अलखिया सम्प्रदाय
साँचा:ambox अलखिया सम्प्रदाय मध्यकालीन भारत का एक हिंदू संप्रदाय है। इसे बौद्धों की महायान शाखा का एक अवशिष्ट माना जाता है। इस संप्रदाय के साधु उड़ीसा तथा उत्तरी भारत के अनेक भागों में मिलते थे। इस सम्प्रदाय के साधु अपने को बड़े भारी रहस्यदर्शी योगी और 'अलख' को लखनेवाले बताया करते थे। महायान शाखा के बौद्धों के समान इस संप्रदाय में भी अन्तःकरण के पाँच भेद मन, बुद्धि, विवेक, हेतु और चैतन्य- माने जाते थे और शून्य का ध्याान करने परजोर देते थे।
प्रमुख सिद्धांत
इस सम्प्रदाय के सिद्धांत 'विष्णुगर्भपुराण' नामक ग्रन्थ में उल्लिखित हैं। यह ग्रंथ उड़िया भाषा में है। प्रो. आर्तवल्लभ महन्ती ने इसका संपादन करते हुए इसे 1550 ई. के पहले रचित बताया है। इस पुस्तक में वर्णित सिद्धांत इस प्रकार हैं। विश्व के चारों ओर 'अलख' का ही प्रकाश हो रहा है। अलख ही विष्णु है जिससे निराकार की उत्पत्ति हुई। सारी सृष्टि अलख के गर्भ में रहती है। अलख अज्ञेय है। चारों वेद उसके सम्बन्ध में कुछ भी नहीं जानते। अलख से प्रादुर्भूत निराकार तुरीयावस्था में रहता है और उसी दशा में उससे ज्योति की उत्पत्ति होती है। [१]ि सृष्टि की उत्पत्ति का यह रूप महायानियों से मिलता है।
इन्हें भी देखें
संदर्भ सूची
- ↑ ओमप्रकाश सिंह (संपादक)- रामचंद्र शुक्ल ग्रंथावली, खंड-१, पृष्ठ ३४9