कलीता जाति
कलिता ( কলিতা ) पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य मे पायी जाने वाली एक जाति है। यह जाति संयुक्त रूप से स्वयं को क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत मानती है।[१] बहुत पहले 15वी-16वी शताब्दी मे कलिता साम्राज्य के अस्तित्व के ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध है।[२] कलिता जाति सामान्य वर्ग के अन्दर आति हे[३] ।
उत्पत्ति
कलिता जाति की उत्पत्ति प्रमाणो के संदिग्ध होने के कारण विवादास्पद है। 'पौराणिक परम्पराओ के अनुसार कलिता पवित्र आर्य माने जाते है।[४] आर्यों से उत्पत्ति का सिद्धान्त वर्तमान व्यावसायिक जाति के उदय से पूर्व कलिताओ के आगमन का संकेत देता है। कलिता समान्यतः क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत सम्मिलित होते है व स्वयं को "कुललुप्त" कहते है,[१]</ref> "कुल" अर्थात जाति व "लुप्त" अर्थात खोया हुआ ( जाति लुप्त), इस संदर्भ मे यह कथन प्रचलित है कि परूषराम ने जब सम्पूर्ण पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करने का प्रण लिया तो उनके भय से कालीता जो कि मूल रूप से क्षत्रिय थे भाग खड़े हुये। परंतु शब्द शास्त्र के अनुसार यह कथा उचित प्रतीत नही होती है।[५]
असम मे कलिता जाति पदानुक्रम मे ब्राह्मणो के बाद प्रथम स्थान पर गिने जाते है।[६][७] कुछ दंतकथाओ के अनुसार वे गैर वैदिक आर्य है, जिन्होने असम मे आर्य सभ्यता प्रतिपादित की। स्थानीय लोगो मे सम्मिलित होकर व स्व-संस्कृति पर स्थानीय प्रभाव के बावजूद भी, उनमे आर्य सभ्यता की परंपराए कुछ हद तक आज भी विद्यमान है।[७]
डॉ॰ बी॰एस॰ गुह के अनुसार गुजरात के नागर ब्राह्मणो व कामरूप के राजा भास्करवर्मन द्वारा निधानपुर मे भू-दान मे प्रयुक्त उपनामो मे समानता पायी गयी है, जैसे कि दत्त, धर,देव, नंदी,सेन व वसु आदि। अतः इन्हे असम के कलिताओ से मिला के देखा जा सकता है। [८] परंतु निधानपुर ताम्रपत्रों का उल्लेख करते हुये इतिहासकर "फणी डेका" के अनुसार यह सारे नाम कायस्थों मे प्रयुक्त होते है।[९]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ The great Indian corridor in the east स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। by Phani Deka
- ↑ साँचा:cite book