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इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा किया गया। इस जाति के पौधे बौने होते हैं। इस किस्म के फलों में कैरोटीन की मात्रा अधिक पायी जाती है। यह किस्म सघन बागवानी के लिए अच्छी होती है। इसके 1600 पौधे प्रति हेक्टेयर तक लगाये जाते हैं।