अल्फ़ा अरायटिस तारा

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अल्फ़ा अरायटिस मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है

अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।[१] यह हमसे ६६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०० है।

अन्य भाषाओं में

अल्फ़ा अरायटिस को अंग्रेज़ी में कभी-कभी "हैमल" (Hamal) कहा जाता है। यह नाम अरबी भाषा के "रास अल-हमल" (راس الحمل‎) से लिया गया है जिसका अर्थ "भेड़ का सिर" है।[२] यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह मेष (यानि भेड़) तारामंडल में काल्पनिक भेड़ की आकृति के सिर में स्थित है।

वर्णन

अल्फ़ा अरायटिस एक K2 IIICa-1 श्रेणी का दानव तारा है। इस श्रेणी में 'Ca' का मतलब है के इसके वर्णक्रम (स्पॅक्ट्रम) की जाँच करने पर इसके वायुमंडल में कैलशियम तत्व की मौजूदगी का पता चलता है। इसकी सतह का तापमान लगभग ४,५९० कैल्विन अनुमानित किया गया है। इसका द्रव्यमान हमारे सूरज के द्रव्यमान का २ गुना है, लेकिन व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास का १५ गुना है। इसकी निहित चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारी सूरज की चमक की ९० गुना अनुमानित की गई है। इसकी चमक में समय के साथ उतार-चढ़ाव दिखता है इसलिए खगोलशास्त्रियों को शक़ है कि यह एक परिवर्ती तारा है।

वैज्ञानिकों को अल्फ़ा अरायटिस के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ ज्ञात हुआ है। इसका द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान का १.८ गुना है, यानि इसके एक गैस दानव होने की काफ़ी संभावना है। यह लगभग ३८० दिनों में अल्फ़ा अरायटिस की परिक्रमा पूरी कर लेता है। इस ग्रह को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा "अल्फ़ा अरायटिस बी" (α Ari b) नामांकित किया गया है।

प्राचीन खगोलशास्त्रियों के लिए महत्व

२००० ईसापूर्व से १०० ईसापूर्व के काल में बसंत विषुव (इक्विनॉक्स) के समय में सूरज आकाश में सूर्यपथ में मेष तारामंडल के क्षेत्र में होता था (जिस से मेष राशि सम्बंधित है)।[३] हिन्दू नव वर्ष और भारतीय सौर नव वर्ष दोनों इसी समय पड़ते हैं और बहुत सी अन्य संस्कृतियों में भी ऐसा ही होता था। इसलिए यह समय धार्मिक और प्रशासनिक रूप से बहुत महत्व रखता था। यही वजह है की अधिकतर अख़बारों में राशिफल की सूचियाँ मेष राशी से ही शुरू होती हैं। अल्फ़ा अरायटिस इस क्षेत्र का सब से रोशन तारा था इसलिए यह भी महत्व रखता था।[४] अयन चलन की वजह से वर्तमान युग में सूरज बसंत विषुव के दौरान मीन तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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  1. HR 617 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed. (Preliminary Version), D. Hoffleit and W. H. Warren, Jr., Centre de Données astronomiques de Strasbourg (CDS) ID V/50 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।.
  2. pp. 78, 80, Star-names and Their Meanings स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Richard Hinckley Allen, New York: G. E. Stechert, 1899.
  3. pp. 151, 152, The Ever-changing Sky: A Guide to the Celestial Sphere, James B. Kaler, Cambridge, UK: Cambridge University Press, 2002, ISBN 0-521-49918-6.
  4. Hamal स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Stars, Jim Kaler.