ऐल्डस हक्स्ले
ऐल्डस लॅनर्ड हक्स्ले (अंग्रेज़ी: Aldous Leonard Huxley, जन्म: २६ जुलाई १८९४, मृत्यु: २२ नवम्बर १९६३) एक ब्रिटिश लेखक थे और प्रसिद्ध हक्स्ले परिवार के सदस्य थे। वे अपने उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं, विशेषकर "ब्रेव न्यू वर्ल्ड" नामक भविष्यदर्शी उपन्यास के लिए। उन्होने कुछ अरसे तक "ऑक्सफोर्ड पोएट्री" (ऑक्सफोर्ड कविता) पत्रिका का संपादन भी किया और कई लघु कहानियों, कविताओं, यात्रा-वर्णनों और फ़िल्मी कहानियों का भी प्रकाशन किया। हालांकि उनका जन्म इंग्लैण्ड के सरी ज़िले में हुआ था, उन्होने अपने जीवन का आगे का भाग अमेरिका के लॉस ऐन्जेलिस शहर में व्यतीत किया।
वेदान्त और मानववाद में रूचि
ऐल्डस हक्स्ले मानववाद और शांतिवाद में गहरा विशवास रखते थे और बढ़ती उम्र में उन्हें आत्मा-सम्बन्धी विषयों में दिलचस्पी हो गई थी। १९३९ के बाद उनका दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया वेदान्त संसथान के साथ सम्बन्ध बना जहाँ वे स्वामी प्रभावानंद से प्रेरित हुए। १९४१ से १९६० तक उन्होंने इस संसथान द्वारा प्रकाशित "वेदान्त और पश्चिम" (Vedanta and the West) पत्रिका के लिए ४८ लेख लिखे। १९४४ उन्होने "भगवद् गीता: प्रभु का गीत" (Bhagavad Gita: The Song of God) नामक श्रीमद्भगवद्गीता के एक अंग्रेज़ी अनुवाद की भूमिका लिखी।[१] समय के साथ हक्स्ले नशीले पदार्थों के प्रयोग से "खुली" मानसिकता पाने के पक्ष में हो गए और उन्होंने अपनी पुस्तक "बोध के द्वार" (The Doors of Perception) में स्वयं अपने मॅस्कालीन नामक पदार्थ लेने के अनुभवों के बारे में लिखा। इस से उनके और स्वामी प्रभावानंद के बीच दूरी हो गई, क्योंकि स्वामी इसके हक में नहीं थे। फिर भी हक्स्ले ने संस्था के साथ लिखना और बोलना जारी रखा।
इन्हें भी देखें
- क्रोम येल्लो - 1921
- पॉइंट काउंटर पॉइंट - 1928
- ब्रेव न्यू वर्ल्ड - 1932
- मानववाद
- ब्रेव न्यू वर्ल्ड रिविजिटेड - 1958
- आइलैंड - 1962
सन्दर्भ
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