इन्डित्व

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इन्डित्व भारत के पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन द्वारा शुरू की गयी विचारधारा है जिसका कि हिन्दुत्व से सीधे रूप से टकराव है। 13 अगस्त 2002 को पत्रकारों से सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगों और संबंधित सांप्रदायिक मुद्दे उन्हें सबसे परेशान करते थे क्योंकि यह बड़ा बहुत ही अधिक रूप से प्रभावशाली और दूर तक के परिणाम रखते थे। `` यह राष्ट्र के भविष्य है, राष्ट्र की एकता को प्रभावित करता है और मैं इन सब तरह की घटनाओं से प्रभावित था। एक राष्ट्रपति के रूप में, मैंने अक्सर असहाय महसूस किया है, जब कई प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आते हैं और उनके संकट बताते हैं, मैं उसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकता था। गुजरात लाचारी का एक प्रमुख उदाहरण था।'[१]

इन्डित्व का समर्थन / उसके हवाले

मानवाधिकार प्रलेखन, भारतीय सामाजिक संस्थान, लोदी रोड, नई दिल्ली के के सामु[२], वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, ने जो दस्तावेज़ 2002 अल्पसंख्यक संकलित किया, उसमें प्रमुखत: के.आर. नारायणन की इस विचारधारा का हवाला मिलता है जिसमें भारत में सद्भावना के की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।[३]

इन्डित्व की आलोचना / हास्यास्पद विवरण

हालांकि राजनीतिक और शैक्षित रूप से कों "इन्डित्व" शब्द का उपयोग कम ही रहा है, पर हिंदुत्व के समर्थकों की आलोचना और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों और ब्लॉगों पर शब्द मजाक उडाया गया है। ऐसा ही एक कार्यकर्ता विनोद शर्मा ने एक ब्लॉगलेख में लिखा है जिसका शीर्श्क "मोदी का इन्डित्व" रखा है और लिखा है कि "मोदी ने वास्तविक सांप्रदायिकता के जहर से भारत को बचाया जिसे धर्मनिरपेक्षता की आड़ में फैलाया जा रहा था। "[४]

सन्दर्भ

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  1. सांप्रदायिक दंगों के समय मैं खुद को असहाय मेहसूस करता रहा। साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
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