करीब करीब सिंगल
क़रीब क़रीब सिंगल | |
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चित्र:Qarib Qarib Singlle poster.jpg | |
निर्देशक | तनुजा चंद्र |
निर्माता |
|
पटकथा |
तनुजा चंद्र ग़ज़ल धालीवाल रामाश्रित जोशी |
कहानी | कामना चंद्र |
अभिनेता |
इरफ़ान ख़ान पार्वती तिरुवोत |
संगीतकार |
संगीत: बेनेडिक्ट टेलर नरेन चंदावरकर गानें: अनु मालिक रोचक कोहली विशाल मिश्रा |
छायाकार | ईशित नारायण |
संपादक | चंदन अरोड़ा |
स्टूडियो |
जी स्टूडियोज़ जे॰ ए॰ आर॰ पिक्चर्ज़ |
वितरक | ज़ी स्टूडियोज़ |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
[[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
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समय सीमा | 125 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
कुल कारोबार | ₹24.11 करोड़[१] |
क़रीब क़रीब सिंगल ज़ी स्टूडियोज़, जे॰ ए॰ आर॰ पिक्चर्ज़ और सुतापा सिकदर द्वारा निर्मित तथा तनुजा चंद्र द्वारा सह-लिखित और निर्देशित एक भारतीय हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म है जो 2017 में रिलीज़ हुई थी।[२][३] 10 नवंबर 2017 को वैश्विक स्तर पर रिलीज़ की गई इस फ़िल्म की प्रमुख भूमिकाओं में इरफ़ान ख़ान और मलयाली अभिनेत्री पार्वती तिरुवोत समावेश हैं।[४][५][६]
फ़िल्म की कहानी विधवा जया शशिधरन पर केंद्रित है जो अकेली रहती है और एक बीमा कंपनी में काम करती है। एक दिन वह अबतकसिंगल.कॉम नामक ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट पर योगी को मिलती है। वे दोनों योगी की तीन पूर्व प्रेमिकाओं से मिलने के लिए देश भर में यात्रा करते हैं जिसके दौरान वे एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं।[७][८]
कथानक
एक बीमा कंपनी में काम करनेवाली 35 साल की विधवा जया शशिधरन अपने पति मानव की मृत्यु का शोक मनाते हुए एक प्रेमहीन, नीरस ज़िंदगी गुज़ारती है। अपने परिवार और दोस्तों के हमेशा के तानों से तंग आकर वह अबतकसिंगल.कॉम नाम के एक डेटिंग वेबसाइट पर दर्ज़ होती है। हालाँकि शुरू में उसे कईं अजीब संदेश आते हैं, वह आख़िरकार योगी नाम के आदमी से मिलने का योजना बनाती है।
वह सच्चा, बातूनी और इंटरनेट का काफ़ी ज्ञानी अख्यात कवि योगेंद्र "योगी" देवेंद्रनाथ प्रजापति से मिलती है जिसकी प्रकाशित कविताओं की किताब इतनी अच्छी तरह से नहीं बिकी होती है। योगी की मदद से जया अपनी डेटिंग वेबसाइट से अजीब संदेश मिटाती है। हालाँकि शुरू में जया को योगी पसंद नहीं आता, वह आख़िरकार उससे फिर से मिलने को राज़ी होती है। बातों में योगी अपनी 3 पूर्व प्रेमिकाओं के बारे में बताता है जो अभी भी उसे चाहती हैं। योगी की बात में सच्चाई जाँचने के लिए जया योगी को उन प्रेमिकाओं से मिलने को चैलेंज करती है। योगी जया को उसके साथ में आना का अनुरोध करता है जो थोड़ी हिचकिच के साथ जया मान लेती है। पूछे जाने पर जया ख़ुद को योगी की चचेरी बहन के रूप में पहचान करने को मान जाती है। वह सबको बताती है कि वह काम से बाहर जा रही है। वह अपने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में पढ़ रहा भाई आशीष को बताती है कि वह एक ध्यान शिविर पर जा रही है जहाँ वह बात नहीं कर सकती और इसीलिए ऑनलाइन नहीं आ पाएगी।
वे पहले देहरादून जाते हैं। योगी की फ़्लाइट छूट जाती है जिसकी वजह से जया डर जाती है। वह आख़िरकार योगी से विमानस्थल पर मिलती है और वे अपने यात्रा शुरू करते हैं। रास्ते में योगी जया से पानी माँगता है लेकिन जया उसे मना करकर बताती है कि वह अपना बोतल किसी को अपना बोतल नहीं देती।
जया एक यात्रा वेबसाइट पर अत्यधिक अनुशंसित एक आश्रम में दोनों के लिए कमरे बुक करती है। बाद में वे एक शानदार गंगा आरती में शामिल होते हैं। रात में वे अपने आस-पास के कमरों से टेलीफ़ोन पर बात करते हैं और योगी तुरंत ही सो जाता है जिसकी वजह से बेचैन जया और बेचैन हो जाती है। अपने दिन, वे योगी की पहली पूर्व प्रेमी राधा से मिलते हैं जो अब ख़ुशी-ख़ुशी शादीशुदा होता है। जया ख़ुद को योगी की चचेरी बहन के रूप में पेश करती है और आश्चर्यचकित होती है जब राधा के बच्चे योगी को मामा बुलाते हैं। राधा के पति अपनी साहसिक कंपनी के माध्यम से मेहमानों को एक रिवर राफ़्टिंग अभियान पर ले जाता है। बाद में शाम को वे अलाव के चारों ओर इकट्ठे होते हैं और योगी उन्हें एक गाना सुनाता है।
जया और योगी अपने-अपने कमरे में लौटते हैं और फिर से फ़ोन पर एक-दूसरे से बात करते हैं। जब योगी खर्राटे लेने लगता है तो जया एक आम दरवाज़े से उसके कमरे में जाकर रिसीवर को वापस अपनी जगह पर रख देती है। तथापि, थकी हुई जया अपने पीछे के दरवाज़े को बंद करना भूल जाती है।
अगली सुबह वह अपने कमरे में योगी द्वारा पिछली शाम को गाया गया गाना गा रही होती है जब योगी गाने को धुन देने के लिए दरवाज़े पर झुकते हुए उसके कमरे में पहुँच जाता है। जया उसे बाहर निकालने के लिए उस पर चिल्लाती है क्योंकि वह उसे नग्न देख लेता है।
हादसे के बाद वे फ़ेयरी क्वीन ट्रेन पर सवार होकर जयपुर के लिए रवाना होते हैं। पकौड़े की तलाश में खाने के पारखी योगी का ट्रेन छूट जाता है जिसकी वजह से जया डर जाती है। उसका लैपटॉप बैग योगी के पास छूट जाता है जो ग़लती से दूसरी ट्रेन में चढ़ जाता है। वह उसके गुलज़ार लैपटॉप पर वीडियो कॉलिंग पेज खोलता है। जया का भाई आशीष उसे स्क्रीन पर घूरता हुआ देखता है और उसे लैपटॉप चोर बुलाता है। घबराहट में योगी स्क्रीन बंद कर देता है। दूसरी और योगी के लगातार फ़ोन करने की वजह से जया उससे नाराज़ होती है। वह उसकी कॉल का जवाब नहीं देती। जया रिज़ॉर्ट में जाती है और एक विदेशी के साथ सफ़ारी पर अपनी शाम का आनंद लेती है। रिज़ार्ट पहुँचने के लिए ज़मीन आसमान एक करने के बाद जया को उस विदेशी के साथ देखकर योगी को जलन होती है।
पहले योगी के सनकी तरीक़ों की वजह से जया अपनी यात्रा रद्द करने का निर्णय लेती है लेकिन वह उसे समझाता है कि उन दोनों के जीवन को देखने और जीना का बस तरीक़ा अलग है। अंततः जया मान जाती है और योगी की दूसरी प्रेमिका अंजलि के साथ मिलती है। वह एक औषधालय से नींद की गोलियाँ ख़रीदती है और जिज्ञासु योगी से बात न करने के लिए 3-4 गोलियाँ पी लेती है। जल्द ही उस पर शामक का प्रभाव होता है और उसके बरताव में बदलाव आता है।
अंजलि अपने पारंपरिक अवतार को बदलकर एक मोहक महिला के रूप में उभरी होती है। यह खुलासा होता है कि योगी से मिलने के लिए वह अपनी सालगिरह की पार्टी छोड़ आई है। फिर से योगी की चचेरी बहन के रूप में परिचित जया अंजलि की तारीफ़ करती है और गोलियों के प्रभाव में काम करना जारी रखती है। योगी अंजलि को घर पहुँचाता है जहाँ पर उसके लिए एक तारे देखने की पार्टी चल रही होती है। वह उसे गले लगाती है और चूमती है। नशे में धुत जया यह देखती है और योगी को धोखेबाज़ बुलाती है जिससे उसकी विकासशील भावनाओं का संकेत होता है। अंततः थक कर जया तारोंवाले आसमान के नीचे योगी के पास सो जाती है।
अगली सुबह जया ख़ुद को योगी के कमरे में पाकर हैरान होती है। यह कोमल क्षण विचलित हो जाता है जब अंजलि बारंबार योगी को कॉल करती है। उसकी चुलबुली बातें सुनकर जया परेशान होकर कमरे से बाहर निकलती है। अंजलि योगी को याद दिलाती है कि उनके रिश्ते की शुरुआत में उसे भी योगी की चचेरी बहन के रूप में परिचित किया जाता था। वह योगी को बताती है कि जया उसके लिए एक अच्छी जोड़ी है।
अगली सुबह वे दोनों योगी की तीसरी प्रेमिका को मिलने के लिए गांतोक जाते हैं। अभी भी नाराज़ जया खुलासा करती है कि वह योगी के साथ सिर्फ़ इसलिए आई है ताकि वह अपने पूर्व प्रेमी से मिल सके जो अब शहर में एक बहुत प्रख्यात व्यक्ति माना जाता है। यह रहस्योद्घाटन योगी को परेशान करता है लेकिन वह योजना के साथ जाता है। वे जया के पूर्व प्रेमी द्वारा उधार दिए गए हेलीकॉप्टर पर यात्रा करते हैं जिसके दौरान जया को उलटी होती है। ज़मीन पर अवतरण होने के बाद जया ताज़ा होने के लिए टॉयलेट जाती है। वहाँ वह श्रीमती सलूजा सहित पार्लर की कुछ बूढ़ी औरतों से मिलती है। वे औरतें जया की प्रेमहीन ज़िंदगी को लेकर उसका मज़ाक उड़ाते है लेकिन जया बताती है कि वह एक आदमी के साथ यात्रा में आई थी लेकिन यात्रा ख़राब होने की वजह से वह अपने पूर्व प्रेमी से मिलने जा रही है। यह सुनकर वे औरतों का मुँह बंद होते हैं।
होटल में जया एक सुंदर साड़ी पहनती है और एक कैफ़े में अपने पूर्व प्रेमी का इंतज़ार करती है जबकि योगी अपनी वापसी का टिकट बुक करकर लौटने की तयारी करता है। ग़लती से उन दोनों का मिलन होता है और जया योगी को अपने अतीत पर अटका स्वार्थी इंसान बुलाकर उससे अलग होने की बात करती है। योगी जवाब के तौर में कहता है कि जया अभी भी वही लड़की है और पूछता है यदि उसका पूर्व प्रेमी भी उन दोनों के जैसा ही अकेला है। उसकी टिप्पणी का दंश महसूस करने के बाद जया उसके महत्व न समझनेवाले लोगों को कॉल करकर बताती है कि उसे तभी कॉल करें जब उन्हेंने उनकी दोस्ती को आगे बढ़ाना हो। वह अपने सरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से अपना पासवर्ड हटा देती है जो "मानव135" था।
जया अपने पूर्व प्रेमी से मिलती है और वे उसके घर पर एक साथ अच्छा समय बिताते हैं। योगी अपनी तीसरी प्रेमिका से मिलने जाता है जो एक नृत्य प्रशिक्षक होती है। खिड़की से वह उसके नृत्य प्रशिक्षण देखता है। वह उसके दरवाज़े पर एक नोट छोड़ता है जिसमें वह उसे अपने जीत के लिए सलाम करता है और चुपचाप चला जाता है। होटल में लौटकर वह अपना सामान बाँध लेता है और जया के कमरे में जाता है जहाँ पर वह उसका लैपटॉप देखता है। उसने योगी की कविताओं का वेबपेज बनाई होती है जिसे देखकर योगी बहुत ख़ुश होता है। उसका भाई चैट पर आता है और पूछता है यदि योगी उसका प्रेमी है। जया के लिए अपनी भावनाओं को महसूस करते हुए योगी वहाँ से निकलता है। वह जया की खोज में रोपवे कर में चढ़ जाता है। वे दोनों एक ही रास्ते से जा रहे होते हैं जब जया उसे दूसरे कार से बुलाती है। उत्साहित योगी इस बार नहीं चूकता और केबल कार में कूद जाता है। वे मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को देखते हैं।
योगी उससे उसका बोतल माँगता है जो वह ख़ुशी-ख़ुशी उसे देती है।
अभिनेतावृंद
- इरफ़ान ख़ान योगेंद्र "योगी" कुमार देवेंद्रनाथ प्रजापति की भूमिका में
- पार्वती तिरुवोत जया शशिधरन की भूमिका में
- नेहा धूपिया अंजलि की भूमिका में
- पुष्टि शक्ति राधा की भूमिका में
- अवनीत कौर कपड़े की दुकान में किशोरी की भूमिका में
- बृजेंद्र कला होटल अभ्यर्थक की भूमिका में
- अमन शर्मा टैक्सी ड्राइवर सलिल की भूमिका में
- ईशा शरवानी गौरी की भूमिका में
- ल्यूक केनी सिडकॉंग की भूमिका में
- नवनीत निशान श्रीमती सलूजा की भूमिका में
- निधि जोशी मेघना की भूमिका में
- सिद्धार्थ मेनन जया के छोटे भाई आशीष की भूमिका में
निर्माण
विकास
क़रीब क़रीब सिंगल एक ऐसी कहानी पर आधारित है जो कईं साल पहले निर्देशिका तनुजा चंद्र की माँ कामना चंद्र द्वारा रेडियो नाटक के रूप में लिखी गई थी।[९][१०] अगस्त 2016 में खुलासा हुआ था कि इरफ़ान ख़ान तनुजा चंद्र की अगली रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म के प्रमुख भूमिका में दिखेंगे जिसमें एक बेजोड़ जोड़ी सड़क यात्रा के दौरान एक-दूसरे के प्यार में पड़ेंगे।[११][१२] निर्माण टोली ने ऋचा चड्ढा, कल्की केकलैं और पूजा हेगड़े के सामने प्रमुख महिला पात्र की भूमिका निर्वाह करने का प्रस्ताव रखा लेकिन उनमें से किसी ने भी कुछ जवाब नहीं दिया।[१३][१४] फ़िल्म की प्रमुख अभिनेत्री की खोज के दौरान फ़िल्म की सह-लेखिका ग़ज़ल धालीवाल ने पार्वती तिरुवोत का सुझाव दिया जो कुछ कारण से रद्द होने से पहले ग़ज़ल धालीवाल द्वारा लिखित विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म में काम करनेवाली थीं।[१५][१६] फ़रवरी 2017 में पार्वती तिरुवोत ने ख़ुद घोषणा किया कि वे तनुजा चंद्र की फ़िल्म में इरफ़ान ख़ान के सन्मुख हिंदी सिनेमा में अपना प्रथम अभिनय करेंगी।[१७]
छायांकन
फ़रवरी 2017 में बीकानेर, राजस्थान में फ़िल्म का छायांकन शुरू होने के बाद देहरादून, दिल्ली, अलवर, ऋषिकेश, रुड़की और गांतोक जैसी जगहों में फ़िल्म का छायांकन किया गया।[१८][१९][२०][२१][२२][२३][२४][२५]
ध्वनि-पट्टी
अनाम |
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इस फ़िल्म के संगीत अनु मलिक, रोचक कोहली और विशाल मिश्रा द्वारा रचना किया गया था और फ़िल्म के गाने राज शेखर, हुसैन हैदरी और वरुण ग्रोवर द्वारा लिखे गए थे। नूराँ बहनों द्वारा गाया गया फ़िल्म का पहला गाना "ख़तम कहानी" 13 अक्टूबर 2017 को रिलीज़ हुआ था। पापोन द्वारा गाया गया दूसरा गाना "तू चले तो" 19 अक्टूबर 2017 को और आतिफ़ असलम द्वारा गाया गया तीसरा गाना "जाने दे" 25 अक्टूबर 2017 को रिलीज़ हुआ था। फ़िल्म की पूरी ध्वनि-पट्टी 10 नवंबर 2017 को ज़ी म्यूज़िक कंपनी द्वारा रिलीज़ की गई थी।
ध्वनि-पट्टी | |||||
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क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
1. | "ख़तम कहानी" | राज शेखर | विशाल मिश्रा | नूराँ बहनें, विशाल मिश्रा | 03:35 |
2. | "तू चले तो" | हुसैन हैदरी | रोचक कोहली | पापोन | 03:34 |
3. | "जाने दे" | राज शेखर | विशाल मिश्रा | आतिफ़ असलम | 04:59 |
4. | "तनहा बेगम" | हुसैन हैदरी | रोचक कोहली | अंतरा मित्र, नीति मोहन, रोचक कोहली | 03:33 |
5. | "क़रीब क़रीब सिंगल मैश-अप" (अली मर्चेंट द्वारा बनाया गया मैश-अप) | विभिन्न कलाकार | विभिन्न कलाकार | 02:03 | |
कुल अवधि: | 17:44 |
प्रचारक गाना – ध्वनि-पट्टी में समावेश नहीं है | |||||
---|---|---|---|---|---|
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | संगीतकार | गायक | अवधि |
6. | "दाना पानी[२६]" | वरुण ग्रोवर | अनु मलिक | पापोन, मुजतबा अज़ीज़ नाज़ा, अनमोल मलिक, गायकदल | 03:56 |
आलोचनात्मक प्रतिक्रिया
फ़िल्म को ज़्यादातर सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुई। समीक्षा वेबसाइट रॉटन टमेटोज़ में 7 समीक्षाओं के आधार पर क़रीब क़रीब सिंगल को 86% का अनुमोदन स्कोर और 10 में से 7.2 की औसत रेटिंग प्राप्त है।[२७] न्यूज़18 के राजीव मसंद ने इस फ़िल्म को 5 में से 3 सितारे देकर कहा कि योगी और जया ने इस तरह से उनका दिल छू लिया कि वे उन दो पात्रों के साथ थोड़ी देर और समय बिताने में संकोच नहीं मानेंगे।[२८][२९] द टाइम्ज़ ऑफ़ इंडिया के नील सोन्ज़ ने फ़िल्म के प्रमुख अभिनेताओं की तारीफ़ करते हुए फ़िल्म को 5 में से 3.5 सितारे दिए। उनहोंने अपनी समीक्षा के अंत में बिना किसी धमाकेदार अंत की अपेक्षा करते हुए इस अच्छी-सी फ़िल्म का मज़ा उठाने को कहा।[३०] दोनों अभिनेताओं की प्रदर्शनी से ख़ुश हिंदुस्तान टाइम्ज़ की श्वेता कौशल के अनुसार बॉलीवुड में नई पार्वती की प्रदर्शनी भी इरफ़ान की प्रदर्शनी से काम नहीं थी। उनहोंने इस फ़िल्म को 5 में से 4 सितारे दिए।[३१] द हिंदू की नम्रता जोशी के अनुसार यह फ़िल्म बहुत-सी चीज़ों का एक ख़ुशहाल मिश्रण है और इरफ़ान की प्रदर्शनी देखकर अभिनय जैसे मुश्किल काम भी आसान नज़र आते हैं।[३२]
एन॰ डी॰ टी॰ वी॰ के सैबल चटर्जी ने इस फ़िल्म को 5 में से 3 सितारे देकर लिखा कि रंगीन ढंग से कहानी न दर्शाकर फ़िल्म के आदर्शों से विचलित होनेवाली यह फ़िल्म शायद कुछ दर्शकों के लिए सुरुचिपूर्ण नहीं होगी लेकिन कुल मिलाकर यह फ़िल्म अच्छी है।[३३] दी इंडियन एक्सप्रेस की शुभ्रा गुप्ता ने पार्वती की प्रशंसा करते हुए लिखा कि बॉलीवुड की गुड़ियों की तरह सजी हुई अभिनेत्रिओं के बीच आम औरत जैसी दिखनेवाली पार्वती ताज़ी हवा का झोंका है।[३४] फ़िल्म को 5 में से 3.5 सितारे देकर उनहोंने लिखा कि यह फ़िल्म एक अच्छी तरह से तैयार की गई प्रेम कहानी है। हफ़पोस्ट के मुर्तज़ा अली ख़ान इस फ़िल्म को B+ की रेटिंग देते हुए लिखा कि अकेलापन और मैत्री की अवधारणाओं पर आधारित यह फ़िल्म अपने जादू करने में थोड़ा समय लगाता है लेकिन एक बार कहानी के जादू छा जाने के बाद फ़िल्म को बीच में छोड़ने का मन नहीं करता।[३५] फ़िल्मफ़ेयर के रचित गुप्ता ने फ़िल्म को 5 में से 4 सितारे देकर लिखा कि यह फ़िल्म की कहानी सरल होने के बावजूद निपुण है।[३६] द क्विंट की स्तुति घोष ने इस फ़िल्म को 5 में से 3.5 सितारे देकर लिखा कि तनुजा चंद्र और ग़ज़ल धालीवाल द्वारा लिखित यह पटकथा ज़िंदगी और प्यार को एक प्रौढ़ और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करता है लेकिन फ़िल्म की धीमी गति से कुछ दर्शक निराश हो सकते हैं।[३७]
सम्मान
पुरस्कार समारोह | श्रेणी | प्रापक | नतीजा | संदर्भ |
---|---|---|---|---|
10 वाँ मिर्ची संगीत पुरस्कार | उदयोन्मुख संगीतकार पुरस्कार | विशाल मिश्रा – "जाने दे" | साँचा:nom | [३८] |
संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।