इश्क़ का रंग सफ़ेद
लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other इश्क़ का रंग सफ़ेद भारतीय हिन्दी धारावाहिक है। इसका प्रसारण कलर्स पर 10 अगस्त 2015 से 26 अगस्त 2016 तक हुआ। इसके निर्माता रूपाली गुहा हैं।
कहानी
ये कहानी धानी और विप्लब की है। शादी के कुछ ही समय बाद धानी विधवा हो जाती है। वो बनारस में अपनी माँ के साथ रहने लगती है। वहीं विप्लब अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में बाकी पढ़ाई करने जाने की योजना बनाते रहता है। उसकी मुलाक़ात धानी से होती है, पर वो मुलाक़ात अच्छी नहीं होती और विप्लब को ये उसका अपमान लगता है और वो बदला लेने के लिए धानी के बर्तन में शराब रख देता है, जिसे वो मंदिर ले जाने वाली होती है। जब धानी को भीड़ मारने के लिए आती है तो विप्लब को अपनी गलती का एहसास हो जाता है, और वो धानी को बचा लेता है और उससे माफी भी मांगता है। इसके बाद भी विप्लब उसके साथ शरारत करना नहीं छोड़ता है, पर माफी भी मांग लेता है।
विप्लब को दशरथ दिल्ली भेज देता है और रहने विधवा को जगह खाली करने को कहता है। विप्लब बनारस आ जाता है और अदालत में उस मामले में विधवा की ओर से लड़ता है। विप्लब का ध्यान भटकाने के लिए दशरत और विप्लब की माँ उसकी सगाई उसके बचपन की दोस्त, तान्या से कराने की सोचते हैं। जब विप्लब को पता चलता है कि उसके माता-पिता बिना बताए उसकी सगाई करा रहे हैं तो उसे गुस्सा आ जाता है और वो उस कार्यक्रम को छोड़ कर बीच में ही चले जाता है। धानी उपवास के कारण कमजोर हो जाती है और बेहोश हो कर नदी में डूबने लगती है, तभी विप्लब उसे देख लेता है और बचा लेता है। लेकिन दशरथ का नाजायज बेटा, त्रिपुरारी उन दोनों की तस्वीरें ले लेता है और उन दोनों के बीच गलतफहमी पैदा कर देता है। बाद में विप्लब अपनी सगाई रद्द कर देता है और एक विधवा की खुशी छीनने का अपने आप को ही दोषी मानने लगता है। वो अपना अमेरिका जाने की योजना रद्द कर वहीं रह कर उन विधवाओं की मदद करने का फैसला करता है।
विप्लब उन विधवाओं की मदद कर धानी का अच्छा दोस्त बन जाता है। मदद करने के बाद वो वापस घर लौटता है। दशरथ और कनक मिल कर उन दोनों के बीच फिर से गलतफहमियों को जन्म दे देते हैं। इस कारण दोनों एक दूसरे से नफरत करने लगते हैं। धानी की सगाई त्रिपुरारी से हो जाती है। विप्लब को पता चलता है कि त्रिपुरारी का धानी की विधवा सहेली, सुवर्णा से रिश्ता है और वो माँ बनने वाली है। वो पहले उससे शादी का वादा किया था, पर बाद में उसे और उसके बच्चे को मारने की कोशिश करता है। धानी और त्रिपुरारी की शादी होने वाली रहती है कि विप्लब वहाँ आ कर शादी रोक देता है, जिसके बाद त्रिपुरारी और सुवर्णा की शादी हो जाती है।
धानी को मारने के लिए त्रिपुरारी को कनक आदेश देती है। वो धानी का अपहरण करता है, पर विप्लब उसे बचा लेता है। उसे बचाते समय विप्लब के सिर में चोट लग जाती है और वो बेहोश हो जाता है। धानी उसे बचा कर एक घर ले जाती है। उस जगह एक औरत विप्लब के ठीक होने तक रुकने की इजाजत दे देती है। कहीं वो औरत उन्हें बाहर न निकाल दे, इस कारण वो झूठ बोलती है कि वो दोनों शादीशुदा हैं। कुछ दिनों तक वे दोनों वहीं रहते हैं विप्लब को धानी से प्यार हो जाता है। लेकिन धानी को त्रिपुरारी और उसके गुंडे पकड़ कर वापस बनारस ले जाते हैं। उसके रंगीन कपड़े देख कर वहाँ लोग उसे मारने की कोशिश करते हैं, तभी विप्लब आ जाता है और कहता है कि जो भी उसे मारने की कोशिश करेगा, वो उसे नहीं छोड़ेगा, क्योंकि वो उसकी होने वाली पत्नी है। धानी उलझन में पड़ जाती है और उससे इस विषय पर बात करती है। वो कहती है कि उसने उसे बस एक अच्छे दोस्त के रूप में ही देखा है। लेकिन विप्लब फिर भी हार नहीं मानता और ऐसा दिखाता है कि वो अमेरिका जाने वाला है। उसके दूर जाने के बाद धानी को एहसास होता है कि वो भी उससे प्यार करती है और उसे ऐसा लगता है कि वो उसे हमेशा के लिए खो देगी। वो दौड़ कर उसके पास आने की कोशिश करती है। बाद में जब वो उसके सामने दिखता है तो वो अपने प्यार का इकरार कर देती है। बाद में कई सारी परेशानियों के बाद वे दोनों शादी कर लेते हैं।
उनकी जिंदगी में कामिनी नाम की एक लड़की आती है, विप्लब की दादी बुआ, जो विप्लब और धानी की शादी के बारे में नहीं जानती, वो कामिनी और विप्लब की शादी कराने की योजना बनाती है। दादी बुआ को लगता है कि धानी एक नर्स है। एक दिन धानी को वो विप्लब को बिना बताए घर छोड़ने बोल देती है। धानी घर छोड़ देती है, पर विप्लब उसका हाथ पकड़ कर वापस घर ले आता है। विप्लब जब अपने और धानी के शादी के बारे में बताता है तो दादी बुआ और कामिनी के तोते उड़ जाते हैं। ये जान कर कामिनी घर छोड़ने का फैसला कर लेती है, पर दादी बुआ उसे रोक लेती है, ताकि वो विप्लब और धानी के बीच दूरियाँ बना सके।
धानी को पता चलता है कि वो विप्लब के बच्चे की माँ बनने वाली है, वो ये बात बताने के लिए विप्लब को चिट्ठी लिखती है कि वो एक अच्छी खबर बताने वाली है। वो उस चिट्ठी को विप्लब तक आने नहीं देती है और विप्लब के नशे में होने का लाभ उठा कर ऐसी स्थिति बनाने का प्रयास करती है कि धानी उसे गलत समझे, और ऐसा होता भी है। जब धानी वहाँ आती है तो वो विप्लब और कामिनी को गलत समझती है और आश्रम में रहने चले जाती है। धानी को मारने के लिए त्रिपुरारी आश्रम में बम लगा देता है। जब ये बात विप्लब को पता चलती है तो वो उसे बचाने के लिए आता है, पर तब तक देर हो चुकी होती है और उसे पता चलता है कि आश्रम में रहने वाले सभी लोग मारे जा चुके हैं।
- पाँच साल बाद
धानी मुंबई में अपनी माँ और बेटी के साथ रहती है। वहीं विप्लब बनारस में धानी के यादों के साथ रहता है। कामिनी की गंदी चालों के कारण विप्लब को उससे शादी करनी पड़ी, और वो एक बच्चे अथरवा का पिता भी है। विप्लब और धानी को किस्मत फिर से मिलाने वाली होती है और विप्लब अपने ग्राहक की बेटी की शादी में जाने के लिए मुंबई चले जाता है। उसी शादी में उसकी मुलाक़ात धानी से होती है। धानी के बातों से विप्लब का दिल टूट जाता है और वहीं कामिनी उन दोनों को दूर करने की फिर से कोशिश करने लगती है। उसके कारण धानी, परश्या से शादी करने का फैसला कर लेती है। ये देख कर कि वो अपना प्यार और अपनी बेटी को कभी वापस नहीं पा सकता, वो टूट जाता है। शादी के समारोह के समय अचानक विधा बेहोश हो जाती है और उसे अस्पताल ले जाया जाता है। विधा के बारे में जान कर वो भी जल्दी से अस्पताल चले जाता है।
उसके बाद विप्लब को अपने और धानी के बीच बनी गलतफहमियों के बारे में पता चलता है। दादी बुआ वहाँ आती है और सारी बात बता देती है। इसके बाद विप्लब और धानी मिल जाते हैं और वे लोग त्रिपुरारी और कामिनी को जेल भेजने की योजना बनाते हैं। अंत में सभी अपराधियों को जेल हो जाती है और विप्लब अपने बीवी बच्चों के साथ हंसी खुशी जीवन बिताने लगता है। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।
कलाकार
- मिशाल रहेजा - विप्लब त्रिपाठी
- ऐशा सिंह/संजीदा शेख - धानी
- अरुण बक्शी - महंत दशरथ त्रिपाठी
- कुशबू टक्कर
- विद्या सिन्हा
- विविधा किर्ति