अहीरवाटी

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अहीरवाटी एक हिन्द-आर्य भाषा है, जिसे हरियाणा-राजस्थानी भाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे हीरवाटी, राठी, हीरवाल, हीरवाटी भी कहते हैं। यह अहीरवाल, दिल्ली, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ में बोली जाती है। प्रसिद्ध इतिहासकार रॉबर्ट वान रसेल अहिरवाटी के अनुसार अहीर समुदाय की भाषा है और हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में बोली जाती है। यह मेवाती के समान है।

रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, गुरगांव, कोटकासिम, कोटपुटली, बंसूर, दक्षिण दिल्ली, बिहोर, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, और मुंदवावार को अहीरवाटी बोलने वाले क्षेत्र का केंद्र माना जा सकता है।

अहीरवाटी बोली राजस्थान में अलवर जिले के बहरोड़, मुण्डावर, किशनगढ़ के पश्चिमी भाग व कोटपूतली के उत्तरी भाग में बोली जाती है। यह बांगरु (हरियाणवी) तथा मेवाती बोली के बीच की कड़ी है। चूँकि अहीरवाटी बोली के क्षेत्र को 'राठ' कहा जाता है, इसीलिए इसे 'राठी बोली' भी कहते हैं।

जोधराज द्वारा रचित हम्मीर रासो महाकाव्य अहीरवाटी बोली में ही लिखा गया है।