आर्थर एच काम्पटन
आर्थर एच काम्पटन | |
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कॉम्प्टन, सन 1927 में | |
जन्म |
आर्थर हॉली कांपटन (Arthur Holly Compton) साँचा:birth date Wooster, Ohio, US |
मृत्यु |
साँचा:death date and age Berkeley, California, US |
क्षेत्र | Physics |
संस्थान | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
शिक्षा | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
डॉक्टरी सलाहकार | Hereward L. Cooke |
डॉक्टरी शिष्य | साँचा:hlist |
प्रसिद्धि | साँचा:hlist |
उल्लेखनीय सम्मान | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
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आर्थर हॉली कॉम्पटन (१० सितम्बर, १८९२ ई. - १५ मार्च १९६२) अमेरिका के एक भौतिकशास्त्री थे जिन्हें १९२७ में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होने १९२३ में कॉम्पटन प्रभाव की खोज की थी जिससे विद्युतचुम्बकीय विकिरण के कणात्मक प्रकृति का प्रदर्शन हुआ। उस समय यह खोज एक सनसनीखेज खोज थी क्योंकि उसके पूर्व प्रकाश की तरंग-प्रकृति का अच्छी प्रकार से प्रदर्शन किया जा चुका था, किन्तु यह विचार कि प्रकाश की प्रकृति तरंग और कण दोनों जैसी होती है, यह बात आसानी से स्वीकार नहीं थी। उन्होने शिकागो विश्वविद्यालय की मैनाहट्टन परियोजना की धातुकर्म प्रयोगशाला का नेतृत्व भी किया और १९४५ से १९५३ तक सेंट लुई स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय के चान्सलर भी रहे।
आर्थर हाली कॉम्प्तन का जन्म अमरीका के वूस्टर नामक नगर में १० सितम्बर, १८९२ ई. को हुआ। इनकी शिक्षा पहले वूस्टर विद्यालय में और फिर प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में हुई। प्रिंस्टन विश्वविद्यालय ने इन्हें सन् १९१६ में पी.एच.डी.की उपाधि प्रदान की। कांपटन (कॉम्पटन) सन् १९२० से १९२३ तक वाशिंगटन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रधानाध्यापक रहे, तत्पश्चात् शिकागो विश्वविद्यालय में इनकी नियुक्ति हुई। सन् १९४५ में कांपटन वांशिगटन विश्वविद्यालय के कुलपति हुए। विश्वविद्यालयों में काम करने के साथ ही 'जेनरल इलेक्ट्रिक कंपनी' को इन्होंने गवेषणा कार्य में सन् १९२६ से १९४५ तक महत्वपूर्ण सहायता दी। द्वितीय महायुद्ध के समय, सन् १९४२ से १९४५ तक, ये 'मेटालर्जिकल ऐटॉमिक प्रोजेक्ट' के संचालक रहे।
कांपटन का प्रमुख कार्य एक्स-रे के संबंध में है। एक्स-रे के गुणधर्म कतिपय क्षेत्रों में विद्युच्चुंबकीय तरंगों के समान होते हैं । किंतु एक्स-रे किरणों का प्रकीर्णन (स्कैटरिंग, scattering) होने के पश्चात् प्रकीर्ण एक्स-रे के तरंगदैर्ध्य में परिवर्तन हो जाता है। इसको 'कॉम्पटन प्रभाव कहते हैं। इस महत्वपूर्ण आविष्कार के कारण सन् १९२७ में कांपटन को विश्वविख्यात नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इस परिणाम के अतिरिक्त एक्स-रे का सम्पूर्ण परावर्तन, विवर्तन ग्रेटिंग (डफ्ऱैिक्शन ग्रेटिंग, diffiaction grating) से एक्स-रे का वर्णक्रम, इत्यादि विषयों में इनके कार्य सुप्रसिद्ध है। अंतरिक्ष किरण (कोस्मिक रेज़, cosmic rays) संबंधी क्षेत्र में भी इनके आविष्कार महत्वपूर्ण हैं। कांपटन की प्रकाशित रचनाओं में एलिसन की सहायता से लिखा हुआ ग्रंथ "एक्स-रेज़ : थियरी ऐंड प्रैक्टिस" विशेष रूप से उल्लेखनीय है।