एंड्रयू सैंडहॅम

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एंड्रयू सैंडहॅम
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व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम एंड्रयू सैंडहॅम
जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
बल्लेबाजी की शैली दाएँ हाथ
गेंदबाजी की शैली
भूमिका बल्लेबाज
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी साँचा:infobox
घरेलू टीम की जानकारी
वर्षटीम
1911–1937 सरे
1922–1931 एमसीसी
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स्रोत : CricketArchive, 18 सितम्बर 2009

एंड्रयू "एंडी" सैंडहॅम (6 जुलाई 1890 – 20 अप्रैल 1982, साँचा:lang-en) अंग्रेज़ क्रिकेट खिलाड़ी थे जिन्होनें 1921 और 1930 के बीच में 14 टेस्ट मैच खेलें। वो दाएँ हाथ के बल्लेबाज थे। इन्होंने 40,000 से ज़्यादा प्रथम श्रेणी रन बनाए। वो टेस्ट क्रिकेट में 300 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज थे।[१]

क्रिकेट करियर

एंड्रयू का जन्म 6 जुलाई 1890 में लंदन में हुआ था। उन्होनें अपना पहला मैच सरे के लिए 1911 में खेला था। आगे के वर्षों में वह सरे के लिए सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक बन गए और जैक हाब्स के साथ उनकी शानदार सलामी जोड़ी बन गई। इन दोनों ने मिलकर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पहले विकेट के लिए 100 या उससे ज़्यादा 66 बार जोड़े, जिसमें से सबसे ज़्यादा 428 थे। उन्होंने आठ सत्रों में 2,000 रन या उससे ज़्यादा बनाए और अपने कैरियर के मध्य भाग के दौरान 1924 और 1931 के बीच में उनकी औसत सभी में 50 से ऊपर थी सिर्फ़ दो साल को छोड़कर।[२]

एंड्रयू ने इंग्लैंड के लिए अपना पहला टेस्ट मैच 1921 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ खेला था जिसमें उन्होनें 21 रन बनाए थे।[३] हरबर्ट सटक्लिफ की जैक हाब्स के साथ इंग्लैंड टीम में सलामी जोड़ी काफ़ी सफल रह रही थी, इस कारण एंड्रयू को ज़्यादा मौके नहीं मिले और उन्हें कभी-कभार किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर ही टीम में जगह मिलती थी। इंग्लैंड का 1930 का वेस्ट इंडीज़ दौरे का चौथा टेस्ट उनका आखिरी साबित हुआ। पर यही टेस्ट से उन्हें ज़्यादातर जाना जाता हैं जब उन्होनें इंग्लैंड के 849 स्कोर में से 325 रन बनाए और टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने।[२] उन्होनें दूसरी पारी में भी 50 रन बनाए थे, उनके द्वारा मैच में बनाए गए 375 रन किसी भी एक टेस्ट में बनाए गए सबसे ज़्यादा रन थे, ये रिकॉर्ड ग्रेग चैपल ने 44 साल और 543 टेस्ट बाद तोड़ा।[२] ये उनका आखिरी टेस्ट भी साबित हुआ।[३]

इसके बाद वो अपनी काउंटी टीम सरे के लिए 1937 तक खेलते रहे। क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद वो 1950 के दशक में सरे के कोच बनकर लौटे और उनकी कोचिंग में सरे ने लगातार 7 काउंटी चैम्पियनशिप जीती।[२] 1982 में 91 साल की उम्र में उनका लंदन में निधन हो गया।[३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ