अरब मग़रिब संघ
अरब मगरीब संध Arab Maghreb Union |
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सचिवालय | साँचा:nowrap | |||
सबसे बड़ा नगर | कैसाब्लांका[१] | |||
अधिकारिक भाषा | अरबी | |||
निवासी | मगरीबी | |||
सदस्य देश | साँचा:unbulleted list | |||
नेताओं | ||||
- | साँचा:nowrap | ताइएब बैकौच | ||
क्षेत्रफल | ||||
- | कुल | 6,041,261 km2 (7th) | ||
जनसंख्या | ||||
- | 2010 जनगणना | 92,517,056 (13th) | ||
- | घनत्व | 14.71/km2 (207 वां) | ||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2010 प्राक्कलन | |||
- | कुल | $607.631 बिलियन (24 वां) | ||
- | प्रति व्यक्ति | $6,835.46 (100 वां) | ||
सकल घरेलू उत्पाद (सांकेतिक) | 2010 प्राक्कलन | |||
- | कुल | $375.932 बिलियन (26th) | ||
- | प्रति व्यक्ति | $4,229.00 (97 वां) | ||
मुद्रा | साँचा:unbulleted list | |||
जालस्थल http://www.maghrebarabe.org/en/ |
अरब मगरीब संध: Arab Maghreb Union (AMU; साँचा:lang-fr, UMA; साँचा:lang-ar यह संध मरीब क्षेत्र या उत्तरी पश्चिम अफ्रीक के देशों के मध्य सहयोग और एकीकरण को प्रोत्साहन करना। 1989 में अल्जीरिया लीबिया मारीतानिया मोरक्को और ट्यूनिशिया के राष्ट्राध्यको के द्वारा मोरक्को में अरब मगरीब संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद अरब मगरीब संध (एएमयू) अस्तित आय था।
उद्देश्य
- भाईचारे की भावना, जो सदस्य देशों और उनके नागरिकों को एक-दूसरे से जोड़कर रखती है,
- सदस्य देशों के मध्य लोगों, वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी के निबधि आदान- प्रदान की दिशा में कार्य करना;
- संयुक्त उद्यमों तथा सामान्य एवं विशिष्ट कार्यक्रमों के माध्यम से सदस्य देशों में औद्योगिक, कृषि, व्यावसायिक और सामाजिक विकास को अनुभव करना;
- शिक्षा के विकास के लिये विभिन्न स्तरों पर सहयोग स्थापित करने के लिये पहल करना;
- इस्लाम की सहिष्णु शिक्षा से उत्पन्न नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की रक्षा करना;
- अरब राष्ट्रीय पहचान की रक्षा करना;
संरचाना तथा कार्य
संरचनात्मक ढांचे में अध्यक्षीय परिषद, विदेश मंत्री परिषद सलाहकारी परिषद, न्यायिक निकाय, अनुवर्ती समिति, विशिष्ट मंत्रिस्तरीय आयोग तथा सचिवालय सम्मिलित हैं। एएमयू का सर्वोच्च निर्णयकारी अंग अध्यक्षीय परिषद है, जिसमें सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष सम्मिलित होते हैं। सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री, विदेश मंत्री परिषद के सदस्य होते हैं। यह समिति शिखर सम्मेलन के लिये कार्यसूची का निर्धारण करती है। अनुवर्ती समिति अपनी रिपोर्ट विदेश मंत्री समिति को प्रस्तुत करती है तथा समाकलनात्मक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का निरीक्षण करती है। इसं समिति में सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व रहता है। सलाहकारी परिषद में सभी सदस्य देशों के दस प्रतिनिधि रहते हैं तथा अध्यक्षीय परिषद को अपनी अनुशंसाए प्रस्तुत करने के लिये वर्ष में एक बार इस परिषद की बैठक होती है। यह प्रस्तावों का प्रारूप भी तैयार करती है। न्यायिक निकाय संधि के मूल समझौतों के क्रियान्वयन से जुड़े विवादों पर विचार करता है। सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता है।
गतिविधियां
एएमयू की स्थापना ईईसी की तर्ज पर एक संयुक्त बाजार व्यवस्था- विकसित करने के लिये हुई। लेकिन अनेक राजनीतिक पर आर्थिक समस्याओं (जैसे- खाड़ी संकट, लीबिया पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध) ने संधि के मूल उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में चल रहे प्रयासों की गति को मद्धिम कर दिया है। एएमयू के विचाराधीन कार्यक्रम हैं संयुक्त कृषि और औद्योगिक परियोजनाओं के वितीय पोषण के लिये मेघरब निवेश एवं विदेश व्यापार बैंक की स्थापना; सामूहिक बाजार और सीमा शुल्क संघ की स्थापना, तथा; क्षेत्र में लोगों का निर्बाध आवागमन। अनेक संयुक्त परिवहन परियोजनाएं भी क्रियान्वित की जा रही हैं। सदस्य देश मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। 1992 में संघ द्वारा पर्यावरण रक्षा घोषणा-पत्र का अंगीकरण किया गया। अरब मगरीब संघ (एएमयू) के अंतर्गत परम्परागत द्वेष की समस्या रही है। उदाहरणार्थ, 1994 में अल्जीरिया ने एएमयू की अध्यक्षता लीबिया को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। इसने अल्जीरिया एवं अन्य सदस्यों के बीच राजनयिक तनाव को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त, मोरक्को एवं अल्जीरिया के बीच परम्परागत द्वेष और पश्चिमी सहारा की संप्रभुता के अनुत्तरित समाधान के प्रश्न ने 1990 के दशक से संघ की बैठक को रोक दिया। पश्चिमी सहारा, जो पहले स्पेन का उपनिवेश रहा है और मोरक्को के दक्षिण में है, को सहरावी अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के नाम से स्वतंत्र घोषित कर दिया गया। 2005 के मध्य में आयोजित उच्च स्तरीय कांफ्रेंस को मोरक्को द्वारा बैठक में शामिल होने से मना करने के चलते असफल कर दिया, जिसका कारण अल्जीरिया द्वारा सहारा क्षेत्र की स्वतंत्रता का मौखिक समर्थन करना था। अल्जीरिया नेनिरंतर पोलीसैरियो लिबरेशन मूवमेंट (Polisario Front) का समर्थन किया। पश्चिमी सहारा के मामले के समाधान के लिए, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र द्वारा, कई प्रयास किए गए। 2003 के मध्य में, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के निजी दूत, जेम्स बेकर, नेएक बंदोबस्त योजना को प्रस्तावित किया जिसे बेकर प्लान-II के तौर पर भी संदर्भित किया गया। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को मोरक्को ने ठुकरा दिया और सहरावी अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ने स्वीकार किया। जहाँ तक द्विपक्षीय प्रयासों की बात है, बेहद कम हासिल हुआ, जैसा कि मोरक्को किसी भी प्रकार की रियायत से मना करता रहा जो पश्चिमी सहारा की स्वतंत्रता की अनुमति प्रशस्त करेगी, जबकि अल्जीरिया सहरावियों के दृढ़ निश्चय को समर्थन देता रहा। इसके अतिरिक्त, लीबिया एवं मॉरिटानिया के बीच झगड़े ने संगठन को मजबूत करने का रास्ता दुर्गम बना दिया। मॉरिटानिया ने लीबिया पर 2003 के उसके तख्ता पलट में शामिल होने का आरोप लगाया था। लेकिन संध के सदस्य देशों में राजनितिक मतभेद के कारण संध को कोई खास सफलात नहीं मिली।
सन्दर्भ
- ↑ Population and Urbanization UN Habitat. Retrieved 13 September 2014.