कशीदा

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उर्दू साहित्य में बादशाह, धार्मिक या राष्ट्रीय नेता अथधवा किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की प्रसंशा में लिखी गइ कविता को कशीदा कहते हैं। इसका सबसे मुख्य अंश इसकी भूमिका होती है। इसमें हर प्रकार के शेर हो सकते हैं। हाँ उनका संबंध किसी न किसी रूप से बाद की प्रशंसा से हो जाना चाहिए। इसका रूप बहुत कुछ गज़ल के समान ही होता है पर गज़ल के विपरित इसका प्रबंधात्मक होना आवश्यक है। इसकी भाषा कठिन और वागाडंबर से युक्त होती है। भूमिका वाले हिस्से को तस्बीब और बाद के हिस्से को मदस कहते हैं।