उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना

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डौंडिया खेड़ा
संग्रामपुर गाँव
उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना is located in भारत
उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना
Shown within India
वैकल्पिक नाम राजा राव राम बक्श सिंह का किला
क्षेत्र उन्नाव जिला
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मातृ सत्व उत्तर प्रदेश
इतिहास
निर्माता राजा राव राम बक्श सिंह
पदार्थ पत्थर
परित्यक्त 1857
काल 7वीं सदी
स्थल टिप्पणियां
उत्खनन दिनांक अक्टूबर 2013
पुरातत्ववेत्ता भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग
स्थिति खण्डहर

उन्नाव स्वर्ण खजाने की घटना अक्टूबर २०१३ में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के संग्रामपुर (डौंडिया खेड़ा) गाँव में घटित हुई।

घटना का विवरण

समाचार पत्रों के अनुसार, तथाकथित रूप से एक स्थानीय साधु शोभन सरकार ने स्वप्न देखा कि १९वीं सदी के राजा, राव राम बक्श सिंह के पुराने किले के खण्डहरों के नीचे हजारों टन से भी अधिक स्वर्ण दबा हुआ है।[१] सरकार कथित रूप से दफन इस स्वर्ण भण्डार की खुदाई करवाने के लिए खनन मंत्रालय और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को राजी करने में सक्षम रहे। 18 अक्टूबर 2013 को खुदाई का कार्य आरम्भ हो गया।[२][३]२८ अक्टूबर सोमवार शाम तक कुल 4.8 मीटर तक खुदाई की जा चुकी थी।[४] हालांकि कुछ समाचारों के अनुसार खुदाई का कार्य केवल सपने के आधार पर न होकर इसका वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें किसी 'गैर चुंबकीय' तत्व की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया था।[५][६]

एएसआई की निगरानी में हो रही खुदाई के लिए किले को 2 खंडों में बांटा गया था। 13 नवम्बर तक एक खंड की खुदाई पूरी हो चुकी थी, जबकि दूसरे ब्लॉक की करीब 75 फीसदी खुदाई पूरी हो जाने के बावजूद खजाने का कोई नामोनिशान नहीं मिला था।[६]

प्रेरक

इस घटना के प्रेरक शोभन सरकार एक हिन्दू सन्त हैं। जिन्होने अक्टूबर २०१३ में कथित रूप से उन्नाव के एक गाँव डौडियाखेड़ा में हजारों टन सोना छिपा होने का सपना देखा। यह गाँव यूपी के उन्नाव जिले की बीघापुर तहसील में गंगा के किनारे स्थित बक्सर से दो किमी पहले पड़ता है। लखनऊ से इसकी दूरी 50 किमी व कानपुर से लगभग 80 किमी है।

शोभन सरकार का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले के शुक्लन पुरवा गांव में हुआ था। इन्होंने बीपीएमजी इंटर कॉलेज मंधाना से पढ़ाई की। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के 10 साल बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और वह स्वामी सत्संगानंद के अनुयायी बन गए। सत्संगानंद के आश्रम में पहले से भी उनके कई अनुयायी रहते थे। आश्रम में सत्संगानंद को लोग बड़े स्वामी कहते थे। सरकार ने स्वामीजी के मार्गदर्शन में 8 साल तक चिंतन किया।[७]

परिणाम

14 नवम्बर 2013 को उन्नाव के डौंडियाखेड़ा में सोने की खुदाई अंततः औपचारिक रूप से बंद कर दी गई। आर्कियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने इसे ज़िंदगी भर का सबक बताया।[८] हालांकि शोभन सरकार की तरफ से कहा गया कि खजाने की तलाश वैज्ञानिक नजरिए से हो रही है, जबकि यह अलौकिकता से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि खुदाई में सोना जरूर निकलेगा और वह उसे एएसआई टीम के डौंडियाखेड़ा गांव से जाने के बाद निकालेंगे।[९]


सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ