उदरामृत वटी
यह आयुर्वेद में एक प्रकार की औषधि है जिसे बहुत से औषधीय पौधों एवं खनिजों से बनाया गया है।[१]
मुख्य घटक
पुनर्नवा,भूमि आंवला, मोकय, चित्रक, आंवला, बहेड़ा, कुटकी, आमबीज, निशोथ, बिल्व, अजवायन, अतीस कड़वा, घृतकुमारी, मुक्ताशुक्ति भस्म, कसीस भस्म, लौह भस्म, मंडूर भस्म
मुख्य लाभ
१. इस वटी के सेवन से पेट दर्द, मन्दाग्नि,अतिसार, विबंध, अजीर्णता, आदि उदर विकारों का उपचार किया जाता है।[१]
२. इससे यकृत के रोग, जैसे- पीलिया ठीक किया जाता है।[२]
३. रक्ताल्पता तथा जीर्ण ज्वर आदि यकृत विकारों में विशेषत लाभ होता है।
४. इस औषधि का प्रयोग कब्ज़ और दस्त दोनों स्तिथि में किया जाता है।[३]
५. अपच एवं भूख न लगने में भी यह लाभकारी है।[२]
६. इसका प्रयोग अन्य औषधियों के साथ दमा, जलोदर, मुत्रधिक्य, विषाणुजनित संक्रमण, श्वसनीशोध, कृमिरोग, व्रण, बवासीर आदि के लिए भी किया जाता है।[४]
सन्दर्भ
बहरी कड़ियाँ
https://web.archive.org/web/20171125054440/https://en.wikipedia.org/wiki/Phyllanthus_emblica