अशोक कामटे

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उनका संबंध पुणे में सांघवी क्षेत्र के रश्कनगर से था और वह १९८९ बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। कामटे अपने बैच के सबसे काबिल अधिकारियों में से एक थे और उनमें चुनौतियों से लड़ने का गजब का माद्दा था। उन्होंने बंधकों की रिहाई के लिए आतंकवादियों से बातचीत का विशेष प्रशिक्षण लिया था और यही वजह थी कि उन्हें मुम्बई की इमारतों में लोगों को बंधक बनाकर छिपे आतंकवादियों से बातचीत के लिए देर रात तलब किया गया।

२६ नवम्बर २००८ को उन्हें मेट्रो सिनेमा के पास आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे अंजाम देते हुए उन्होंने शहादत दे दी। २८ नवम्बर २००८ को मुंबई के वैकुंठ श्मशान घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।