उद:शूल
उर:शूल (ऐन्जाइना पेक्टोरिस) एक रोग है जिसमें हृदोपरि या अधोवक्षास्थि (प्रिकॉर्डियल, सबस्टर्नल) प्रदेश में ठहर ठहरकर हलकी या तीव्र पीड़ा के आक्रमण होते हैं। पीड़ा वहाँ से स्कंध तथा बाई बाँह में फैल जाती है। आक्रमण थोड़े ही समय रहता है। ये आक्रमण परिश्रम, भय, क्रोध तथा अन्य ऐसी ही मानसिक अवस्थाओं के कारण होते हैं जिनमें हृदय को तो अधिक कार्य करना पड़ता है, किंतु हृत्पेशी में रक्त का संचार कम होता है। आक्रमण का वेग विश्राम तथा नाइट्रोग्लिसरिन नामक औषधि से कम हो जाता है।
इस रोग का विशेष कारण हृद्धमनी का काठिन्य होता है; जिससे हृदय को रक्त पहुँचानेवाली इन धमनियों का मार्ग संकुचित हो जाता है। अति रक्तदाब (हाइपरटेंशन), मधुमेह (डायाबिटीज़), आमवात (रूमैटिज्म़) या उपदेश (सिफ़िलिस) के कारण उत्पन्न हुआ महाधमनी का प्रत्यावहन (रिगर्जिटेशन), पेप्टिक व्रण, अत्यवटुता अथवा अवटुन्यूनता, पित्ताशय के रोग, पौलीसायथीमिया, अभिलोपनी-घनास्रयुक्त धमन्यार्ति (थ्रांबो-ऐंजाइटिस ऑबलिटरैंस) तथा परिधमन्यार्ति रोगों से ग्रस्त रोगियों में उर:शूल अधिक होता है। स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग पाँच गुना अधिक पाया जाता है।