आचार्य हरिभद्र
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साँचा:asbox आचार्य हरिभद्र प्रसिद्ध जैन दार्शनिक तथा नैयायिक थे। मूलतः वे चित्तौड़ के एक ब्राह्मण थे जिन्होने जैन मत स्वीकारने के बाद श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय में प्रवेश किया।
जेकोबी, लायमान, विन्तर्नित्स, सुवाली और शुब्रिंग आदि अनेक विद्वानो ने भिन्न भिन्न प्रसंगो पर आचार्य हरिभद्र के ग्रन्थ एवं जीवन के विषय में चर्चा की है।
विद्वानों ने हरिभद्र के भिन्न भिन्न ग्रन्थों का सम्पादन, अनुवाद या सार भी दिया है।
हरिभद्र जर्मन, अंग्रेजी आदि पाश्चात्य भाषाओं के ज्ञाता विद्वानों के लक्ष्य पर एक विशिष्ट विद्वान के रूप से उपस्थित हुए।
जीवन
धार्मिक विचार
दार्शनिक
==लेखन==samaraichkaha
यह भी देखें
कृतियाँ
- (१) अनेकान्तजयपताका
- (२) अनेकान्तवादप्रवेश
- (३) शास्त्रवार्तासमुच्चय
- (४) षड्दर्शनसमुच्चय
- (५) जैनन्याय
- (६) अष्टकप्रकरण
- (७) धर्मबिन्दु
- (८) धूर्ताख्यान
- (९) पञ्चशक
- (१०) समराइच्छकहा (समराइच्च की कथा)
- (११) शास्त्रवार्तासमुच्चय
- (१२) योगबिन्दु
- (१२) योगदृष्टिसमुच्चय
- (१३) योगशतक
- (१४) सन्मतिप्रकरण
बाहरी कड़ियाँ
- शास्त्रवार्तासमुच्चयम् (संस्कृत विकिस्रोत)
- शास्त्रवार्तासमुच्चय