एक मामूली आदमी

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न स डी
सादगी
इकिरू अका १९५२
भलाई और दया

अशोक लाल का नाटक 'एक मामूली आदमी' अकिरा कुरोसावा की फ़िल्म ‘इकिरू’(Ikiru, aka To Live, 1952) से प्रेरित है। 'एक मामूली आदमी 'नाटक को निदेशक अरविन्द गौड़ ने गत दशक में ८० से अधिक बार मंचित किया है। अस्मिता थियेटर ग्रुप ने 'एक मामूली आदमी' का मंचन रा ना वि (NSD) के भारत रंग महोत्सव और सन्गीत नाटक अकादमी महोत्सव में भी किया है। स्वदेश दीपक के कोर्ट मार्शल के बाद निदेशक अरविन्द गौड़ का यह सर्वाधिक चर्चित व सफल नाटक है।[१] 'एक मामूली आदमी' के नायक ईश्वर चन्द अवस्थी की भूमिका दिल्ली-६ फिल्म से चर्चित,ओमकारा के लिए फिल्म फेयर अवार्ड पाने वाले अभिनेता दीपक डोबरियाल ने की है।

नाटक के बारे में

'एक मामूली आदमी ' का नायक लिपिक - ईश्वर चन्द अवस्थी अकेलेपन और सतही रिश्तो के साथ निरुत्साह जिन्दगी जी रहा है। असली खुशी के लिए तरसता अवस्थी जब यह तथ्य जानता है कि वह् जल्दी मरने वाला है तो वो खुशी की तलाश करता है। मरने का एहसास उसे नया जीवन और उत्साह देता है।

अवस्थी मरने से पहले कुछ असाधारण काम करने का निर्णय लेता है। वह दूसरों की खुशी का स्रोत बन खुद की जिन्दगी का मकसद बनता है। आज के उपभोक्तावादी समाज में जीवन की वास्तविकताओ को नाटक में दर्शाया गया है। कुरुसावा की फ़िल्म ‘इकिरू’से प्रेरित अशोक लाल का नाटक 'एक मामूली आदमी' रोचक तरीके से दिखाता है कि किस तरह पारिवारिक और सामाजिक संवाद-विहीनता व्यक्तिगत और सामुदायिक जीवन में व्यक्ति को संवेदनशीलता से दूर ले जाकर कुछ ख़ास होने की क़ैद में डाल देती है। यह् नाटक चुनौती के साथ आशा और सकारात्मक सोच के विकास में योगदान देता है।

सन्दर्भ