इबोला वायरस

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इबोला वायरस एक विषाणु है।

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Species Zaire ebolavirus
Ebola virus em.png
Virus classification
Member virus (Abbreviation)

इबोला वायरस (EBOV)

यह वर्तमान में एक गंभीर बीमारी का रूप धारण कर चुका है। इस बीमारी में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरु हो जाता है, जिससे अंदरूनी रक्तस्त्राव प्रारंभ हो जाता है। यह एक अत्यंत घातक रोग है। इसमें ९०% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

शुरुआत

इस रोग की पहचान सर्वप्रथम सन १९७६ में इबोला नदी के पास स्थित एक गाँव में की गई थी। इसी कारण इसका नाम इबोला पडा।[१] इबोला एक ऐसा रोग है जो मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। मरीज के पसीने, मरीज के खून या, श्वास से बचकर रहें. इसके चपेट में आकर टाइफाइड, कॉलरा, बुखार,और मांसपेशियों में दर्द होता है। बाल झड़ने लगते हैं। नशों से मांशपेशियों में खून उतर आता है। इससे बचाव करने के लिए खुद को सतर्क रखना की उपाय है। इबोला का नाम कागों की एक सहायक नदी इबोला के ऊपर पड़ा है। और यह वायरस सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था। इबोला के मरीजों की 50 से 80 फीसदी मौत रिकॉर्ड की गई है।

रोग फैलने के कारण

यह रोग पसीने और लार से फैलता है। संक्रमित खून और मल के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैलता है। इसके अतिरिक्त, यौन संबंध और इबोला से संक्रमित शव को ठीक तरह से व्यवस्थित न करने से भी यह रोग हो सकता है। यह संक्रामक रोग है।[२]

लक्षण

इसके लक्षण हैं- उल्टी-दस्त, बुखार, सिरदर्द, रक्तस्त्राव, आँखें लाल होना और गले में कफ़। अक्सर इसके लक्षण प्रकट होने में तीन सप्ताह तक का समय लग जाता है।[३]

रोग में शरीर को क्षति

इस रोग में रोगी की त्वचा गलने लगती है। यहाँ तक कि हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता है। ऐसे रोगी से दूर रह कर ही इस रोग से बचा जा सकता है।

उपचार

अभी इस बीमारी का कोई ईलाज नहीं है। इसके लिए कोई दवा नहीं बनाई जा सकी है। इसका कोई एंटी-वायरस भी नहीं है।[४] इसके लिए टीका विकसित करने के प्रयास जारी हैं; हालांकि अभी तक ऐसा कोई टीका मौजूद नहीं है।

सन्दर्भ