कविता कौमुदी
कविता कौमुदी हिन्दी के लोककवि रामनरेश त्रिपाठी की रचना है। यह उन 15 हजार से भी अधिक लोकगीतों का संग्रह है जिन्हें त्रिपाठी जी ने 1925 और 1930 के बीच अवध के गाँव-गाँव में घूम कर संग्रह किया था। सन 1928 के अंत में प्रकाशित इस पुस्तक की प्रथम प्रति महात्मा गाँधी को भेंट की गई थी और उन्होंने मुक्त कंठ से इस प्रयास की सराहना की थी।
कविता कौमुदी पढ़कर विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्हें लिखा था –
- आपनार संकलित ‘कविता कौमुदी’ ग्रंथखानि पाठ करिया परितृप्ति लाभ करियाछि। हिंद-कवितार ए रूप सुंदर एवं धारावाहिक संग्रह आमि आर कोथाओ देखा नाईं। अपनी, एई कवितागुलि प्रकाश करिया भारतीय साहित्यानुरागी व्यक्तिमात्र केइ चिरकृतज्ञता पाशे आबद्ध करियाछेन।
‘कविता कौमुदी’ में लोककाव्य के विविध रूपों – सोहर, कजरी, बिरहा, होरी, मेला गीत, विवाह गीत, विदाई गीत आदि शामिल हैं। इसमें अहीर, कहार, तेली, गड़रिया, धोबी और चमारों के गीतों का भी अदभुत संग्रह है। लोकगीतों की तलाश में लोककवि ने बंगाल, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, साउथ और कश्मीर से लेकर नेपाल तक की यात्राएं की थीं। प्रांतीय भाषाओं के गीतों की झलक भी इस पुस्तक की अलग उपलब्धि है।
बाहरी कड़ियाँ
- कविताकौमुदी भाग-१साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (भारत का अंकीय पुस्तकालय)
- कविताकौमुदी भाग-३ (१९२८)साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (भारत का अंकीय पुस्तकालय)