आईएनएस सिंधुरक्षक

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आईएनएस सिंधुरक्षक
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नाम: आईएनएस सिंधुरक्षक
निर्माता: एड्मिराल्टी शिपयार्ड
आधारशिला: 16 फ़रवरी 1995
जलावतरण: 26 जून 1997
सेवा शुरु: 24 दिसम्बर 1997
स्थिति: आग से नष्ट
सामान्य विशेषताएँ
वर्ग और प्रकार: सिंधुघोष-वर्ग पनडुब्बी
विस्थापन: 2325 टन तलयुक्त
3076 गोता लगाने पर
लम्बाई: साँचा:convert
चौड़ाई: साँचा:convert
कर्षण: साँचा:convert
प्रणोदन: 2 x 3650 अश्व शक्ति डीजल-विद्युत मोटर
1 x 5900 एचपी मोटर
2 x 204 एचपी सहायक मोटर
1 x 130 एचपी किफायती गति मोटर
गति: तलयुक्त: साँचा:convert
गोता लगाते समय: साँचा:convert
जलमग्न: साँचा:convert
पंहुच: 6000 एनएम स्‍नोर्टिंग 400 एनएम का गोता लगाना
सहन-शक्ति: 52 सदस्यों के दल के साथ 45 दिनों तक
परीक्षित गहराई: परिचालन गहराई: साँचा:convert
अधिकतम गहराई: साँचा:convert
कर्मि-मण्डल: 68 (07 अधिकारियों सहित)[१]
तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आई एन एस सिंधुरक्षक पर

आईएनएस सिंधुरक्षक (एस६३) भारतीय नौसेना की सिंधुघोष वर्ग की दस डीजल-विद्युत पनडुब्बियों में से एक थी।[२] 4 जून 2010 को भारतीय रक्षा मंत्रालय और ज़्वेजदोच्का शिपयार्ड के मध्य पनडुब्बी के उन्नयन और जीर्णोद्धार के लिए अमेरिकी $8 करोड़ ($80 मिलियन) का समझौता हुआ था। पनडुब्बी ने दो आग की घटनाओं का सामना किया था, प्रथम लघु घटना 2010 में और द्वितीय 14 अगस्त 2013 को मुम्बई के नौसेनिक डॉकयार्ड में हुई जिसमें यह डुब गयी।[३][४]

निर्माण

सिंधुरक्षक श्रेणी की इस डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी को रूस में बनाया गया था और 24 दिसम्बर 1997 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।[५][६][७]

कार्य इतिहास

दुर्घटना २०१०

सिंधुरक्षक

आईएनएस सिंधुरक्षक के बैट्री कम्पार्टमेंट में फरवरी 2010 में आग लगी थी जिसमें एक नौसैनिक मारा गया था। तब यह पनडुब्बी विशाखापत्तनम में नौसेना गोदी में तैनात थी।[५] यह दुर्घटना बैटरी बॉक्स में विस्फोट के कारण हुई थी। 1980 के दशक की शुरुआत में हुए समझौते के तहत भारत 2300 टन की पनडुब्बी रूस से लाया था और इसे 1997 में परिचालन में शामिल किया था।[८]

विस्फोट और डूबना २०१३

14 अगस्त 2013 को पनडुब्बी में पहले छोटा धमाका हुआ और फिर एक बड़ा धमाका हुआ। धमाकों से हुई क्षति के कारण पनडुब्बी में पानी भर गया, इससे पनडुब्बी एक तरफ झुक गई। पनडुब्बी की बैटरी चार्ज की जा रही थी जिस दौरान धमाका हुआ था। परिणामस्वरूप बैटरी में आग लग गई। देखते ही देखते आग तेजी से बढ़ी और बाद में पनडुब्बी में जोरदार धमाका हुआ।[९] देश की सबसे बेहतरीन पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक पूरी तरह से ऑपरेशनल थी। समंदर की निगेहबानी के लिए पैट्रॉल पर जाने वाली थी। ये हादसा उस वक्त हुआ जब ये नेवल डॉकयार्ड में खड़ी थी।[१०] विस्फोट होने के बाद आग लगने के बाद पनडुब्बी डूब गई।[११]

बचाव कार्य एवं नुकसान

घटना के समय पनडुब्बी पर 18 नौसैनिक सवार थे इनमें से तीन अधिकारी व 15 सेलर थे। हादसे के तुरंत बाद 16 दमकलों को भेजा गया और लगभग तीन घण्टे बाद आग पर काबू पाया गया। लेकिन तब तक पनडुव्बी लगभग स्वाहा होकर डूब चुकी थी और उसका कुछ ही हिस्सा पानी की सतह पर दिख रहा था।[९]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ