आलोचनात्मक चिन्तन
तथ्यों का वस्तुपरक विश्लेषण (objective analysis) करते हुए कोई निर्णय लेना आलोचनात्मक चिन्तन' या समीक्षात्मक चिन्तन (क्रिटिकल थिंकिंग) कहलाता है। यह विषय एक जटिल विषय है और आलोचनात्मक चिन्तन की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ हैं जिनमें प्रायः तथ्यों का औचित्यपूर्ण, स्केप्टिकल और पक्षपातरहित विश्लेषण शामिल होता है।
समीक्षात्मक चिन्तन सम्बन्धी अनुसन्धान
एडवर्ड एम ग्लेसर (Edward M. Glaser) के अनुसार समीक्षात्मक चिन्तन के लिए तीन बातें जरुरी हैं-
- (१) व्यक्ति के समक्ष आने वाली समस्याओं और विषयों को गहराई से विचारने की प्रवृत्ति
- (२) तर्कपूर्ण परीक्षण और विचारणा की विधियों का ज्ञान
- (३) इन विधियों को लागू करने का कुछ कौशल
समीक्षात्मक चिन्तन की शिक्षा
शैक्षिक चिन्तकों में जॉन डिवी ने सबसे पहले पहचाना कि समीक्षात्मक चिन्तन के कौशल को बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों, समाज और सम्पूर्ण लोकतंत्र को लाभ होगा।
इंग्लैण्ड और वेल्श के स्कूलों में १६ से १८ वर्ष के आयुवर्ग के विद्यार्थी समीक्षात्मक चिन्तन एक विषय के रूप में ले सकते हैं।
प्रभावकता
सन १९९५ में उच्च शिक्षा की प्रभावकता से सम्बन्धित साहित्य का विश्लेषण करने से पता चला कि उच्च शिक्षा, उच्च शिक्षित नागरिकों की आवश्यकता की पूर्ति करने में असफल रही है। इस विश्लेषण का निष्कर्ष यह था कि यद्यपि प्राध्यापक विद्यार्थियों में चिन्तन के कौशलों को विकसित करने की इच्छा रखते हैं किन्तु वास्तविकता में वैसा नहीं हो पाता और विद्यार्थी प्रायः निम्नतम श्रेणी के चिन्तन का उपयोग करते हुए तथ्यों और कांसेप्ट को जानने का ही लक्ष्य रखते हैं।
सार्वभौमिक बौद्धिक मानक
समीक्षात्मक चिन्तन फाउण्डेशन के डॉ रिचर्ड पॉल और डॉ लिण्डा एल्डर ने सात बौद्धिक मानक बताये हैं जिनका उपयोग किसी समस्या, विषय या परिस्थिति से सम्बन्धित चिन्तन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाना चाहिये। समीक्षात्मक चिन्तन के लिए इन मानकों पर प्रवीणता प्राप्त करना होगा।
- स्पष्टता (clarity): कोई प्रस्ताव किस प्रकार दिया जाना चाहिये,
- यथार्थता (accuracy):
- परिशुद्धता (precision) :
- प्रासंगिकता/उपयुक्तता/औचित्य (Relevance) :
- गहराई (Depth) :
- आयाम (Amplitude) :
- तर्क (Logic)
क्या-क्या समीक्षात्मक चिन्तन नहीं है
समीक्षात्मक चिन्तन, नकारात्मक सोच या दूसरे की गलती या दोष निकालना नहीं है। वास्तव में अपने और दूसरों के सभी रायों और कथनों का पक्षपातरहित और तटस्थ होकर मूल्यांकन करना ही समीक्षात्मक चिन्तन है।
- सभी लोगों को एक ही तरह की सोच बनाने का प्रयास करना समीक्षात्मक चिन्तन नहीं है।
- समीक्षात्मक चिन्तन का अर्थ 'अपने व्यक्तित्व को बदलना' नहीं है।
- किसी प्रकार का 'विश्वास' कोई समीक्षात्मक चिन्तन नहीं है। समीक्षात्मक चिन्तन, सभी 'विश्वासों' की जाँच-परख करता है, यह स्वयं 'विश्वास' नहीं है, यह एक प्रक्रिया या विधि है।
- समीक्षात्मक चिन्तन, अनुभूतियों या भावनाओं को कम करना या समाप्त करना नहीं है। फिर भी कुछ निर्णय, जैसे विवाह करना या बच्चे पैदा करना, जो कि भवनात्मक निर्णय है, किन्तु इनमें भी समीक्षात्मक चिन्तन करना चाहिये और अलग-अलग दृष्टिकोण से सोचना चाहिये।
- समीक्षात्मक चिन्तन, विशिष्ट रूप से वैज्ञानिक कार्यों का समर्थन या उनका प्रतिनिधित्व नहीं करता।
- यह आवश्यक नहीं है कि समीक्षात्मक चिन्तन पर आधारित तर्क सदा सबसे अधिक अनुनयात्मक (persuasive) हों। प्रायः देखने में आता है कि डर, दबाव, आवशयकता आदि साबसे मूलभूत भावनाओं का सहारा लेकर किये गये तर्क ज्यादा अनुनयात्मक होते हैं।
समीक्षात्मक चिन्तन के विभिन्न चरण
- पहला चरण : समीक्षात्मक चिन्तक की अभिवृत्ति धारण करना
- दूसरा चरण : समीक्षात्मक चिन्तक के मार्ग में आने वाली बाधाओं और पक्षपात (biases) को समझना
- तीसरा चरण : तर्कों की पहचान करना और उनका विशिष्टीकरण (characterization) करना
- चौथा चरण : सूचना (जानकारी) के स्रोतों का मूल्यांकन और परीक्षण
- पाँचवाँ : तर्कों का मूल्यांकन
तर्कों के मूल्यांकन के लिए आवशयक परीक्षण
उपरोक्त पांच चरणों को समझने के बाद समीक्षात्मक विचारक को चाहिये कि वह निम्नलिखित बातों की भी त्वरित जाँच कर ले:
- क्या कोई अस्पष्टता, अन्ध क्षेत्र या कमजोरियां हैं जो तर्क की मेरी समझ को अवरुद्ध करती हैं?
- यहाँ प्रयुक्त तर्कों में कोई दोष (fallacy) तो नहीं है?
- क्या भाषा अत्यन्त भावनात्मक या घुमावदर है?
- क्या मैंने तर्क (प्रमाण) और मान्यताओं या प्रासंगिक तथ्यों को अप्रासंगिक जानकारी, प्रस्तुत की गयी काल्पनिक स्थितियों (परिकल्पनाओं), काल्पनिक उदाहरणों या असत्यापित जानकारी से अलग किया है?
- क्या मैंने जाँच लिया है कि तर्क करने में प्रयुक्त कौन सी मान्यताएँ (assumptions) सही हैं और कौन नहीं?
- क्या मैं किसी तर्क और उसके किसी उप-तर्क के कारणों या साक्ष्यों को सूचीबद्ध कर सकता हूँ?
- क्या मैंने निष्कर्ष का समर्थन करने वाले साक्ष्य की सच्चाई, प्रासंगिकता, निष्पक्षता, अखंडता, पूर्णता, महत्व और पर्याप्तता का मूल्यांकन किया है?
- क्या मुझे किसी तर्क पर उचित निर्णय लेने के लिए अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता है?
इन्हें भी देखें
- उच्च कोटि चिन्तन
- तर्कदोष (fallacies)
- तर्कदोषों की सूची
- दुष्प्रचार
- विचार की स्वतंत्रता
- स्वतंत्र विचार
- तर्क (argument)
- यूरोपीय ज्ञानोदय (Age of Enlightenment)
- अंतर्राष्ट्रीय दर्शन ओलंपियाड
- दर्शन शिक्षा