आर्थर मिलर

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आर्थर मिलर
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आर्थर मिलर (१७ अक्टूबर १९१५- १० फरवरी २००५) अमेरिका के प्रमुख नाटककार और लेखक थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सामाजिक विषयों पर नाटक लिखने वाले मिलर ने बहुचर्चित 'द अमेरिकन ड्रीम' यानि 'सपनों के अमरीका' की कई ख़ामियाँ अमरीकी जनता और विश्व के सामने रखीं। इसी कारण उनकी आलोचना भी हुई लेकिन उसकी परवाह किए बिना उन्होंने अपने नाटकों में आधुनिक समाज पर अपना नज़रिया रखा। १९४९ में अपने नाटक एक सेल्समैन की मौत ('डेथ ऑफ़ ए सेल्समैन') का मंचन हुआ तो वे रातों-रात ही लोकप्रिय हो गए। यह एक आम व्यक्ति विली लोमैन की कहानी थी, जिसका अमरीका के पूँजीवाद में पूरा विश्वास है और जो व्यवसायिक सफलता के लिए काम करते हुए, भारी दबावों से घिरा हुआ, दम तोड़ देता है। इसी नाटक के लिए उन्हें १९४९ में पुलिट्ज़र पुरस्कार भी मिला। मिलर की ये योग्यता थी कि वे बिलकुल निजी या व्यक्तिगत कहानियों को भी व्यापक सामाजिक स्वरूप प्रदान कर देते थे।[१]

जीवन परिचय

उनका जन्म न्यूयॉर्क में एक कपड़ा मिल के मालिक के घर में हुआ। १९२९ में अमरीका के आर्थिक संकट और शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के समय में उनके पिता का कारोबार ठप्प हो गया। उन्होंने छोटे-मोटे काम करते हुए कॉलेज की पढ़ाई की और पत्रकारिता पढ़ी। उनका पहला नाटक - 'ऑल माए सन्स' अमरीका के द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने से एक अमरीकी परिवार पर आधारित है। इस नाटक के कारण उनकी कड़ी आलोचना हुई और उन पर देशभक्ति के अभाव का आरोप भी लगा। लेकिन उनका यही कहना था कि वे तो केवल सच बयान कर रहे थे। जब अमरीका में कम्युनिस्ट समर्थकों के ख़िलाफ़ मैक्कार्थी दौर में अभियान चलाया गया तो अपने उदारवादी विचारों के कारण वे फिर विवादों में घिर गए। एक संसदीय समिति के सामने उन्होंने अपने उन दोस्तों और सहयोगियों के नाम बताने से इनकार कर दिया जो कम्युनिस्ट रहे थे। उनका कहना था, "मैं नहीं मानता कि अमरीका में अपने व्यवसाय का पालन करते हुए किसी व्यक्ति को मुख़बिर बनने की ज़रूरत है।" बाद में उन्होंने इस विषय से संबंधित एक नाटक भी लिखा जिसका नाम था - न्यू इंग्लैंड के 'द क्रुसिबल' जिसमें ऐसे सामूहिक रोष और अभियान को रेखांकित किया गया था। उनका विवाह १९५६ में प्रसिद्ध अभिनेत्री मर्लिन मनरो से हुआ लेकिन पाँच साल बाद ही तलाक़ भी हो गया। अमरीका में बाद में उनके काम में दिलचस्पी घटी लेकिन ब्रिटेन में उनके काम को हमेशा सराहा गया और १९९५ में भी उनके 'ब्रोकन ग्लास' (टूटा हुआ शीशा) को प्रतिष्ठित ओलिवियर अवार्ड मिला। उनका काम दुनिया भर में इतना सराहा गया कि माना जाता है कि पूरे विश्व में हर रोज़ कहीं न कहीं उनके किसी न किसी नाटक का मंचन हो रहा होता है। वे अमेरिका का राष्ट्रिय पुस्तक पुरस्कार विजेता भी रहे।

सन्दर्भ