करवा
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करवा या करक मिट्टी का लोटे या कलशनुमा पात्र होता है। इसका प्रयोग हिन्दू धर्म में करवा चौथ और अहोई अष्टमी नामक त्यौहारों में किया जाता है। इससे अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह के पात्र तांबे, चाँदी व पीतल के भी होते हैं।[१] इस करक या करवा पात्र को श्री गणेश का स्वरूप मानते करक के दान से सुख, सौभाग्य (सुहाग), अचल लक्ष्मी एवं पुत्र की प्राप्ति होती है, ऐसा शास्त्र सम्मत है। ऐसी भी मान्यता व अटूट विश्वास है कि करक दान से सब मनोरथों की प्राप्ति होती है।[२]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ सुखमय दांपत्य की चाह का त्योहारसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। वेब दुनिया।(हिन्दी)।-डॉ॰ आर.सी. ओझा
- ↑ श्री करक चतुर्थी व्रत पूजन विधान स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।। करवा चौथ पूजा। ब्लॉगस्पॉट।(हिन्दी)। स्व.कुसुम श्रीवास्तव