अवधूत बाबा शिवानन्द
Avdhoot Shivanand Ji | |
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उपसंप्रदाय | साँचा:br separated entries |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
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निधन | साँचा:br separated entries |
शांतचित्त स्थान | साँचा:br separated entries |
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धार्मिक जीवनकाल | |
वेबसाइट |
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अवधूत शिवानंद जी एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और गैर-लाभकारी संगठन शिवयोग के संस्थापक हैं। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव को कम करने के लिए व्यक्तियों में आंतरिक चिकित्सा(इनर-हीलिंग) को सक्रिय करने के उद्देश्य से, शिवयोग दुनिया भर में ध्यान कार्यक्रम प्रदान करता है। अवधूत शिवानन्द जी सार्वजनिक प्रवचन भी करते हैं जो कि आस्था टीवी, अध्यात्म टीवी और संस्कार टीवी जैसे कई टीवी चैनलों पर प्रसारित होते रहते हैं। वह विभिन्न सामाजिक विकास गतिविधियों में भी शामिल हैं , जिससे उन्हें विभिन्न समुदायों से बहुत सम्मान प्राप्त हुआ है। अपने अनुयायियों के बीच, वे 'बाबाजी' नाम से प्रसिद्ध है।
इतिहास
अवधूत शिवानंद जी का जन्म 26 मार्च 1955 को दिल्ली में हुआ और वे राजस्थान में पले-बढ़े। 8 साल की उम्र में, वह हिमालयी योगी 108 स्वामी जगन्नाथ के संपर्क में आये, जिन्होंने उन्हें आध्यात्मिक पथ का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, उन्होंने ध्यान व साधना के लिए भारत में कई पवित्र स्थानों का दौरा किया। अपनी यात्रा के दौरान वे 108 स्वामी जगन्नाथ की शिक्षाओं के अनुसार ध्यान-साधना करते रहे। दुनिया भर में आध्यात्मिकता और ध्यान फैलाने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। 1990 से, उन्होंने शिवयोग और अद्वैत श्री विद्या साधना पर वार्ता और कार्यशालाओं का संचालन पूरे भारत में शुरू किया। ध्यान और इनर-हीलिंग के ज्ञान को हर किसी से साझा करने के उद्देश्य से, 1995 में उन्होंने शिवयोग फाउंडेशन की स्थापना की। उनका पहला शिवयोग आश्रम दिल्ली में बनाया गया था जहां उन्होंने ध्यान-साधना सिखाना शुरू किया। आज 3 शिवयोग आश्रम क्रमशः दिल्ली लखनऊ और कर्जत में हैं, और शिवयोग पाठ्यक्रम भारत में 100 से अधिक स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं। वर्ष 2000 से लगभग 30 देशों में शिवयोग कार्यक्रम पूरे विश्व में आयोजित किए जाते हैं। सितंबर 2016 में, डी वाई पाटिल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी डी पाटिल ने आधुनिक आध्यात्मिक विज्ञान में योगदान के लिए शिवानन्द जी को डॉक्टर एम्िरिटस की मानद उपाधि प्रदान की।
सन्दर्भ
अवधुत बाबा शिवानन्दजी का सम्पुर्ण जीवनी[१]