उर्मि घनश्याम देसाई
उर्मि घनश्याम देसाई | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
व्यवसाय | लेखिका, भाषाविद |
भाषा | गुजराती |
निवास | मुंबई |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कार्यs |
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उल्लेखनीय सम्मान | साहित्य अकादमी पुरस्कार (2017) |
जीवनसाथी | साँचा:marriage |
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उर्मि घनश्याम देसाई साँचा:lang-gu , भारत के गुजरात प्रान्त की एक गुजराती लेखिका और भाषाविद हैं। उन्हें उनके एक महत्वपूर्ण कार्य गुजराती व्याकरण न बासो वर्ष जो 2014 में प्रकाशित हुआ के लिए भारत सरकार द्वारा 2017 में साहित्य अकादमी पुरस्कार[[]] दिया गया। [१][२]
परिवार और प्रारम्भिक शिक्षा
उनका जन्म 5 अप्रैल 1938 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ उनकी माँ का नाम रामभवन, और उनके पिता का नाम कामेश्वर व्यास था।[३] उनका परिवार मूल रूप से गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ से संबंधित है। 1955 में मैट्रिक करने के बाद, 1961 में उन्होंने गुजराती और संस्कृत विषयों पर अपनी कला में स्नातक पूरी की और 1963 में इन्ही भाषों में स्नातोकत्तर की डिग्री पूरी की। उन्होंने 1967 में हरिवल्लभ भयानी की देखरेख में अपने शोध कार्य गुजराती भाषाणा अंगसाधक प्रत्ययों के लिए पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। 1969 में, उन्होंने अपनी भाषाविज्ञान में डिप्लोमा पूरा किया। उन्होंने 1965 में एक गुजराती लघु कथाकार घनश्याम देसाई से अपना विवाह सम्पन्न किया। [३]
कार्य जीवन
1965 से लेकर 1972 तक, उन्होंने भाषाविज्ञान विभाग में एक शोध सहायक के रूप में मुंबई विश्वविद्यालय में काम किया और 1973 से लेकर 1981 तक, उन्होंने एक शोध अधिकारी के रूप में महात्मा गांधी मेमोरियल रिसर्च सेंटर और लाइब्रेरी में काम किया। 1984 से 1987 तक, उन्होंने एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग में काम किया। [४]
साहित्यिक प्रकाशन
उन्हें गुजराती भाषा में अग्रणी भाषाविदों में से एक माना जाता है, और उन्होंने भाशास्त्र शू छे जैसी कई और किताबें प्रकाशित की हैं जिसमे 1976 में गुजराती भाषाणा अंगसाधक प्रत्ययों, 1972 में व्याकरण विमर्ष, 1992 में लेट अस लर्न टू राइट गुजराती, 1999 में भाषानु शंग, 2003 और रुपाशास्त्र - एक परिचय 2007 मुख्य प्रकाशित किताबें हैं। प्रसूतिनो आनंद जो की उन्होंने ज़रीन देसाई के साथ मिलकर लिखी है। साथ ही उन्होंने प्रबोध पंडित के शोध कार्य प्राकृत भाषा का गुजराती में अनुवाद भी किया है। [१]