ईयन विल्मट

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
ईयन विल्मट
Ian Wilmut
जन्म 7 July 1944 (1944-07-07) (आयु 80)[१]
हैम्प्टन लूसी, इंग्लैंड
आवास एडिनबर्ग, स्काॅटलैंड
राष्ट्रीयता साँचा:flag/core
क्षेत्र भ्रूणवैज्ञानिक
संस्थान राॅस्लिन इन्टिच्यूट
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय
शिक्षा नाॅटिंग्हैम विश्वविद्यालय
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय
डॉक्टरी सलाहकार क़्रिस्टोफ़र पाॅल्ज
प्रसिद्धि भेड़(डाॅली) का प्रतिरूपण
उल्लेखनीय सम्मान OBE, FRS, एफ़'मेड'स्की(FMEDSci), एफ़आरएसई(FRSE), 1997 में टाईम्: मैन ऑफ़ द यॅर के उपविजेता [२]

स्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

सर इयन विल्मट(साँचा:lang-en; जन्मतिथी:७ जुलाई १९४४) एक ब्रिटिश शोधकर्ता एवं जीववैज्ञानिक एवं स्काॅटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के सेंटर फ़ाॅर रीजेनरेटिव मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष हैं, जिन्हें बेहतर रूप से, 1997 में डाॅली (भेड़) के प्रतिरूपण में महत्वपूर्ण भागिदारी के लिये जाना जाता है(उन्हों ने इस योजना पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का नेत्रित्व किया था)। डाॅली, वयस्क दैहिक कोशिका द्वारा प्रतिरूपित पहली स्तनपायी थी।

निजी एवं व्यवसायिक जीवन

ईयन का जन्म, हैम्प्टन लूसी, वाॅर्विक्शायर, इंग्लैंड में ७ जुलाई १९४४ को हुआ था। [३] उनके पिता का नाम लियोनार्ड विल्मट है, जोकी स्कारबोरो के पूर्व ब्वायज़ेज़ हाइ स्कूल(बालक उच्चविद्यालय) में गणित के अध्यापक थे।[४] इयन भी स्कार्बोरो के इसी स्कूल के छात्र थे।[५] उनकी प्राथमिक इच्छा, नौसेना में काम करने की थी, परंतू दुर्भाग्यतः उनकी रंगआंध्यता(कलर ब्लाइन्डनेस) के कारण वे इस्में सफ़ल नहीं हो सके।[६] छात्रअवस्था में वे छुट्टियों में प्रायः खेतों में सहायक के तौर पर काम किया करते थे, जिस के कारण उन्हें नाॅटिंग्हम विश्वविद्यालय में कृषी पढ़ने की प्रेर्णा मिली।[५][७] १९६६ में उन्होंने ८ हफ़ते क्रिस्टोफ़र पोल्ज की प्रयोगशाला में काम किया, जिस्के आगले वर्ष ईयन केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उन्कीई प्रयोगशाला में पीएचडी करने के लिये बर्ती हुए और वहाँ से १८७१ में उन्होंने ग्रैजुएशन पूरा किया। उनकी थीसिस का शीर्षक था: द प्रिज़र्वेशन ऑफ़ बोऽर सीमेन(बोऽर के विर्य का संरक्षण)।[८][९] तब से ही वे राॅस्लिन संस्थान में अण्डाणूओं और भ्रूण-विकास संबंधित शोध में समर्पित हैं। १९९८ में उन्हें लाॅर्ड लाॅइड ऑफ़ किल्जरान अवाॅर्ड से नवाज़ा गया था।[५] विल्मट ने उस वैज्ञानिकों ने दल का नेत्रित्व किया था जिस्ने १९९६ में वश्व की पहली प्रतिरूपित स्तनपायी(डाॅली नामक भेंड़) को सफलतापूर्वक बनाया था। २००३ में डाॅली की श्वास्य संक्रमण के कारण मृत्यू हो गई। हालांकी, उस्के बाद २००८ में इयन ने यह गोषित किया की वे दैहिक कोशिका परमाणू हस्तांतरण की तकनीक, जिसकी मदद से डाॅली को विकसित किया गया था, को, जापानी शोधकर्ता शिन्या यामानाका द्वारा विकसित, दूसरी तकनीक के पक्ष में छोड़ देंगे। [१०] यामानाका द्वारा विकसित तकनीक के माध्यम से वयस्क तवचाई कोशिकाओं से ही प्लूरीपोटेन्ट स्टेम कोशिकाओं को हासिल किया जा सकता है, जिस्के कारण भ्रूणिय स्टेम कोशिकाओं को बनाने की आवष्यक्ता नहीं पड़ती है। विल्मट का मान ना है की यह तकनीक पार्किन्सन रोग जैसी भस्मात्मक संक्रमणों की चिकित्सा करने की अधिक क्षमता रखता है।[११]

विल्मट एमआरसी सेंटर फ़ाॅर रीजेनरेटिव मेडिसिन में एक अव्काश प्राप्त प्रध्यापक(एमेरिटस प्रोफ़ेसर) हैं। २००६ में उनकी, राॅजर हिईफ़ील्ड के साथ सह-लेखित एक किताब आफ़टर डाॅली: द यूज़ेज़ ऐण्ड मिस्यूज़ेज़ ऑफ़ ह्यूमन क्लोनिंग(डाॅली पश्चात: मानव प्रतिरूपण के उपयोग व दुरुपयोग) प्रकाशित हुई थी।[१२] वर्ष 2008 में, विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में उन्हें नाइटहुड दी गई थी।

डाॅली भेड़ का सफल प्रतिरूपण व विवाद

सकाॅटलैंड के राष्ट्रीय संग्रहालय में डाॅली के भरे हुए(स्टफ़्ड) अवशेष

डॉली, एक फिन डोर्सेट (Dorsett) भेड़, एक वयस्क अंडे से सफलतापूर्वक प्रतिरूपित की गई पहली स्तनपायी थी।[२] इसकी प्रतिरूपण योजना को राॅस्लिन संस्थान, जो एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के अंतर्गत है, के शोधकर्ताओं की टीम ने पारित किया था, जिसमें मुख्य भागिदारी ईयन विल्मट और कीथ कैम्पबेल की थी। वह छः वर्ष की आयु में हुई अपनी मृत्यु तक वहां रही। 2003-04-09 को उसके भरे हुए अवशेष एडिनबर्ग के शाही संग्रहालय, स्कॉटलैंड के राष्ट्रीय संग्रहालयों का एक भाग, में रखे गए। इसका जन्म जीवविज्ञान व जैवयंत्रिकी एवं प्रतिरूपण के क्षेत्र की बहुत बड़ी सफलता के रूप में देखा गया था एवं डाॅली को अत्यंत पत्रकारी तवज्जो भी दी गई थी।[१३][१४] टाइम को दिसे गए एक सक्षातकार में उन्होंने कहाथा की: साँचा:cquote

परियोजना के अध्यक्ष होने के नाते, प्रतियूपण की सफलता के बाद, ईयन के अत्याध्क श्रेय व पत्रकारी तवज्जो दी गई जिस्के कारण, अन्य वैज्ञानिकों, जिनमें भ्रूण विशेषज्ञ कीथ कैम्पबेल भी शामिल थे, के प्रयासों के ख्यती पर उनके को नाम अत्याधिक तवज्जो दी जाने लगी। इस तथ्य के उजागर होने के बाद इस बात ने विवाद उतपन्न कर दिया।[१५] हालांकी, बाद में एक साक्षातकार में, उन्हों ने डाॅली की रचना का "६६%" श्रेय अपने साथी कीथ कैम्पबेल को दिया है। वैज्ञानिक दल में उनका पद प्रिन्सिपल इन्वस्टिगेटर(प्रमुख शोधकर्ता) का था।[१६]

मानव प्रतिरूपण विवाद

अपरैल २००४ में विल्मट ने ह्यूमन फ़रटिलाइज़ेशन ऐण्ड एम्ब्रायोलाॅजी अथाॅरिटी(HEFA; मानव निषेचन एवं भ्रूणविज्ञान प्राधिकरण) में मानव भ्रूण के प्रतिरूपण संबंधित शोध की आज्ञा हेतू आवेदन दायर किया था। इस संदर्भ में उनका उद्देष्य स्टेम कोशिका संबंधित शोध के लिये मानव भ्रूणों( एम्ब्रायो) का प्रतिरूपण करना था। इसका मानव प्रतिरूपण के विरोधियों ने भीषण विरोध किया था। उनके अनुसार, उनके इस शोध का मकसद तंत्रिक विकारों(नर्वस डिस्ऑर्डर) के लिये पर्याप्त उप्चार तकनीकों के संबंध में शोध करना था। विरोध के बावजूद, २००५ में हेफ़ा ने उन्हें मानव प्रतिरूपण के लिये अनुमतिपत्र दे दीया।

सम्मान व पुरस्कार

भ्रूण विकासिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये उन्हें 1999 में ऑडर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर(ब्रिटिश साम्राज्य के शौर्यक्रम) से नवाज़ा गया था। एवं 2008 में उन्हें नाइटहुड भी प्रदान की गई थी। साथ ही वर्ष 1997 उन्हें टाइम मेगज़ीन द्वारा पर्सन ऑफ़ द यॅर का उपविजेता भी चुना गया था। साथ ही उनहें अपने वैज्ञानिक शोध के लिये अनय करीब 10 और शैक्षिक पुरस्कार प्रदान किये गए हैं, जिनमें 2002 में नवाज़ा, अर्न्ट श़रिंग प्राइज़(Ernst Schering Prize) शामिल है। 2008 में उन्हें कैम्पबेल और शिन्या यामाकाना के स्थ, शौव पुरस्कार (Shaw Prize) से भी नवाज़ा गया था।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Ian Wilmut" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. World of Genetics. Gale. 2006. Gale Document Number: GALE|K2433100254. Retrieved 18 November 2011.
  2. साँचा:cite news
  3. साँचा:cite web
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite news
  6. साँचा:cite web
  7. Rall, W. (2007). "Ernest John Christopher Polge FRS (1926–2006)". Cryobiology. 54 (3): 241–242. doi:10.1016/j.cryobiol.2007.04.001.
  8. साँचा:cite thesis
  9. Wilmut, I.; Beaujean, N.; De Sousa, P. A.; Dinnyes, A.; King, T. J.; Paterson, L. A.; Wells, D. N.; Young, L. E. (2002). "Somatic cell nuclear transfer". Nature. 419 (6709): 583–586. doi:10.1038/nature01079. PMID 12374931.
  10. साँचा:cite news
  11. साँचा:cite web
  12. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  13. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  14. [१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।; 'द गाऱ्डियन, यंके की खबर
  15. साँचा:cite news