उस्ताद अल्ला रक्खा
उस्ताद अल्ला रक्खा | |
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पृष्ठभूमि की जानकारी | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मूल | जम्मू और कश्मीर, भारत |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
शैलियां | शास्त्रीय संगीत, विश्व संगीत |
तबला वादन | |
वाद्ययंत्र | तबला |
उस्ताद अल्ला रक्खा कुरैशी (२९ अप्रैल १९१९ - ३ फरवरी २०००), अल्ला रक्खा के नाम से लोकप्रिय, एक भारतीय तबला वादक थे, वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में विशिष्ट स्थान रखते थे। वह सितार वादक रवि शंकर के लगातार संगतकार थे। उनके पुत्र जाकिर हुसैन एक प्रख्यात तबला वादक हैं।
व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा
उस्ताद अल्ला रक्खा कुरैशी का जन्म फगवाल ग्राम (आज के जिला सांबा में) जम्मू [१], जम्मू और कश्मीर में हुआ था । उनकी मातृभाषा डोगरी थी [२]। उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी ने अपना करियर लाहौर में एक सहयोगी के रूप में शुरू किया और फिर १९४० में (बॉम्बे) में ऑल इंडिया रेडियो के एक कर्मचारी के रूप में कार्य किया । इसके बाद, उन्होंने १९४३-४८ तक कुछ हिंदी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया। बड़े ग़ुलाम अली ख़ान, अलाउद्दीन खान , विलायत ख़ाँ , वसंत राय , अली अकबर खान और रवि शंकर जैसे एकल प्रस्तुति देने वाले कलाकारों के लिए तबले पर संगत की । उन्होंने बावी बेगम से शादी की थी और उनके विवाह से तीन बेटे पैदा हुए, जाकिर हुसैन , फ़ज़ल कुरैशी और तौफ़ीक कुरैशी ; दो बेटियाँ, खुर्शीद औलिया ने कुरैशी और रजिया; और नौ पोते हुए [३]।अल्लाह रक्खा की एक तीसरी बेटी थी जिसका नाम रूही बानो था जो पाकिस्तान में पैदा हुई थी और टेलीविजन और फिल्म अभिनय में अत्यधिक सफलता प्राप्त की। उस्ताद अल्ला रक्खा को १९७७ में पद्मश्री [४] और १९८२ में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित [५]किया गया। उन्हें उनके ९५ वें जन्मदिन के अवसर पर २९ अप्रैल २०१४ को गूगल डूडल [६]में भी दिखाया गया था।
मृत्यु
३ फरवरी २००० को नेपाली सी रोड स्थित उनके सिमला हाउस में दिल का दौरा पड़ने से निधन[२] हो गया, जिसका कारण पिछली शाम अपनी बेटी रज़िया की मृत्यु का दुःख [७]होना था।