इस्माईल प्रथम
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शाह ईस्माईल (1487-1524) ईरान के सफ़वी वंश का प्रथम शासक था जिसने ईरान पर शासन किया। उसके शाह बनने के समय वो सिर्फ़ 14 साल का था और उसे उसके विरोधियों के साथ किए क्रूर कृत्यों के लिए भी जाना जाता है। इसके पहले सफ़वी वंश उत्तर-पश्चिमी ईरान में एक सीमित संगठन था। १५०१ में इस्माईल ने तबरेज़ पर अधिकार कर लिया और ख़ुद को शाह घोषित कर दिया। उसके पिता शिया बने थे, हाँलांकि उसके पूर्वज सुन्नी और सूफ़ी थे। उसने शिया इस्लाम को पहली बार सैनिक और कठोर रूप दिया। उसके बाद से ईरान संपूर्ण रूप से शिया बन गया और आज तक है। उसने अपनी प्रजा पर प्रथम शिया इमाम अली, जिनको सुन्नी चौथे ख़लीफ़ा के रूप में मानते हैं, के पहले के तीन ख़लीफ़ाओं को गाली देने की प्रथा चलाई। हाँलांकि ईरान में शिया सहानूभूति सदियों से थी पर उसको ही ईरान को मुख्य रूप से शिया बनाने के श्रेय दिया जाता है क्योंकि उसी के शासन काल में शिया मुस्लिम सदियों के बाद पहली बार सामरिक रूप से सबल और स्थापित हो सके थे।
वो एक कवि भी था और उसको आज़री (अज़ेरी) भाषा के साहित्य में सम्माननीय स्थान मिला हुआ है। वो ख़ताई (पाप करने वाला) के नाम से लिखता था।
शासन
1501 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, जब वो सिर्फ़ 14 साल का था उसने तबरेज़ पर अधिकार कर लिया। उसने शिया इस्लाम को राजधर्म बनाने का संकल्प लिया। तबरेज़ और पूर्वी अनातोलिया में उसके कई समर्थक बने। उज़्बेको के विद्रोह को दबाने के लिए वो उत्तर पूर्व की तरफ़ गया जहाँ मुहम्मद शायबानी को मारने के बाद उसके सर को उसने एक प्याले के रूप में बनाया। दो और विद्रोहियों को पकड़ने के बाद उनके शव को कबाब के रूप में भुनवा कर उसने अपने समर्थकों को उसे खान को कहा। अनातोलिया के पूर्व में अपने साम्राज्य में शिया इस्लाम का समर्थक देख उस्मानी तुर्कों ने इस्माइल के राज्य पर आक्रमण किया। चल्दिरान की लड़ाई में उसकी हार हुई जिसमें तुर्कों ने तोपों और बारूद का इस्तेमाल किया था। इसके बाद वो शराबी बन गया और 36 साल की आयु में उसकी मौत हो गई।