ओरहान पामुक

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ओर्हान पामुक
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ओर्हान पामुक 2008 में
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मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
व्यवसायउपन्यासकार,
पटकथाकार,
तुलनात्मक साहित्य के प्रोफेसर (कोलंबिया युनिवर्सिटी)
राष्ट्रीयतातुर्क
अवधि/काल1974 – वर्तमान
विधाउपन्यास
विषयपूर्व–पाश्चत्य दुबिधा, साहित्य, चित्रकारी
साहित्यिक आन्दोलनउतर-अधुनिक साहित्य
उल्लेखनीय सम्मानसाँचा:awd साँचा:awd साँचा:awd
जीवनसाथीAylin Türegün
(m. 1982, div. 2001)
साथीकिरण देसाई
सम्बन्धीŞevket Pamuk (brother)
Hümeyra Pamuk (half-sister)
जालस्थल
http://www.orhanpamuk.net/

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ओर्हान पामुक

उपन्यासकार ओरहन पामुक का जन्म 1952 इस्तांबुल में हुआ ! उनके माता-पिता इंजनियरिंग में थे, इसलिए उनको भी इसी की सलाह दी गई ! इसके बावजूद वे बचपन में चित्रकार बनना चाहते थे, लेकिन अचानक उनकी रुचि साहित्य की तरफ झुकी और फिर उन्होंने 1974 से अपना लेखन प्रारंभ किया !

टर्की में इसके लिए में कोई अनुकूल राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियाँ नहीं थी, वे जिस भाषा में लिखते थे, उस हिसाब भी से विश्व-साहित्य में स्थान बना पाना कठिन था ! घरेलु और बाहरी मुश्किलों को झेलते हुए हुए भी उन्होंने अपने लेखन को एक मजबूत दिशा प्रदान की !

"परेशानी ही परेशानी, तलाक, पिता मर रहे थे, आर्थिक परेशानी, ये परेशानी, वो परेशानी, लेकिन मैं जान गया था की अगर मैं यहीं फंसा रहा तो जरूर मानसिक विकलांगता में चला जाऊंगा, इसलिए मैं रोज़ सुबह उठकर शावर के नीचे नहाता था और लिखने बैठ जाता था, इस उद्देश्य के साथ की मुझे एक अच्छी और सुन्दर किताब लिखनी है!" - पामुक (साक्षात्कार-द हिन्दू)

ओरहान पामुक को पूर्व और पश्चिम के बीच के तनाव पर लिखने के लिए जाना जाता है। उनकी पुस्तकों की केन्द्रीय भूमिका यही है जिसमे वे दुनिया के दो हिस्सों के बीच की मानसिक - वैचारिक टकराहट को खंगालने की कोशिश करते हैं। ओरहान पामुक को सच्ची सफलता तब मिली जब 'माई नेम इज रेड' किताब दुनिया भर में पसंद की गई ! उसके बाद उन्होंने 'स्नो' 'म्यूज़ियम ऑफ इनोसेंस' 'इस्तांबुल, मेमोरी एंड द सिटी' आदि विविधता भरी बेहतरीन किताबें अपने पाठकों को दी, जो अंतर्राष्टीय स्तर पर बेस्टसेलर साबित हुई ! हिंदी में ओरहान पामुक की तीन किताबें पेंगुइन बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं, माई नेम इज रेड' का हिंदी अनुवाद 'मेरे क़त्ल की दास्तान' नाम से और स्नो तथा द ब्लैक बुक इन्ही मूल नामों से उपलब्ध है !

पामुक एक प्रयोगधर्मी उपन्यासकार हैं जो साहित्य को स्वतंत्र कर्म मानते हुए किसी भी प्रकार की परिपाटी और प्रतिबद्धता को स्वीकार नहीं करते ! "मैं उस बच्चे की तरह हूँ, जो अपने पिता को बताना चाहता है की देखो मैं कितना होशियार हूँ!"(साक्षात्कार- पेरिस रिव्यू)

कई पुरस्कारों से सम्मानित ओरहन पामुक को वर्ष 2006 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया !

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