खासकर पशु फार्मों में काम करने वाली महिलाओं का इतिहास पुरुषों जैसी अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं है। हालांकि, नेशनल काउगर्ल म्यूजियम और हॉल ऑफ़ फेम जैसे संस्थानों ने हाल के वर्षों में महिलाओं के योगदान को इकट्ठा करने और उनके दस्तावेज़ तैयार करने में महत्वपूर्ण प्रयास किया है।[२]

चित्र:Georgian Cowgirl.jpg
काउगर्ल रेगालिया से प्रेरित आधुनिक पश्चिमी शैली की महिलाओं को दिखाने के लिए पोशाक

ऐसे कुछ रिकॉर्ड उपलब्ध हैं जिनमें ओल्ड वेस्ट के मवेशी मार्गों तक महिलाओं द्वारा मवेशियों को हांकने के उल्लेख मिलते हैं। हालांकि, महिलाओं ने पशु फार्मों में काफी काम किया है और कुछ मामलों में तो (खासकर जब पुरुष युद्ध पर जाते या लंबे समय के लिए मवेशी हांक अभियान पर जाया करते) उन्हें चलाया भी है। इसमें कोई शक नहीं कि महिलाओं, खासकर उन छोटे फार्मों के मालिकों की पत्नियों और बेटियों ने पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है, जो बड़ी तादाद में बाहरी मजदूर नहीं रख सकते थे; और इसीलिए उन्हें घुड़सवारी और संबंधित कार्य पूरे करने की काबिलियत की जरूरत पड़ती. पश्चिम की महिलाओं के गैर-दस्तावेजी योगदान को बड़े स्तर पर कानून में अभिस्वीकृति प्रदान की गयी है; पश्चिमी राज्यों ने महिलाओं को मतदान का अधिकार देने के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका का नेतृत्व किया है, जिसकी शुरुआत 1869 में व्योमिंग से हुई। [५२] एवलिन कैमरून जैसे प्रारंभिक फोटोग्राफरों ने 19वीं के अंत और 20वीं सदी के प्रारंभ में पशु फार्मों में काम करने वाली महिलाओं और काउगर्ल के जीवन को प्रलेखित किया।

हालांकि प्रतिदिन के काम के लिए अव्यावहारिक होने के बावजूद बगल की काठी एक ऐसा साधन था जिससे "सम्मानजनक" सार्वजनिक स्थानों में भी महिलाएं पैदल जाने या तांगे तक सीमित रहने की बजाय घोड़े की सवारी के काबिल हो पाती थीं। गृह युद्ध के बाद, चार्ल्स गुडनाईट ने पारंपरिक अंग्रेजी बगल की काठी में सुधार लाकर एक पाश्चात्य-शैली डिजाइन का निर्माण किया। मेक्सिको के पारंपरिक चार्रस (charras) ने एक सदृश परंपरा को बनाए रखा और आज सीमा के दोनों ओर चर्रेअडा (charreada) प्रदर्शनियों में साइडसैडेल (sidesaddles) की सवारी के खेल हुआ करते हैं।

वाइल्ड वेस्ट शो (Wild West Shows) के आगमन के बाद ही "काउगर्ल्स" के करतब सामने आये। ये वयस्क महिलाएं कुशल कलाकार थीं, घुड़सवारी का प्रदर्शन, विशेषज्ञ निशानेबाजी और रस्सी के करतब से दुनिया भर के दर्शकों का मनोरंजन करतीं. एनी ओकले जैसी महिलाएं घरेलू नाम बन गयीं। 1900 तक, टांगें फैलाकर सवारी के लिए अलग विभाजित स्कर्ट लोकप्रिय बन गया और पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए विक्टोरियन काल के दर्शकों की निंदा के बिना ही महिलाओं को पुरुषों के कपडे या, इससे भी बुरा, पतलून पहनने की अनुमति मिल गयी। 20वीं सदी के प्रारंभ के समय से फिल्मों में, काउगर्ल ने लोकप्रिय संस्कृति में अपनी भूमिका का विस्तार किया और फिल्म डिजाइनरों ने पाश्चात्य जीनों पर सवारी के उपयुक्त आकर्षक कपड़ों का विकास किया।

मनोरंजन उद्योग से अलग स्वतंत्र रूप से, रोडीओ का विकास एक अन्य प्रकार की काउगर्ल को सामने लाया - रोडीओ काउगर्ल. प्रारंभिक वाइल्ड वेस्ट शो और रोडीओ में महिलाएं सभी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने लगीं, कभी अन्य महिलाओं के विरुद्ध तो कभी पुरुषों के साथ. फैनी स्पेरी स्टील जैसी काउगर्ल ने पुरुषों की ही तरह "रफ स्टॉक" में सवारी की और वैसा ही जोखिम उठाया (और भारी विभाजित स्कर्ट पहनना जबकि पुरुषों की पतलून से अधिक असुविधाजनक था) और कैलगरी स्टाम्पेड तथा चेयेन्ने फ्रंटियर डेज जैसी बड़ी रोडीओ प्रतिस्पेधाओं में भी हिस्सा लिया।[५३]

1925 के बाद महिलाओं के लिए रोडीओ प्रतियोगिता बदल गयी, जब पूर्वी प्रोमोटरों ने मैडिसन स्क्वायर गार्डन जैसी जगहों में इनडोर रोडीओ रखनी शुरू की। महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों की प्रतिस्पर्धा से निकाल दिया गया और महिलाओं की कई प्रतिस्पर्धाएं कम कर दी गयीं। आज के रोडीओ में, सिर्फ टीम रोपिंग में पुरुष और महिला समान रूप से एक साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, हालांकि महिलाएं तकनीकी रूप से अन्य खुली स्पर्धाओं में भी प्रवेश कर सकती हैं। सकल-महिला रोडीओ भी हैं, जहां महिलाएं ब्रोंक (अप्रशिक्षित घोड़ा) सवारी, सांड की सवारी और अन्य सभी पारंपरिक रोडीओ प्रतिस्पर्धा में भाग ले सकती हैं। हालांकि, खुले रोडीओ में, काउगर्ल मुख्य रूप से बैरल रेसिंग जैसी निश्चित समय वाली प्रतिस्पर्धा में हिस्सा ले सकती हैं, जबकि अधिकांश पेशेवर रोडीओ में पुरुष प्रतिस्पर्धाओं की तुलना में महिला प्रतिस्पर्धा कम ही रखी जाती हैं।

उच्च विद्यालय रोडीओ और ओ-मोक-सी (O-Mok-See) प्रतियोगिता में लड़के और लड़कियां आपस में प्रतिस्पर्धा के लिए कहीं अधिक उद्यत होते हैं, जहां बैरल रेसिंग जैसी "महिलाओं" की स्पर्धा में भी लड़कों को भाग लेते देखा जा सकता है। रोडीओ विश्व के बाहर, ओलंपिक सहित लगभग सभी घुड़सवारी प्रतिस्पर्धाओं में पुरुषों के समान ही भाग लिया करती हैं और कटिंग, लगाम लगाने और धैर्य जैसी पाश्चात्य सवारी में भी हिस्सा ले सकती हैं।

आज की कार्यरत काउगर्ल आम तौर पर पुरुषों जैसे कपडे, औजार और सामग्री का इस्तेमाल करती हैं, हालांकि प्रतियोगिता में ज़रा चित्ताकर्षक दिखने के लिए आम तौर पर अलग रंग और डिजाइन पसंद करती हैं। साइडसैडेल सिर्फ प्रदर्शनियों और एक सीमित संख्या के विशेष घुड़सवारी शो कक्षाओं में देखी जाती हैं। काउगर्ल जींस, कसी हुई कमीज, जूते, टोपी पहनती है और जरूरत होने पर चैप्स और दस्ताने भी पहना करती हैं। यदि फ़ार्म में काम कर रही हों तो वे काउबॉय की ही तरह वही उबाऊ काम किया करती हैं और उनका पहनावा स्थिति के अनुरूप हुआ करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में क्षेत्रीय परंपराएं

भूगोल, जलवायु और सांस्कृतिक परंपराओं के कारण मवेशियों के संभाल-संचालन पद्धतियों और उपकरणों के विकास में संयुक्त राज्य अमेरिका के एक भाग से दूसरे भाग में भिन्नता देखी जाती है। आधुनिक दुनिया में, दो प्रमुख काउबॉय परंपराओं के अवशेष पाए जाते हैं, जिन्हें आज "टेक्सास" परंपरा और "स्पेनिश", "वाकुएरो" या "कैलिफोर्निया" परंपरा के नाम से जाना जाता है। हवाई और फ्लोरिडा में भी कम प्रसिद्ध लेकिन उतनी ही विशिष्ट परंपराएं विकसित हुईं. आज, विभिन्न क्षेत्रीय काउबॉय परंपराओं का कुछ हद तक विलय हो चुका है, हालांकि उपकरण और सवारी शैली में कुछ क्षेत्रीय अंतर अब भी बचे हुए हैं। और, कुछ लोगों ने जान-बूझकर अधिक समय लेने वाली लेकिन अत्यधिक कुशल तकनीकों से लैस विशुद्ध वाकुएरो या "बकारू" परंपरा को संरक्षित करने का रास्ता चुना है। प्राकृतिक घुड़सवारी कला की लोकप्रिय "होर्स व्हिस्परर" (horse whisperer) (सहानुभूतिशील अश्व प्रशिक्षण) शैली मूलतः कैलिफोर्निया और उत्तर-पश्चिम राज्यों के पेशेवरों द्वारा विकसित की गयी थी, जो उपकरण के साथ कैलिफोर्निया के वाकुएरो के दृष्टिकोण और दर्शन तथा टेक्सास काउबॉय की बाह्य दृष्टि का स्पष्ट संयोजन है।

टेक्सास परंपरा

1800 के दशक के प्रारंभ में, स्पेनिश सम्राट और बाद में, स्वतंत्र मैक्सिको ने संयुक्त राज्य अमेरिका से आये अधिवासियों जैसे टेक्सास के गैर-नागरिकों के लिए एम्प्रेसेरियो (empresario) (बाहर से आये पुराने अधिवासियों को स्थायी रूप से बसने की अनुमति, बदले में उनसे एक ख़ास दायित्व के निर्वहन की अपेक्षा) प्रदान करने की पेशकश की। 1821 में, स्टीफन एफ. ऑस्टिन और उनके ईस्ट कोस्ट के साथी स्पेनिश बोलने वाले पहले एंग्लो-सैक्सोन समुदाय के लोग हुए. 1836 में टेक्सास की स्वतंत्रता के बाद, टेक्सास के एम्प्रेसेरियो पशुपालन क्षेत्रों में और भी अधिक अमेरिकी आने लगे। यहां के अधिवासी मैक्सिकन वाकुएरो संस्कृति से बहुत अधिक प्रभावित थे, वहां के स्थानीय लोगों की शब्दावली और पहनावा को अपना लिया था, लेकिन साथ ही मवेशियों को संभालने की कुछ परंपराओं तथा पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन की संस्कृति को भी बचाए रखा। टेक्सास के काउबॉय आमतौर पर कुंवारे हुआ करते, जिन्हें मौसम के हिसाब से विभिन्न कामों के लिए नियुक्त किया जाता.[५४]

अमेरिकी गृह युद्ध के बाद, वाकुएरो संस्कृति पूरब और पश्चिम की ओर बिखर गयी, गायपालन की पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका की परंपराओं के साथ जिसका संयोजन हुआ जो अधिवासियों के पश्चिम की ओर जाने से विकसित हुआ। कन्सास और नेब्रास्का के रेलमार्गों तक पहुंचने के लिए मवेशियों के मार्ग बनाए जाने से टेक्सास से अन्य प्रभाव विकसित हुए, इसके अलावा ग्रेट प्लेन्स और रॉकी माउंटेंस फ्रंट, कांटिनेंटल डिवाइड के पूरब में पशुपालन के अवसरों में विस्तार हुआ।[५५]

इस प्रकार, पश्चिमी टेक्सास के भूगोल और जलवायु के साथ अनुकूलन की जरूरत के लिए और बाजार ले जाने के लिए मवेशियों के लंबे हांक-अभियानों की जरूरत के अलावा टेक्सास की काउबॉय परंपरा सांस्कृतिक प्रभावों के संयोजन से पैदा हुई।

कैलिफोर्निया परंपरा

स्पेनिश उपनिवेशी अवधि के दौरान, युवा व अप्रशिक्षित घोड़ों के साथ काम करने वाले वाकुएरो अर्थात स्पेनिश या मैक्सिकन काउबॉय 1700 के दशक में आये और कैलिफोर्निया तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में फलने-फूलने लगे। [५६] संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिवासियों ने मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध के बाद ही कैलिफोर्निया में प्रवेश किया और इससे पहले के अधिवासी पशु फार्मों की बजाय अधिकांशतः खदानों में काम किया करते थे, उन्होंने पशुपालन का काम मुख्य रूप से स्पेनिश और मैक्सिकन के जिम्मे छोड़ रखा था जिन्होंने कैलिफोर्निया में ही रहना पसंद किया था। टेक्सास काउबॉय की तुलना में कैलिफोर्निया के वाकुएरो या बकारू उच्च कुशल कामगार माने जाते थे, जो आम तौर पर उसी फार्म में रहा करते थे जहां उनका जन्म हुआ या जहां वे बड़े हुए हों और वहीँ वे अपना परिवार बनाया करते थे। इसके अलावा, कैलिफोर्निया का भूगोल और जलवायु नाटकीय रूप से टेक्सास से अलग थी, कम खुले क्षेत्रों में अधिक गहन चराई हुआ करती; साथ ही कैलिफोर्निया के मवेशी मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर ही बिक जाया करते थे सो उन्हें (बहुत बाद में, सहाय-सहकार संबंधी सुविधाओं के बावजूद) रेलमार्गों तक सैकड़ों मील की यात्रा नहीं करनी पड़ती थी। इस प्रकार, टेक्सास की तुलना में मजबूत प्रत्यक्ष स्पेनिश प्रभाव वाले कैलिफोर्निया और प्रशांत महासागरीय उत्तर-पश्चिम में घोड़े और पशुओं के संभाल-संचालन की संस्कृति बनी रही।

अंग्रेजी भाषी अधिवासियों द्वारा ऐसी परंपरा के काउबॉय को बकारू की उपाधि दी गयी। 1889 में यह शब्द अमेरिकी-अंग्रेजी में आधिकारिक तौर पर सामने आया और माना जाता है कि यह वाकुएरो का अंग्रेजीकरण है, हालांकि एक लोक शब्द व्युत्पत्ति विज्ञान के अनुसार यह शब्द "बकिंग" (घोड़े या बैल का उछलना) से निकला है, एक ऐसा व्यवहार जो युवा या ताजे घोड़ों में देखा जाता है। "बकारू" और वाकुएरो शब्दों के प्रयोग अभी भी ग्रेट बेसिन, कैलिफोर्निया के भागों में हुआ करते हैं और प्रशांत महासागरीय उत्तर-पश्चिम में इनके प्रयोग प्रायः कम हुआ करते हैं।[५७]

फ्लोरिडा के काउहंटर या "क्रैकर काउबॉय"

एक क्रैकर काउबॉय कलाकार: फ्रेडेरिक रेमिंगटन.

19वीं और 20वीं सदी के प्रारंभ के फ्लोरिडा के "काउहंटर" या "क्रैकर काउबॉय" टेक्सास और कैलिफोर्निया परंपराओं से भिन्न हुआ करते थे। फ्लोरिडा के काउबॉय मवेशी को पकड़ने या उन्हें इकट्ठा करने के लिए कमंद का उपयोग नहीं किया करते थे। उनके प्राथमिक उपकरण बुलव्हिप्स (bullwhip) और कुत्ते थे। चूंकि फ्लोरिडा के काउहंटर को कमंद के लंगर के लिए काठी के प्रक्षिप्त भाग की आवश्यकता नहीं पड़ा करती थी, इसलिए अनेक लोग पाश्चात्य जीन का उपयोग नहीं किया करते थे, उसके बजाय वे मैकक्लेलन (McClellan) जीन का उपयोग किया करते. कुछ लोग सांप से सुरक्षा के लिए घुटने से ऊपर तक के जूते पहना करते, जबकि अन्य लोग ब्रोगांस (मोटे और भारी जूते) पहनते. वे आमतौर पर सस्ते ऊन या खर की टोपी पहना करते और बारिश से बचने के लिए पोंचो (एक प्रकार का लबादा) का इस्तेमाल किया करते.[५८]

16वीं सदी के अंत में फ्लोरिडा में मवेशी और घोड़ों का प्रचलन शुरू हुआ।[५९] फ्लोरिडा के मवेशी और घोड़े छोटे हुआ करते थे। "क्रैकर काउ" (पतली-सूखी गाय), जिसे "देसी गाय" या "स्क्रब काउ" (साधारण नस्ल की गाय) के रूप में भी जाना जाता रहा, 600 पाउंड की हुआ करती थी, जिसके बड़े सींग और लंबे पैर होते थे।[६०] क्रैकर गाय के किस्म के दो दुर्लभ नस्ल आज भी बने हुए हैं: फ्लोरिडा क्रैकर मवेशी और पाइनवुड्स मवेशी.[६१] फ्लोरिडा क्रैकर घोड़ा बार्ब, सोर्ऱिया जैसे छोटे स्पेनिश घोड़ों और स्पेनिश जेनिट घोड़ों के प्रजनन से उत्पन्न हुए, लेकिन क्षेत्र के पर्यावरण के प्राकृतिक प्रवरण के जरिये अनुकूलित होते गये।[६२]

पूरी 17वीं सदी के दौरान, स्पेनिश अधिकारियों और फ्लोरिडा में कार्यरत मिशन पशु फार्मों के मालिक हुआ करते थे, जो सैंट ऑगस्टीन स्थित स्पेनिश सेना तथा क्यूबा के बाजारों में मवेशियों की आपूर्ति किया करते.[५९] इन फार्मों ने स्पेन से कुछ वाकुएरो को लाया, लेकिन अधिकांश कर्मी टिमुकुआ इंडियन थे।[६३] बीमारियों और विद्रोहियों के स्पेनिश दमन की वजह से टिमुकुआ आबादी गंभीर रूप से कम हो गयी। 18वीं सदी की शुरुआत से, कैरोलिना प्रांत के सैनिकों और उनके इंडियन सहयोगियों द्वारा हुए हमलों से टिमुकुआ घटकर एक अवशेष में बदल गये और स्पेनिश पशु फार्म क्षेत्र युग समाप्त हो गया।

18वीं सदी में, क्रीक, सेमीनोल और अन्य इंडियन जनता पूर्व टिमुकुआ क्षेत्रों में जा पहुंची और स्पेनिश फार्मों के छोड़े गये मवेशियों को पालना शुरू किया। 19वीं सदी में, गोरे अधिवासियों और संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार द्वारा इस क्षेत्र की अधिकांश जनजाति से उनकी भूमि और मवेशी छीन लिए गये और उन्हें दक्षिण या पश्चिम की ओर भगा दिया गया। 19वीं सदी के मध्य तक मध्य और दक्षिणी फ्लोरिडा के व्यापक खुले क्षेत्र पर गोरे मालिक मवेशियों के बड़े फार्म चलाने लगे थे। अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान फ्लोरिडा के मवेशियों की खाल और मांस संघ (Confederacy) के लिए इतनी महत्वपूर्ण आपूर्ति सामग्री बन गयी कि यूनियन के हमलों से मवेशियों के झुण्ड को बचाने और उन्हें इकट्ठा करने के लिए एक "काउ कैवलरी" (अश्वारोही सेना) संगठित की गयी।[६४] गृह युद्ध के बाद, फ्लोरिडा के मवेशी आवधिक रूप से मैक्सिको की खाड़ी के बंदरगाहों पर और क्यूबा के बाजार के लिए भेजे जाने लगे। [६५]

हवाईयन पैनिओलो

हवाईयन काउबॉय, पैनिओलो भी कैलिफोर्निया और मैक्सिको के वाकुएरो के एक प्रत्यक्ष वंशज हैं। हवाईयन शब्द व्युत्पत्ति विज्ञान के विशेषज्ञों का विश्वास है कि एस्पानोल (español) का हवाईयनी उच्चारण है "पैनिओलो" (Paniolo). (हवाईयन भाषा में अंग्रेजी के /एस/ (S) की ध्वनि नहीं है और सभी शब्दांश और शब्द का अंत स्वर से ही होना होता है।) उत्तरी अमेरिका की मुख्य भूमि के काउबॉय की तरह पैनिओलो ने भी अपने कौशल मैक्सिकन वाकुएरो से सीखासाँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed].

1800 के दशक के प्रारंभ से, हवाईयन राजशाही के सम्राट पाइ इया कामेहामेहा (Pai`ea Kamehameha) को कैप्टन जॉर्ज वैंकूवर द्वारा दिया गया मवेशियों का उपहार आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ता गया और ग्रामीण इलाकों में तबाही ढाने लगा। 1812 के लगभग, जहाज से भागा जॉन पार्कर नामक एक नाविक द्वीप में बस गया, उसे कामेहामेहा ने जंगली मवेशियों को पकड़ने और एक पशु मांस उद्योग विकसित करने की अनुमति दी।

मूल रूप से जंगलों में गड्ढ़े खोदकर उसमें जंगली पशुओं को फंसाकर उन्हें पालतू बनाना पशुपालन की हवाईयन शैली में शामिल रहा। भूख और प्यास से एक बार वश में आ जाने पर उन्हें सीधी चढ़ान में घसीटा जाता और उनके सींगों को एक पालतू पशु की सींग से बांध दिया जाता, उस पुराने बधिया पशु (या बैल) को पता होता था कि भोजन और पानी के साथ पशुओं का बाड़ा कहां स्थित है। कामेहामेहा के पुत्र लिहोलिहो (कामेहामेहा द्वितीय) के शासन में यह उद्योग धीरे-धीरे विकास करने लगा।

बाद में, लिहोलिहो का भाई, कुईकेयाओउली (कामेहामेहा तृतीय) ने कैलिफोर्निया का दौरा किया, जो तब भी मेक्सिको का एक भाग था। वह मैक्सिकन वाकुएरो के कौशल से प्रभावित हुआ और 1832 में उनमें से अनेक को हवाई के लिए आमंत्रित किया, ताकि वे हवाईयन जनता को मवेशी पालन के गुर सिखा सकें.

आज भी, पारंपरिक पैनिओलो पोशाक, साथ ही औपचारिक हवाईयन पोशाक की कुछ शैलियों में वाकुएरो की स्पेनिश विरासत प्रतिबिंबित होती है।[६६] पारंपरिक हवाईयन काठी, नोहो लिओ[६७] (noho lio) और काउबॉय पेशे के अन्य अनेक उपकरणों में स्पष्ट रूप से मैक्सिकन/स्पेनिश झलक दिखाई देती है और अनेक हवाईयन परिवार अभी भी उन वाकुएरो के नाम को जारी रखे हुए हैं जिन्होंने हवाईयन महिलाओं से शादी की और हवाई को ही अपना घर बना लिया।

अन्य

लौंग आइलैंड के मोंटॉक, न्यूयार्क का कुछ विवादास्पद दावा है कि आज के संयुक्त राज्य अमेरिका में उसका मवेशी परिचालन का काम सबसे पुराना है, 1643 में क्षेत्र के इंडियन लोगों से जमीन खरीदकर यूरोपीय अधिवासियों ने मवेशी पालन शुरू किया।[६८] यद्यपि लौंग आईलैंड में मवेशी पर्याप्त संख्या में थे, साथ ही उन्हें पालन और मौसमी आधार पर सार्वजनिक चारागाहों में चराने की जरूरत थी, फिर भी लौंग आइलैंड के मवेशी पालकों के बीच समनुरूप "काउबॉय" परंपरा विकसित नहीं हुई, जो दरअसल चरागाह भूमि पर ही घर बनाकर अपने परिवारों के साथ रहा करते थे।[६८] लौंग आइलैंड में एकमात्र वास्तविक "मवेशी हांक-अभियान" 1776 में हुआ था, जब अमेरिकी क्रांति के दौरान ब्रिटिश द्वारा कब्जा कर लिए जाने से बचाने के लिए आइलैंड के मवेशियों को हटाने का विफल प्रयास किया गया था और बाद में 1930 के दशक में तीन या चार हांक-अभियान हुए, जब डीप होलो रैंच के करीब की चारागाह भूमि के लिए मवेशियों को मोंटॉक हाइवे ले जाया गया था।[६८]

वर्जीनिया के पूर्वी तट पर, 'सौल्ट वाटर काउबॉय" नाम से ख्यात काउबॉय जंगली चिंकोटीग (Chincoteague) टट्टुओं या छोटे घोड़ों (पोनी) को असाटीग (Assateague) द्वीप से पकड़ कर लाया करते थे और वार्षिक पोनी पेनिंग (बाड़े में डालना) के दौरान उन्हें असाटीग चैनल के पार चिंकोटीग द्वीप के पशु बाड़ों में डालने के लिए ले जाया करते थे।

कनाडा के काउबॉय

कनाडा में पारंपरिक रूप से पशुपालन पर अल्बर्टा नामक प्रांत का प्रभुत्व रहा। प्रांत के प्रारंभिक अधिवासियों में सबसे अधिक सफल थे पशुपालक, जिन्होंने अल्बर्टा की पर्वतीय तलहटी को मवेशी पालन के लिए सबसे उपयुक्त पाया। अल्बर्टा के अधिकांश पशु पालक अंग्रेज अधिवासी थे, लेकिन जॉन वेयर जैसे काउबॉय अमेरिकी थे, जिन्होंने 1876 में इस प्रांत में पहला मवेशी लाया।[६९] 1880 के दशक तक दक्षिणी अल्बर्टा में (और, एक हद तक, दक्षिणी-पश्चिमी सस्कचेवन में) अमेरिकी शैली के खुले क्षेत्र की सूखी भूमि का पशुपालन हावी होने लगा। करीब का कैलगरी शहर कनाडा मवेशी उद्योग का केंद्र बन गया, इससे इसका उपनाम "काउ टाउन" पड गया। अल्बर्टा में मवेशी उद्योग अभी भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है और उस प्रांत में मवेशियों की संख्या मनुष्यों से अधिक है। अमेरिका की ही तरह पशु फार्मों के खुले क्षेत्रों की जगह कांटेदार तारों के घेरा ने ले लिया, लेकिन काउबॉय का प्रभाव बना रहा। कनाडा का पहला रोडीओ, रेमंड स्टाम्पेड, 1902 में स्थापित किया गया था। 1912 में, कैलगरी स्टाम्पेड शुरू हुआ और आज यह दुनिया का सबसे अमीर नकदी रोडीओ है। हर साल, कैलगरी के उत्तरी प्रतिद्वंद्वी एडमॉन्टन, अल्बर्टा कनाडियन फाइनल्स रोडीओ का आयोजन करते हैं और पूरे प्रांत से दर्जनों क्षेत्रीय रोडीओ संघटित हुआ करते हैं।

उत्तरी अमेरिका के बाहर के काउबॉय

मूल मैक्सिकन वाकुएरो के अलावा, मैक्सिकन चार्रो (charro), उत्तर अमेरिकी काउबॉय और स्पेनिश हवाईयन पैनिओलो ने भी अपनी घुड़सवारी की कला और पशुपालन के ज्ञान का निर्यात अर्जेंटीना, उरुग्वे, पराग्वे में गौचो (gaucho) और (गौचो (gaúcho) वर्तनी के साथ) ब्राजील,[७०] पेरू में चालान (chalan), वेनेजुएला में ल्लानेरो (llanero) और चिली में हुसाओ (huaso) नाम से किया।

ऑस्ट्रेलिया में, जहां फार्म मालिकों को स्टेशन्स के नाम से जाना जाता है, काउबॉय को स्टॉकमैन और ड्रोवर्स[७१] के रूप में जाना जाता है (प्रशिक्षु स्टॉकमैन को जैकरूस (jackroos) और जिल्लारूस (jillaroos) कहा जाता है). ऑस्ट्रेलियाई ड्रोविंग परंपरा उन्नीसवीं सदी में अमेरिकियों द्वारा प्रभावित हुई और साथ ही कार्य प्रणाली सीधे स्पेन से आयातित हुईं. स्थानीय आवश्यकताओं के लिए इन दोनों परंपराओं के अनुकूलन से एक अद्वितीय ऑस्ट्रेलियाई परंपरा निर्मित हुई, जो ऑस्ट्रेलियाई देसी जनता से भी बहुत अधिक प्रभावित हुई, जिनके ज्ञान ने ऑस्ट्रेलियाई जलवायु में पशु पालन की सफलता में एक प्रमुख भूमिका निभाया।

चराई के लिए जहां कहीं भी व्यापक और खुली भूमि मौजूद हो, वहां घुड़सवारों द्वारा मवेशियों, भेड़ों और घोड़ों की निगरानी करने का विचार आम है। फ्रेंच कामार्गुए (Camargue) में "गार्डियंस" (gardians) नाम से जाने जाने वाले घुड़सवार पशु समूह की निगरानी करते हैं। हंगरी में, क्सिकोस (csikós) घोड़ों की निगरानी करते हैं और गुल्यास (gulyás) मवेशियों की देखभाल करते हैं। टस्कनी (इटली) के मरेम्मा क्षेत्र में मवेशियों की देखभाल करने वालों को बटरोस (butteros) कहते हैं। अस्टुरियन चारागाही आबादी वैक्यूरोस दी अल्ज़दा (Vaqueiros de alzada) के रूप में संदर्भित है।

आधुनिक श्रमिक काउबॉय

न्यू मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को हांकना

पशु फ़ार्म में मवेशियों को खाना खिलाना, ब्रांडिंग करना और उन्हें चिह्नित करना काउबॉय की जिम्मेदारी है (अनेक फार्मों में घोड़ों की भी ब्रांडिंग होती है), इसके अलावा घायल मवेशियों की सेवा तथा अन्य जरूरतों को पूरा करना भी उसीका काम है। श्रमिक काउबॉय के जिम्मे आम तौर पर घोड़ों का एक छोटा समूह या "स्ट्रिंग" हुआ करता है और उसे नियमित रूप से हर मौसम में चारागाह में गश्त लगाना पड़ता है, ताकि वह बाड़े की हुई किसी क्षति की जांच कर सके, चोरी आदि के सबूत पा सके, जल समस्या का निदान कर सके और अन्य प्रकार की चिंता के मुद्दों को हल कर सके। क्षतिग्रस्त के लिए सभी मौसम की स्थिति की जांच और चिंता के अन्य मुद्दे भी.

वे मवेशियों को अलग-अलग चारागाहों में भी ले जाया करते हैं, या उन्हें बाड़े में या फिर ट्रकों पर परिवहन के लिए भी ले जाते हैं। इसके अलावा, काउबॉय और भी अनेक काम किया करते हैं, यह फ़ार्म, भूभाग और मवेशियों की संख्या पर निर्भर करता है। छोटे फार्मों में कम काउबॉय हुआ करते है, अक्सर बस परिवार के सदस्य ही होते हैं, ऐसे फार्मों में काउबॉय को सभी प्रकार के काम करने होते हैं; घेरे की मरम्मत, उपकरणों की व्यवस्था और अन्य सभी छोटे-बड़े काम। एक बहुत बड़े फ़ार्म (एक "बड़ा संस्थान") में अनेक कर्मचारी हुआ करते हैं, सो मवेशी और घोड़ों से जुड़े कामों में काउबॉय विशेषज्ञता हासिल करने में सक्षम होते हैं। काउबॉय जो घोड़ों को प्रशिक्षित किया करते हैं, अक्सर इस काम के विशेषज्ञ होते हैं और कुछ काउबॉय जो युवा घोड़ों को "वश" में करने या उन्हें प्रशिक्षित करने के काम किया करते हैं वे एक से अधिक फार्मों में भी काम करते हैं।

युनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ़ लेबर स्टेटिस्टिक्स ने काउबॉय के आंकड़ों को जमा नहीं किया है, इसलिए काउबॉय की सटीक संख्या अज्ञात है। सपोर्ट एक्टिविटीज फॉर एनिमल प्रोडक्शन की 2003 श्रेणी में काउबॉय शामिल हैं, जिसमें कुल 9,730 श्रमिक संख्या दर्ज है, जिनकी औसत वार्षिक आय $19,340 है। पशु फार्मों, स्टॉकयार्ड और रोडीओ में कर्मचारी या प्रतिभागी के रूप में काम करने वाले काउबॉय के अलावा इस श्रेणी ने अन्य प्रकार के मवेशियों (भेड़, बकरी, सुअर, मुर्गी आदि) के साथ काम करने वाले फार्म कर्मियों को भी शामिल किया है। उन 9,730 श्रमिकों में से 3,290 को स्पेक्टेटर्स स्पोर्ट्स की उपश्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है, जिसमे रोडीओ, सर्कस और थियेटरों में पशुओं का संचालन करने वाले शामिल हैं।

पहनावा

ज्यादातर काउबॉय की पोशाक को व्यावहारिक जरूरत और माहौल, जिसमें काउबॉय काम करते हैं, के हिसाब से विकसित किया गया, जो कभी-कभी पश्चिमी पहनावा कहलाता है। अधिकांश सामग्री मैक्सिकन वाकुएरो से अपना ली गयी थी, हालांकि इसमें अन्य स्रोतों जैसे अमेरिकी अधिवासियों और पहाड़ी लोगों का भी अवदान शामिल है।[७२]

  • काउबॉय टोपी: ऊपर से ऊंचा और सूरज की रोशनी से बचाव के लिए चौड़े किनारे वाला, ऊपर से लटका हुआ ब्रशनुमा और ऐसी ही चीजें. इसके कई बनावट हैं, शुरू में जॉन बी. स्टैटसन के मैदानी इलाके के बूटे से प्रभावित इसके कई बनावट हैं, जो पश्चिम की जलवायु की स्थिति को देखते हुए डिजाइन किये गये थे।[७३]
  • बन्डाना (रंग-बिरंगा रूमाल); एक बड़ा-सा सूती गुलूबंद जिसका इस्तेमाल पसीना पोंछने और धूल की आंधी में चेहरे के कवच के रूप में होता था। आधुनिक समय में, अब ज्यादातर साज-संवार और गर्मी के लिए सिल्क गुलूबंद के इस्तेमाल को ही पसंद किया जाता है।
  • काउबॉय बूट; पैरों के निचले हिस्से की सुरक्षा के लिए ऊंचाईवाला बूट, रकाब में मार्गदर्शन में मदद के लिए नुकीला खुर और जीन पर काम करते हुए रकाब में पैरों को फिसलने से रोकने के लिए ऊंची एड़ी होती है, यह बूट स्पर वाली या बगैर अलग करने वाले स्पर के होती है।
  • चैप्स (आमतौर पर "शैप्स"[७४] (shaps) उच्चारण होता है) या शिंक्स (chinks) घुड़सवार के पैरों की सुरक्षा करता है, जब सवार घोड़े की पीठ पर सवार रहता है, विशेष रूप से सवार के झाड़ीदार मैदान से होकर गुजरने के दौरान या मवेशियों के साथ कठिन काम करते समय.
  • जीन्स या कैनवास या डेनिम के बने अन्य मोटे कसे हुए पतलून पैरों की रक्षा के लिए होते हैं, जो झाड़ियों की रगड़ या उपकरणों या अन्य खतरों से पैरों की सुरक्षा करते हैं। सही ढंग के बने जीन्स के अन्दर की सिलाई चिकनी हुआ करती है, ताकि सवारी के समय जांघ और घुटने छिल न जाएं.
  • आमतौर पर हिरण या अन्य चमड़े के बने दस्ताने काम करने के मकसद से मुलायम और लचीले हुआ करते है, फिर भी कांटेदार तारों, विभिन्न उपकरणों के साथ काम करते वक्त या झाड़ियों और बहुत अधिक उग आये पेड़-पौधों को साफ़ करते समय यह सुरक्षा प्रदान करता है।

ऎसी अनेक सामग्रियों में क्षेत्रीय भिन्नता पायी जाती है। टोपी के किनारे की चौडाई या शैप की लंबाई के मापदंड तथा सामग्री को विभिन्न पर्यावरणीय स्थितियों में कार्यरत काउबॉय की जरूरतों के मुताबिक समायोजित किया गया।

उपकरण

आधुनिक टेक्सास काउबॉय.ध्यान दें कि उनके कपड़े ऊपर उपस्थित 19 वीं सदी के काउबॉय के सामान हैं
  • कमंद (Lariat) स्पैनिश के "ला रियाटा" (la riata) से आया है, जिसका अर्थ "रस्सी" होता है, जिसे कभी कभी, "लैस्सो " (lasso) कहा जाता है, खासतौर पर पूर्व में, या सिर्फ "रोप" कहलाता है। यह एक कसकर लिपेटी गयी सख्त रस्सी होती है, जो मूल रूप से कच्चे चमड़े या परिष्कृत चमड़े का बनी होता है, आजकल सामान्य रूप से नाइलोन का होती है, इसे एक छोर में छोटा फंदा डाल कर बनाया जाता है जो "होंडो" (Hondo) कहलाता है। रस्सी जब होंडो के माध्यम होकर निकलती है तो यह एक फंदा बनाती है जिससे यह आसानी से, सख्ती और तेजी से फिसलती है और किसी जानवर को पकड़े के लिए फेंकी जा सकती है।[७५]
  • स्पर (Spurs); धातु का उपकरण होता है जो बूट की एड़ी से जुड़ा होता है, इसमें धातु का एक उभार हो्ता है, आमतौर पर इसमें एक छोटा-सा दांतदार पहिया लगा होता है, जो सवार घोड़े के पांव में अपेक्षाकृत मजबूत (या कभी-कभी बिल्कुल सटीक) संकेत देने की सुविधा प्रदान करता है।
  • गोला-बारूद; आधुनिक काउबॉय अक्सर जंगली जानवरों का शिकार होने से अपने ढोर की रक्षा के लिए एक राइफल जरूर रखते हैं, ज्यादातर इसे घोड़े की पीठ में रखने की बजाए पिकअप ट्रक के भीतर ही रखते हैं, हालांकि घोड़े की जीन में राइफल रखने का गिलाफ बना होता है, जहां राइफल को रखा जा सकता है। घोड़े की पीठ पर ज्यादातर एक ही पिस्तौल रखा जाता है। आधुनिक पशुफार्म वाले अक्सर पशुफार्म के खतरों जैसे रैटेल सांप, काइओट और बदमाशों उन्मत्तों से निपटने के लिए। 22 क्षमतावाले "वरमिट" राइफल का इस्तेमाल करते हैं। जंगल के पास के क्षेत्रों में, पशु फार्म के काउबॉय पहाड़ी शेरों से बचाव के लिए बड़े शिकारियों जैसे उच्च क्षमतावाले राइफल लेकर चलते हैं। इसके विपरीत, 1880 के दशक के काउबॉय आमतौर पर उच्च क्षमतावाले सिंगल एक्शन .44-40 या .45 कोल्ट पीसमेकर (1872 का सिंगल एक्शन आर्मी का असैनिक संस्करण) जैसा रिवॉल्वर लिया करते थे।[७६] 1880 के दशक के कामकाजी काउबॉय विरले ही लंबी बंदूक लिया करते थे, क्योंकि काम करते हुए यह आड़े आता है और यह अतिरिक्त वजन वाला होता है। हालांकि, बहुत सारे काउबॉयों के अपने राइफल होते हैं और अक्सर मौसम के पहले या बाद में बाजार में शिकार के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।[७७] बहरहाल, बहुत सारे मॉडलों का इस्तेमाल होता था, जो काउबॉय अंशकालिक बाजार शिकारी होते वे राइफल लेना पसंद करते ताकि उन्हें .45-70 सरकारी गोलाबारूद जैसे शार्प, रैमिंगटन, स्प्रिंगफिल्ड जैसे कुछ मॉडल साथ ही साथ विनचेस्टर 1876 भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो जाए.[७८] हालांकि, लंबे हथियार में इससे कहीं अधिक सबसे लोकप्रिय बार -बार लीवर-एक्शन करनेवाला विनचेस्टर हुआ करता था, खासतौर पर इसका हल्का मॉडल, जैसे कि 1873 मॉडल; इसमें कोल्ड के रूप में उसी .44/40 आयुध के लिए जगह होती थी, इससे काउबॉय सिर्फ एक तरह की गोली लेकर चलता था।[७९]
  • चाकू; काउबॉय पारंपरिक रूप से कुछ तरह के जेब में रखे जानेवाले चाकू विशेष रूप से तहाकर रखे जानेवाले मवेशी चाकू या ढोर चाकू रखना पसंद करते हैं। चाकू में कई करह के ब्लेड होते है, आमतौर पर चमड़ा और एक "शीप्सफूट" (sheepsfoot) ब्लेड लगा होता है।
  • अन्य हथियारों; बारूद का आविष्कार होने बाद अमेरिकी आधुनिक काउबॉय के अस्तित्व में आए, लेकिन उससे पहले पुराने जमाने के चरवाहे कभी-कभी भारी-भरकम धनुष, तीर और बर्छे जैसे उपकरण से सुसज्जित होते थे।

घोड़े

काउबॉय के लिए यातायात का पारंपरिक साधन, यहां तक कि आधुनिक समय में भी, घोड़े की पीठ पर सवारी है। घोड़े शैल प्रदेश की भी यात्रा कर सकते है जो कि वाहन नहीं कर सकते. घोड़े, गधों और खच्चरों के साथ ढुलाई के काम आते हैं। पशु फार्म में सबसे महत्वपूर्ण घोड़ा वह होता है जो रोजमर्रा के काम किया करता है और जो विभिन्न तरह के काम कर सकता है; झुंड से मवेशियों को अलग करने (कटिंग) या फंदा डाल कर पकडने (रोपिंग) जैसे विशेष तरह के काम के लिए ऐसे घोड़ों को प्रशिक्षित किया जाता है, पशु फार्मों में यह बहुत ही विरला होता है। क्योंकि पशु के साथ काम करते हुए सवार को अपना एक हाथ खाली रखना अक्सर जरूरी होता है, घोड़े की गर्दन पर लगाम होनी चाहिए और काऊ सेंस - सहज रूप से यह जानना जरूरी है कि पशुओं के बारे में पूर्वानुमान कैसे लगाया जाए और प्रतिक्रिया कैसे जतायी जाए.

मवेशियों के उचित काम के लिए स्टॉक टाइप हॉर्स

एक अच्छे स्टॉक घोड़े का एक छोटा पक्ष यह है, कि सामान्य तौर पर गर्दन के नीचे पीठ का हिस्सा 15.2 हाथ (62 इंज) लंबा और 1000 पाउंड के भीतर वजन, छोटी-सी पीठ के साथ पुष्ट पांव, मजबूत पुट्ठा; खासतौर पर पीछे पैरों का पुट्ठा होता है। रस्सी का फंदा डाल बछड़े को पकड़ने का काम आनेवाले घोड़े को किसी भारी वयस्क गाय, बैल या बछड़े को रस्सी में पकड रहने के लिए अपेक्षाकृत बड़ा और अधिक वजनदार होने की जरूरत हो सकती है, जबकि एक छोटे, फुर्तीले घोड़े की जरूरत पशुओं के झुंड से किसी एक को अलग करने या फंदा डालकर बछड़े को पकड़ने जैसी गतिविधियों के लिए होती है। घोड़े के लिए बुद्धिमान, दबाव के समय शांत होना जरूरी है और साथ में कुछ हद तक "गाय को समझने की समझ" (काउ सेन्स) - मवेशी के व्यवहार और उसकी गतिविधि को समझने की क्षमता होना जरूरी है।

घोड़े की बहुत सारी नस्ल को अच्छा स्टॉक घोड़ा बनाया जाता है, लेकिन आज नॉर्थ अमेरिका में सबसे आम अमेरिकन क्वार्टर होर्स है, यह एक घोड़े की नस्ल है जो प्राथमिक रूप से टैक्सास में मस्तंग के अच्छी नस्ल के घोड़े और अन्य इबेरियन घोड़े के वंशज को अरबी घोड़े के प्रभाव के साथ वर्ण संकर प्रजनन से विकसित किया गया; और पूर्वी तट में मॉर्गन जैसा घोडा और चिकसॉ और वर्जिनिया क्वार्टर-मिलर जैसे विलुप्त नस्ल को विकसित किया गया।

घोड़ों के उपकरण या टैक

एक पश्चिमी काठी

घोड़े की सवारी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण टैक कहलाता है इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पश्चिमी जीन (Western saddle), एक खास तरह से डिजाइन किया गया जीन होता है जो घोड़े और सवार को कई-कई घंटों तक काम करने में मदद करता है और उबड़-खाबड़ इलाके में या जब झुंड में रहते हुए पशु के व्यवहार की प्रतिक्रिया में तेजी से घोड़े को दौड़ाना पड़ता है तब यह सवार को सुरक्षा भी प्रदान करता है। एक पश्चिमी जीन में ऊंचे पॉमेल (pommel) के साथ गहराईवाली सीट और कंटेल (cantle) होती है, जो सुरक्षा प्रदान करती है। इसके गहरे, चौड़े रकाब (stirrups) पैरों को आराम और सुरक्षा प्रदान करते हैं। मजबूत, चौड़ी लकड़ी की जीन का ढांचा कच्चे चमड़े (या आधुनिक सिंथेटिक सामग्री से बना) से ढंका होता है, जो घोड़े की पीठ के पूरे बड़े-से क्षेत्र में सवार के वजन को वहन करता है, पाउंड में यह प्रति वर्ग इंज उठाये वजन को कम करता है और नुकसान पहुंचाये बिना घोड़े पर अधिक से अधिक समय तक सवारी करने की अनुमति देता है। सवार के सामने जरा नीचे की ओर सींग होता है जिस पर कमंद (lariat) लटकाया जा सकता है और जीन पर अतिरिक्त उपकरण को बांधने के लिए चुने हुए डी छल्ले और जीन की चमड़े की रस्सी होती है।[८०]
  • गद्देदार जीन; पश्चिमी जीन में एक गद्दा या पैड जरूरी होता है, जो घोड़े को आराम और सुरक्षा प्रदान करता है।
  • सैडेल बैग (चमड़े या नायलॉन) जीन में केंटल के पीछे विभिन्न तरह के सूखे सामग्रियों और अतिरिक्त सामानों को ढोने के लिए लगाया जा सकता है। अतिरिक्त बैग को सामने की ओर या जीन से जोड़ा जा सकता है।
  • नकेल (Bridle); विभिन्न तरह की परिस्थितियों में घोड़े को नियंत्रित करने के लिए एक पश्चिमी लगाम में आमतौर पर एक कर्ब बिट (curb bit) और लंबा विभाजित लगाम (rein) होता है। आम तौर पर नकेल नाक में पिरोये गए एक पट्टे (noseband) के बगैर सामने की ओर तब तक खुला होता है, जब तक कि इसे बांध कर सवारी नहीं कर ली जाती. फार्म के युवा घोड़ों के सीखने के बुनियादी कार्य आमतौर पर पूरी तरह से जुड़े, ढीले-ढाले छल्लेदार नरम लगाम, कभी-कभी एक साथ जुड़े जेरबंद लगाने का हैं। कुछ क्षेत्रों में, खासकर वैक्वेरो (vaquero) या बकैरो (buckaroo) परंपरा का "कैलिफोर्निया" स्टाइल अब भी बहुत ही चलता है, जवान घोड़े अक्सर बोसेल स्टाइल के हैकामोर में दिखते हैं।
  • घोड़ों पर जेरबंद का बहुत तरह का इस्तेमाल देखा जाता है वह प्रशिक्षण या व्यवहारगत समस्या का कारण है।

वाहन

आधुनिक पशु फार्म में काम के लिए चलाया जानेवाला सबसे आम मोटरचालित वाहन पिकअप ट्रक है। निकासी के लिए बहुत ही मजबूत और विशाल जगह के साथ इसमें एक खुला बॉक्स होता है जो बेड कहलाता है, जिसमें शहर से सामान ढोकर आपूर्ति करने और पशु फार्म के उबड़-खाबड़ रास्ते में चार पहियों पर चलने की क्षमता होती है। ढोर और डंगरों को एक जगह से दूसरी जगह या बाजार लाने-ले जाने के लिए मवेशी ट्रेलर को खीचने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। होर्स ट्रेलर जोड़ देने पर यह घोड़ों को दूर-दराज के इलाकों में, जहां कहीं भी इनकी जरूरत हो सकती है, ले जाया जाता है। कुछ काम के लिए घोड़ों के बदले में कभी-कभी मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल होता है, लेकिन छोटे वाहन के रूप में सबसे ज्यादा आम चार-पहियोंवाला वाहन ही है। पशु फार्म के चारों ओर यह छोटे-मोटे कामों के लिए एक काउबॉय को झटपट ले चलेगा. भारी बर्फबारी वाले जगहों में, स्नोमोबाइल (snowmobile) बहुत आम है। बहरहाल, आधुनिक यंत्रीकरण के बावजूद, अब भी कुछ काम बाकी रह जाता है, खासतौर पर उबड़-खाबड़ इलाके या क्वार्टर के करीब मवेशियों से जुड़े काम होते हैं, इन्हें घोड़े की पीठ पर सवार होकर काउबॉय सबसे अच्छे से करते हैं।

रोडीओ काउबॉय (घुड़सवार चरवाहों की सार्वजनिक प्रतिस्पर्धा)

काठी ब्रौंक प्रतियोगिता में एक रोडियो काउबॉय

रोडीओ (rodeo) शब्द स्पैनिश रोडेअर (rodear) (बारी) से बना है, जिसका मतलब है राउंडअप (roundup) (मवेशियों को इकट्ठा करना). शुरुआत में श्रमिक काउबॉय (working cowboy) और रोडीओ काउबॉय (rodeo cowboy) में कोई फर्क नहीं था और दरअसल, श्रमिक काउबॉय शब्द का इस्तेमाल 1950 के दशक तक चलन में नहीं आया था। इससे पहले यह मान लिया गया था कि सभी काउबॉय श्रमिक काउबॉय थे। पुराने काउबॉय दोनों तरह का काम करते थे - पशु फार्म में और मवेशियों को इकट्ठा करने के कौशल का प्रदर्शन.[८१]

पेशेवर रोडीओ के आगमन ने काउबॉय को, बहुत सारे एथलीटों की तरह दर्शकों के सामने अपने कौशल का प्रदर्शन करके रोजी अर्जित करने का अवसर दिया। रोडीओ ने ऐसे बहुत सारे कामकाजी काउबॉयों को र्रोजगार मुहैया कराया, जिन्हें मवेशियों का प्रबंधन करने की जरूरत थी। बहुत सारे रोडीओ काउबॉय श्रमिक काउबॉय भी हैं और इनमें से ज्यादातर के पास श्रमिक काउबॉय का अनुभव है।

रोडीओ काउबॉय का पहनावा शहरी श्रमिक काउबॉयों से बहुत अलग नहीं है। बछड़े या सांड के सींग से चोट लगने से बचने के लिए काउबॉय के शर्ट के बटन की जगह इस्तेमाल की जानेवाली चीज उसे चुटकी में तड़ाक से शर्ट को उतार देने की सुविधा देती है। स्टाइल को अक्सर पुराने फिल्म उद्योग से रोडीओ के लिए रूपांतरित कर लिया जाता था। कुछ रोडीओ प्रतियोगी, विशेष रूप से महिलाएं पारंपरिक और खेल के प्रदर्शन के दोनों ही में अपने पोशाक में ‍सलमा-सितारे, रंग, चांदी और लंबे झालर जोड़ने को सहमत होती हैं। जंगली घोड़े को जीन पहनाना या सांड की सवारी जैसे "रफ स्टोक" इवेंट में आधुनिक सवार केवलर (kevlar) वेस्ट या गर्दन के पट्टे जैसे कुछ सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन जहां तक सुरक्षा हेलमेट के इस्तेमाल की बात है तो चोट लगने के लगातार खतरे के बावजूद काउबॉय टोपी के बदले इसे स्वीकारा जाना अभी बाकी है।

अमेरिकी क्रांति

"काउबॉय" शब्द का प्रयोग अमेरिकी क्रांति के दौरान उन अमेरिकी सेनानियों के लिए किया गया था जिन्होंने आजादी के लिए आंदोलन का विरोध किया था। वफादारी के निमित्त अपराध कार्य में लिप्त रहने के लिए जाने जानेवाले क्लोडिअस स्मिथ को उपनिवेशों से बैलों, गायों और घोड़ों को चुराने की प्रवृत्ति और उन्हें अंग्रेजों को दे देने के कारण "काउबॉय ऑफ द रामपोज" (Cow-boy of the Ramapos) कहा जाता था।[८२] कुछ ही समय तक, वेस्टचेस्टर काउंटी में बहुत सारे छापामार जत्था सक्रिय थे, जो ब्रिटिश और अमेरिकी सेना के बीच की लाइन को चिह्नित करने का काम करते थे। ये दल स्थानीय कृषि श्रमिक से बने थे, जो सुरक्षा के लिए घात लगाते और दोनों ओर छापा मारते थे। वहाँ दो अलग दल थे: "स्कीनर्स" जो आजादी-समर्थकों की ओर से लड़ते; और "काउबॉय" अंग्रेजों का समर्थन करते.[८३][८४]

लोकप्रिय संस्कृति

जैसे ही सीमा समाप्त होती है, काउबॉय के जीवन का बहुत ही रूमा‍नीकरण कर दिया जाता है। बफलो बिल कोडी'ज वाइल्ड वेस्ट शो जैसी प्रदर्शिनियां वीरता की परंपरा के आदर्श प्रतिनिधि के रूप में काउबॉय की छवि को लोकप्रिय बनाने में मदद करती है।

आज के समाज में, वास्तविक कृषि जीवन की रोजमर्रा की सच्चाइयों की समझ बहुत कम है। काउबॉय को पशु फार्म के काम या मवेशी पालन के वास्तविक जीवन के बजाए अक्सर भारतीय लड़ाई (ज्यादातर काल्पनिक कहानियों में) से जोड़ दिया जाता है। जॉन वेन जैसे अभिनेता को काउबॉय का दृष्टांत मान लिया जाता है, जबकि असली काउबॉय के जीवन से पश्चिमी सिनेमाओं का शायद ही कोई सादृश्य होता है। बेशक, आधुनिक रोडीओ प्रतिस्पर्धा असली काउबॉय के बहुत करीब होती है, क्योंकि इनमें ज्यादातर पशु फार्म और मवेशियों के आसपास से निकल कर आते हैं और बाकी इस काम में मवेशियों के प्रबंधन के कौशल को सीखने की जरूरत होती है।

हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के पश्चिमी के साथ ही साथ ऑस्ट्रेलिया में भी मेहमान पशु फार्म चलानेवाले लोगों को घोड़े की सवारी करने की पेशकश करते हैं और पश्चिमी जीवन का स्वाद लेते हैं - हालांकि यह आरामित से बहुत दूर होता है। कुछ पशु फार्म चलानेवाले मवेशी दौड़ाने या वैगन ट्रेन से जुड़कर असली काउबॉय का काम में भाग लेते हुए छुट्टियां मनाने का प्रस्ताव भी देते है। बिली क्रिस्टल अभिनीत 1991 की फिल्म सिटी स्लीकर्स से इस प्रकार की छुट्टी लोकप्रिय हुई थी।

गांव के लोग के लिए मार्लबोरो मैन की छवि के जरिए मर्दाना आदर्श के रूप में काउबॉय का चित्रण किया गया है।

प्रतीकात्मकता

पश्चिम के लंबे इतिहास की लोकप्रिय संस्कृति में उन्हें काउबॉय या काउगर्ल कहने का चलन है, जिनका पहनावा पश्चिमी होता, फिर चाहे वे घोडे पर सवार हों या न हों. यह उन मामलों में विशेष रूप से सही होता है जब यह मनोरंजन करने के काम से जुड़े लोगों पर लागू होता है और उन पर जो सार्वजनिक क्षेत्र में हैं, अपने व्यक्तित्व के हिस्से के रूप में पश्चिमी पहनावा पहनते हैं।

हालांकि, विशेष रूप से पश्चिम में, बहुत सारे लोग पश्चिमी पहनावा; खासतौर पर काउबॉय बूट या टोपी पहनते हैं, जबकि ज्यादातर मामलों में वे दूसरे किस्म का काम करते हैं, वे वकील या बैंकर के पेशे में होते हैं और अन्य कोई सफेदपोश पेशेवर होते हैं। इसके विपरीत, कुछ लोग जो पशु फार्मिंग से जुड़े होते हैं, वे अपने आपको तब तक काउबॉय या काउगर्ल नहीं बताते हैं जब तक कि वे यह महसूस न करें कि उनका प्राथमिक काम पशुओं से जुड़ा हुआ है या फिर वे किसी घुड़सवार प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हों.

वास्तविक काउबॉयों में उन व्यक्तियों के लिए व्यंग्यपूर्ण अभिव्यक्ति होती है जिन्होंने असली संस्कृति को समझे बगैर काउबॉय के स्वाभाविक व्यवहार को फैशन के ढब के रूप में अपना लिया है। उदाहरण के लिए, एक "ड्रगस्टोर काउबॉय" का मतलब ऐसे किसी व्यक्ति से है जो पोशाक तो पहनता है, लेकिन दरअसल, किसी भी चीज की सवारी नहीं कर सकता, सिवाय ड्रगस्टोर के सोडा फाउंटेन स्टूल के - या, आधुनिक जमाने में बार स्टूल के. कहावत है, "ऑल हैट एण्ड नो कैटेल", जिसका प्रयोग ऐसे लोगों (खासतौर पर पुरुष) के लिए होता है जो वास्तविक उपलब्धियों से दूर आत्मश्लाघा में विभोर होते हैं। शब्द "डूड" (छोकरा) (या अब अप्रचलित शब्द "ग्रीनहॉर्न" (नौसिखिया)) ऐसे लोगों की ओर इशारा है जो व्यक्ति काउबॉय संस्कृति से अनजान है, खासतौर पर उनके लिए जो इनकी नकल करने की कोशिश करते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर, काउबॉय अमेरिकी व्यक्तिवाद के आदिस्वरूप का प्रतीक बन गया है। 1950 के दशक में अंत तक, युवा उप-संस्कृति में कांगो के निवासी इश्तेहार आधारित अपनी शैली और अपना नजरिया हॉलीवुड के फिल्मों में काउबॉय के चित्रण से जोड़ कर देखते हैं। यह बहुत कुछ "अपाचे" शब्द से मिलता-जुलता है, जो कि बीसवीं सदी का है, यह बीसवीं शताब्दी के शुरू में यह भद्दा शब्द पेरिस के सामज में अपराधियों के लिए हुआ करता थ.

नकारात्मक साहचर्य

"काउबॉय" शब्द का प्रयोग नकारात्मक अर्थ में किया जाता है। मूल रूप इसकी व्युत्पत्ति कैनसस के बूमटाउन के कुछ काउबॉय के आचरण से हुई है, मवेशियों को दूर-दूर तक चराने के लिए ले आने के अंत में बड़ी तादाद में चरवाहों में, खासतौर पर तरूण लड़कों में इसके अपरिहार्य प्रभाव के कारण चरवाहों में हिंसा और जंगली आचरण विकसित हो जाती है और समुदायों में पहुंच जाने पर छियपुट पैसे मिलने पर इनमें से बहुत सारे शराब पीने और जुआ खेलने लग जाते हैं।[८५]

विशेषण के रूप में "काउबॉय" शब्द "लापरवाह" के लिए 1920 के दशक में विकसित हुआ।[७] "काउबॉय" का प्रयोग कभी-कभी अपमानजनक अर्थ में ऐसे लोगों के लिए भी किया जाता है, जो संभावित खतरों के प्रति लापरवाह होते हैं या उपेक्षा करते हैं, या गैर जिम्मेदार हैं या जो संवेदनशील या खतरनाक काम करने में लापरवाही बरतते हैं।[८६] टाइम पत्रिका ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की विदेश नीति को "काउबॉय कूटनीति" नाम दिया था,[८७] और प्रेस ने, खासतौर पर यूरोप में बुश को "काउबॉय" कहा था।[८८]

उत्तरी अमेरिका के बाहर अंग्रेजी बोलने वाले क्षेत्रों में, जैसे ब्रिटिश द्वीपों और ऑस्ट्रेलेशिया में काउबॉय ऐसे दस्तकारों, उदाहरण के लिए "ए काउबॉय प्लंबर" के लिए किया जा सकता है, जिनका काम घटिया या संदिग्ध मान का है।साँचा:cn इसी तरह के प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका में देखा गया है, उनके लिए जो कुशल कारीगरी में बगैर पर्याप्त प्रशिक्षण या लाइसेंस के काम करते हों, किया जाता है। पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में, कभी-कभी संज्ञा के रूप में "काउबॉय" का प्रयोग राजमार्ग पर तेज और लापरवाही से गाड़ी चलानेवाले ड्राइवर के लिए किया जाता है।[८९]

कला और संस्कृति में

  • फैशन: पश्चिमी पहनवा, राइन्स्टोन काउबॉय
  • फिल्म: पश्चिमी, पश्चिमी फिल्मों की सूची
  • ललित कला: फ्रेडेरिक रेमिंग्टन, चार्ल्स रसेल, अर्ल डब्ल्यू. बस्कोम, अमेरिका के काउबॉय कलाकार
  • साहित्य: पश्चिमी कहानी, पश्चिमी कहानी के लेखकों की सूची, काउबॉय पद्य
  • संगीत: पश्चिमी संगीत, पश्चिमी झूला, प्रसिद्ध काउबॉय गानों की सूची
  • टेलीविजन: पश्चिमी टीवी
  • खेलकूद: काउबॉय एक्शन शूटिंग, रोडीओ, भारतीय रोडीओ, चर्रेअडा (Charreada).

इन्हें भी देखें

  • खेत
    • पशुधन ब्रांडिंग
    • कृषिक घेराबंदी
  • स्टेशन (ऑस्ट्रेलियाई कृषि)
    • पशुपालक
  • रोडीओ
    • चर्रेअडा
  • काउबॉय चर्च
  • अमेरिकन वेस्ट
  • अमेरिकन ओल्ड वेस्ट
  • पश्चिमी वस्त्र
    • काउबॉय टोपी
    • बॉस ऑफ़ द प्लेन्स
    • काउबॉय बूट
    • लोग
  • ऑडिशन (प्रदर्शन कला) "कैटेल कॉल" के रूप में भी जानी जाती है।
  • काउबॉय और काउगर्ल्स की सूची
  • खेतों और स्टेशनों की सूची
  • झुण्ड
    • चरवाहा
    • गड़रिया
  • ट्रांसह्युमंस

फुटनोट्स

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सन्दर्भ

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आगे पढ़ें

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